राउर पाती

November 15, 2021
राउर पाती
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गजब के अंक बा जी ! कमहीं में ढेर, तनिके में भरपूर

गजब के अंक बा जी ! कमहीं में ढेर। तनिके में भरपूर। अबगे डाउनलोड कइनीं हँ।

सबले पहिले नजर परल हा सम्पादकीय प। जवना के कथ्य के मूल एह पंक्तियन में बा। ’’प्रेमे इलाज बा नफरत के। प्रेमे इलाज बा तनाव के। दिमाग के प्रेम के कटोरा बना लीं। सब ठीक हो जाई’’। आजु सउँसे संसार में जइसन माहौल बनल बा, लगातारे बनत जा रहल बा, एह बिचार के हर जगहा के समाज में पगावल पहिल काम होखे के चाहीं। भोजपुरिया समाज के लेके तनिका अउरी सचेत भइल जरूरी बा। भोजपुरिया समाज के जमाव जुड़ाव लगाव के अंतर्बहाव हरमेसे ’सादा जीवन, उच्च बिचार’ रहल बा जवना के सोर अध्यात्म से रस पावेला। आध्यात्मिक समाज के मनइयन के मन में जवना ढंग से नफरत आ क्रोध परसत जा रहल बा, एकर मतलब जानल-बूझल अब निकहा जरूरी भ गइल बा। एह खातिर खलसा प्रशासने ना, बलुक समाज के पुरोधा लोगनो खातिर सवाचल जरूरी बडुए। कवनो समाज अपना पुरोधा लोगन के उचित सीख आ उनका आचरन के नैतिकता से सजग-सहज रह सकेला। मनोज भाई अपना सम्पादकीय के जउरे कमहीं में ढेर कुछ उपलब्ध करा देलन।

एह अंक के उपलब्धी बा भोजपुरी साहित्य के पहिल-पाँति-पुरुख पाण्डेय कपिल जी के आलेख ’भोजपुरी पत्रकारिता के विकास-यात्रा’। सन् 2008 के ई सार्वकालिक आलेख कवनो जागरुक पाठक खातिर थाती बा। ई जोगाइ के राखे लाएक आलेख बा। आ तवना प डॉ. स्वर्णलता जी के आलेख ’भोजपुरी बालगीत : खेलवना’ उनकर सर्वकालीन मजगर लेख कहा सकेला। डॉ. ब्रजभूषण भाईजी के दिवंगत भोजपुरी सेवियन के लेके जवन शृंखला प्रकाशित होत आ रहल बा, एकर सगरो ओर से स्वागत हो रहल बा। अपना पुरखन के बिचार आ साहित्यिक-कर्म से प्रेरना लीहल, अपना लिखाई में उत्तरोत्तर सुधार लेआवल जागरुक युवा वर्ग के धरम होखे के चाहीं।

एही लगले जवन अतुल कुमार राय के व्यंग्य ’जो रे कोरोना तोरा माटी लागो’ आजुके विडंबनाकाल प नीमन रचनाकर्म भइल बा। बाकिर, रवीन्द्र किशोर सिन्हा जी के आलेख के चर्चा ना कइल उचित ना होई। हालिया सम्पन्न ओलिम्पिक में भारतीय टीम के प्रदर्शन प समहुत नजर डालत ई आलेख जरूरी बन पडल बा। डॉ. दीप्ति, सुरेश कांटक जी आ विष्णुदेव तिवारी जी के कविता-गीतन के प्रकाशित भइला प एह लोगन के हार्दिक बधाई।

सम्पादक आ सम्पादकीय टीम के उत्जोग आ पुरकस कोरसिस से ई अंक ’थोर में ढेर’ बन के सोझा आइल बा। अनघा बधाई !

 

