ए कठमुल्लन से अब उदारवादी आ राष्ट्रभक्त मुसलमान लोग लड़ो

November 23, 2020
सुनीं सभे
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आर.के.सिन्हा

फ्रांस अउर इटली में जेहादी कठमुल्लन के करतूतन से सारी दुनिया स्तब्ध बा। ई लोग बेवजह कत्लेआम करे से बाज नइखे आवत। बम बिस्फोट आ कत्लेआम कइल जा रहल बा। ई लोग कोरोनो के विश्वव्यापी काल में सारी दुनिया के सामने एगो लमहर चुनौती पेश क देले बा। सबसे गम्भीर बात ई बा कि ए कठमुल्लन के बहुते मुसलमान सबके साथ आ समर्थन मिल रहल बा। विश्वभर से आ भारत में भी। उम्मीद के किरण जवन आइल बा उ ई कि जावेद अख्तर, शबाना आजमी आ नसीरुद्दीन शाह जइसन कुछ खास मुस्लिम हस्ती फ्रांस हमला के निंदा कइले बा। ई लोग मुनव्वर राणा सरीखे कुछ मुस्लिम धार्मिक अउर राजनीतिक नेतन के जरिए देहल गइल अपमानजनक बयान के खारिज क देहले बा जेमे ऊ लोग फ्रांस में भीषण हत्यन के तर्कसंगत होखे के बात कहले रहे।

संवेदनशील सवालन पर खामोशी-

अभी तक देश के असरदार मुस्लिम लेखक, कलाकार आ बुद्धिजीवी मुसलमान सबसे जुड़ल संवेदनशील सवालन पर गम्भीर चुप्पी साध लेहल करत रहे। ए आलोक में मुख्य रूप से जावेद अख्तर, शबाना आजमी अउर नसीरुद्दीन शाह के खुल के सामने आइल स्वागत योग्य बा। इहे मौका बा जब आमिर खान, शाहरुख खान, सलमान खान अउर बाकी तमाम असरदार मुसलमान लोग कठमुल्लन के हरकतन के खारिज क के उनके सभ्य मुसलमान सबसे अलग-थलग करे। उनका ऑस्ट्रिया के वियना शहर में भइल भीषण”आतंकी” हमला के भी निंदा करे के होई। वियना में मारल गइल बंदूकधारी हमलावर इस्लामिक स्टेट के समर्थक रहे।

वियना के कुछ हथियार बंद बंदूकधारी सब छह जगहन पर गोलीबारी कइल जेमे बहुत से लोग मारल गइल अउर दर्जनो अभी भी मौत से संघर्ष कर रहल बाड़े। ए आतंकी हरकत के निंदा खातिर भी महत्वपूर्ण मुसलमान सबके आगे आवे के होई। ओ सबके अब चुप नइखे बइठे के। मुस्लिम बुद्धिजीवी सबके साथ दिक्कत ई बा कि ऊ सब अपने समाज के कठमुल्लन आ गुंडन से डरे ला। ओकनी से लड़े खातिर कबो सामने ना आवे। ना जाने काहे ए सबसे एतना डरे ला लोग। एही से ई गुंडा सब आतंक मचावेलन। रउआ सबके वफ़ादारी धर्म के साथ जरूर रहे के चाहीं, लेकिन राष्ट्रहित के ताक पर रख के ना, राष्ट्रहित त सर्वोपरि होखे के चाहीं।

चीन पर चुप्पी-

चीन में मुसलमान सब के साथ का हो रहल बा, ये पर कवनो कठमुल्ला आवाज ना उठावे। उहाँ केहू के गर्दन ना काटल जाला आ गोली ना मारल जाला। के ना जाने कि चीन में मुसलमान सब पर लगातार भीषण अत्याचार हो रहल बा। चीन मुस्लिम बहुल शिनजियांग प्रांत में रहे वाला मुसलमान सबके कस रखले बा। वो लोग के खानपान के स्तर पर ऊ सबकुछ मजबूरी में करे के पड़ रहल बा, जवन उनका धर्म में पूर्णरूप से निषेध बा। ई सबकुछ शासक कम्युनिस्ट पार्टी के इशारा पर ये लोग के धर्म भ्रष्ट करे खातिर हो रहल बा। सारी इस्लामी दुनिया ये अत्याचारन पर चुप बा। कहीं कवनों प्रतिक्रिया सुनाई नइखे देत।

