सोनवा से सुग्घर बाटे ई आपन देस हो 

October 12, 2021
कविता
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डॉ. मञ्जरी पाण्डेय

 ( एक )

 

सोनवा से सुग्घर बाटे ई आपन देस हो

रुपवा अस चम-चम चमकै ई आपन देस हो

 

मटिया उगिलै सोना हथवा लगाईं लs

सोनवा अस बलिया फरकै छोड़ा परदेस हो

 

खेती किसानी हवे देसवा के सान हों

सहरी बघार छोड़s बदला अब भेस हो

 

बेद पुरान  एइजा बाँचल  रटल जाला

भइलें  महान जिन्ही लिहलें  हs लेस  हो

 

सोलह संसकार रोजे बीनल बोवल जाला

सहरी किरिनियाँ से जनि डारs मेस हो

 

सागर चरन चूमे मथवा परबत हो

बारी- बारी कुलही मौसम के देस हो

 

जोग अs तन्तर के बड़ा गणतन्तर

जग में मिसाल नाहीं परब क. देस हों

 

तुलसी दल पाई कान्हा बंसी बजावै हो ,

हर- हर महादेव गूँजत जयदेस हो

 

             (दू )

 

जिनिगिया तहरे नांवे  लिखी गइल बाटे

खेतवा में धान  अब पाक गइल बाटे

 

लिखि-लिखि  पतिया  पठवत रहलीं

अँखिया  कै  लोरवा  ओतने पीयत रहलीं  ‘

अखरवा ई हाल सज्जी जान गइल बाटे

खेतवा में धान…..

 

सहत-सहत  मेहना सुखि  गइल बाटीं

काँचे  उमिरिया से बाँचि  गइल बाटीं

बचलै उमिरिया जवाल  भइल बाटे

खेतवा …..

 

लिपि पोति अँगना  जोहत बाँटीं

जिनिगी के कन्हवा  पर ढोवत  बाटीं

रहिया डगरिया बवाल भइल बाटे

खेतवा ……

 

सबके बखरवा में बाँटि  गइल बाटीं

तहरे बखरवा में जीयत बाटीं

अंचरवा का लाज ई सवाल भइल बाटे

खेतवा ……

 

फोनवा जिनिगिया कै ख़ास भइल बाटे

आवे क  खबरिया आस भइल बाटे

सेन्हुरा लिलरवा  हवाल भइल बाटे

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