इस्लामिक देशन के संगठन ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कारपोरेशन(ओआईसी) चीन में मुसलमानन पर हो रहल ज्यादतिन पर एक शब्द विरोध के दर्ज नइखे कइले। पाकिस्तान भी पूरी तरह चुप बा। ऊ त चीन के खिलाफ कबो ना बोली। ऊ चीन के पूरा तरह गुलाम बन चुकल बा। इहे स्थित सऊदी अरब आ ईरान के भी बा। शिनजियांग प्रांत के मुसलमान सबके री-एजुकेशन कैम्प सब में ले जाके कम्युनिस्ट पार्टी के विचारधारा से रू-ब-रू करवावल जा रहल बा। बतावल जा रहल बा कि ये शिविरन में अभी दस लाख से अधिक चीनी मुसलमान लोग बा। इहाँ ये लोग से जबरन इस्लाम के निंदा करे के कहल जाला। ये लोग के डेरवावल,धमकावल जाला। अइसन आहार देहल जाला जवन इस्लाम में हराम मानल जाला। ई सब कुछ एह खातिर हो रहल बा ताकि चीनी मुसलमान कम्युनिस्ट विचारधारा अपना लेस। ऊ लोग इस्लाम के मूल शिक्षा से दूर हो जास।

गौर करीं कि चीन के खिलाफ हमरा देश के वामपंथी आ सेक्युलरवादी भी कबो ना बोले। मजाल बा कि ई लोग कभी कठमुल्लन या फिर चीन के मुस्लिम विरोधी अभियान पर एक शब्द बोले। ये लोग के तबो जबान सिल गइल रहे जब भारत में ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून बनत रहे। ई लोग तबो ना मानत रहे कि भारत में मुस्लिम औरत सब के स्थिति बहुत खराब बा।

बुनियादी सवालन से परहेज काहे-

फ्रांस में हत्यारन के हक में मुंबई, भोपाल अउर सहारनपुर में प्रदर्शन करे वाला मुसलमान महंगाई, बेरोजगारी या अपना इलाका में नया इस्कूल, कॉलेज या अस्पताल खुलवावे आदि के  माँग के लेके कभी सड़क पर ना उतरे। का केहू बता सकsता कि ई लोग अपना बुनियादी सवालन के लेके भी सड़कन पर उतरी? का ये लोग खातिर महंगाई, निरक्षरता या बेरोजगारी जइसन सवाल गौण बा? का कबो देश के मुसलमान, किसान, दलित, आदिवासी या समाज के अन्य कमजोर वर्ग के हित खातिर भी आगे आइल बा? कभी ना। लेकिन ई लोग ओ हत्यारन खातिर सड़क पर आ जाला जे मासूमन के फ्रांस या आस्ट्रिया में मारेला। ई लोग कबो कश्मीर में इस्लामिक कट्टरपंथी सबके हाथे मारल गइल पंडित सब खातिर ना लड़े। ये लोग के अपना के हमेशा विक्टिम बतावे के शौक बा। ई लोग सिर्फ अपने अधिकार के बात करेला। ई लोग कर्तव्यन के चर्चा करते हत्थे से उखड़ जाला। अब देखीं जवना मुनव्वर राणा के ई देश दिल से प्यार देले बा ऊ आदमी विक्षिप्त के तरह बात कर रहल बा। काहे लिबरल मुसलमान राणा के कसके ना कोसे ताकि ओकरा एहसास हो जाय कि ऊ केतना नीच बन्दा बा। राणा ई साबित क देहलन कि ऊ उन्मादी, असहिष्णु आ कट्टर हउअन। ऊ घोर कट्टर, साम्प्रदायिक आ सामंती निकललन। लेकिन मुसलमानन के बौद्धिक वर्ग उनके कहे पर चुप्पी सधले बा। मुस्लिम बुद्धिजीवी लोग के साथे इहे समस्या बा कि ऊ आतंकवाद के लेके उदासीन रहेला। एही से पूरा मुस्लिम बिरादरी नाहक कटघरा में आ जाला। अभी भारत अउर पूरी दुनिया देख रहल बा कि बात-बात पर हस्ताक्षर अभियान चलावे वाला बुद्धिजीवी, वाममार्गी, सेक्युलर वगैरह जेहादी आतंकवाद के खिलाफ कवना तरे स्टैंड लेला।

जहाँ तक भारत के बात बा त औसतन मुसलमान हिन्दू सबसे उम्मीद राखेला कि ऊ नास्तिकता के हद तक सेक्युलर हो जाय लेकिन ऊ लोग खुद कठमुल्ला बनल रहे। ई विकृत आ ओछी मानसिकता ह। एके भारत के आम जनता द्वारा अच्छी तरह पहचान लेहल गइल बा। अब भारत अपना देशवासी मुसलमान सबसे उम्मीद करsता कि ऊ लोग अपने ही कौम के कठमुल्लन से लड़े। उनके परास्त करे। उनका ए जंग में देश के समर्थन मिली अउर तब उनका एक स्वाभिमानी आ राष्ट्रवादी कौम के रूप में पूरा सम्मान भी मिली।

 

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार अउर पूर्व सांसद हईं। )

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