सौरभ पाण्डेय, वरिष्ठ साहित्यकार, नैनी, प्रयागराज

एगो पुरहर आ सुरुचिपूर्ण अंक बा ई

भावुक जी ,

कई गो विशेषांकन के बाद ‘ भोजपुरी जंक्शन ‘ के अक्तूबर-2021 के पहिला पख वाला अंक, सामान्य अंक के रूप में आइल बा, बाकिर कई मायने में इह़ो विशेषांके बा। पहिले राउर संपादकीय के बात करीं त ऊ बड़हन संदेश देत बा। विसंगतियन से भरल एह काल में लोग दोसरा के नीचा देखा के बड़का बने के फेर में बा, काहे से ओकरा भितरी प्रेमभाव के घोर कमी बा। जहाँ कहीं तनिक देखाई देतो बा त ऊ ऊपरे ऊपर के भाव से बा। मन में प्रेम बचावल जरूरी बा। सिन्हा साहेब के ‘ सुनीं सभे ‘ में महिला हॉकी में लइकिअन के जुझारुपन के चरचा बा आ भारतीय महिला हॉकी के बढ़त ग्राफ उछाह पैदा करत बा। पांडेय कपिल जी के भोजपुरी पत्रकारिता पर लेख हमनी खातिर धरोहर बा। डॉ. स्वर्ण लता के बाल गीत में खेलवना आलेख एह से महत्त्व राखत कि ई सब विषय अछूता बा। ऊ एह विषय पर शोध कइले बाड़ी। अतुल जी बड़ा सधल व्यंग्य लिखिले। उनकर उपस्थिति सुखद बा। सिनेमा आ बारिश के बीच एगो संबंध कायम हो चुकल बा। ई भोजपुरी सिनेमा में अछूता नइखे। हमार दिवंगत भोजपुरी सेवी वाला श्रृंखला आगे बढ़ावे खातिर साधुवाद। विष्णुदेव जी गद्य के अलावे पद्यो में जोरदार कलम चला रहल बानी। उहाँ के कविता उत्तर आधुनिकता वाद के ओर जात बा। एगो पुरहर आ सुरुचिपूर्ण अंक खातिर रउरा के साधुवाद। मान अपमान के चिंता से दूर समरपन भाव से भोजपुरी के सेवा करत बानी, देर सबेर फल प्राप्ति होई।

डॉ. ब्रजभूषण मिश्र, वरिष्ठ साहित्यकार, मुजफ्फरपुर

पत्रिका के हर अंक बेजोड़ निकलता

“भोजपुरी जंक्शन” के 1-15 अक्तूबर के अंक बहुते बढ़िया बा। एकर संपादकीय “प्रेमे इलाज बा तनाव के” हर ओह आदमी के पढ़े के चाहीं जे छोटे-छोटे बात पर भी तनाव में आ जाता। एह अंक में कई गो आकर्षक विषय बाड़न स जइसे- “भोजपुरी पत्रकारिता के विकास-यात्रा”, “सिनेमा में बारिश आ बारिश में सिनेमा”, दिवंगत भोजपुरी सेवी: परिचय, आ अउरी बहुत कुछ। पत्रिका के हर अंक बेजोड़ निकलता। एकरा खातिर निश्चित रूप से संपादक मनोज भावुक के धन्यवाद देतानी आ उनुका प्रति आभार प्रकट करतानी। मनोज भावुक जी एही तरे रचनात्मक पत्रिका निकालत रहसु आ अपना क्रिएटिविटी से हमनी के नीमन-नीमन सामग्री उपलब्ध करावत रहसु।

विनय बिहारी सिंह, वरिष्ठ पत्रकार, कोलकाता

एक सम्पूर्ण सामाजिक आ सांस्कृतिक पत्रिका बा भोजपुरी जंक्शन

भोजपुरी जंक्शन के ताजा अंक (1-15 अक्टूबर ) मिलल। सबसे पहिले सम्पादकीय

आलेख आकृष्ट कइलस। सम्पादकीय आलेख आज के ज्वलंत विषय ‘तनाव’ के संदर्भ

में कुछ महत्वपूर्ण विन्दुअन के रेखांकित करता। एह बात पर ज़ोर देहल बा

कि तनावग्रस्त मानसिकता केतना विध्वंसक होके विकास में बाधक हो सकेला!

सही बात बा कि ज़िंदगी तोहफ़ा ह आ एकरा के तनाव, अवसाद, विषाद, आ मौत

से जेतने बचावल जाव ओतने अच्छा रही।

एह अंक में खेल, पत्रकारिता, बालगीत, कोरोना महामारी, सिनेमा, दिवंगत

भोजपुरी सेवी लोग के परिचय, आ साहित्यिक सामग्री बाटे। हर अंक लेखा एक

सम्पूर्ण सामाजिक आ सांस्कृतिक पत्रिका जे संग्रहणीय बा।

एह धरोहर के सम्पादित करे ख़ातिर हम मनोज भावुक जी आ उहाँ के टीम के

साधुवाद देतानी। लोग से निवेदन बा कि लोग एह पत्रिका के अपने पढ़े आ

दोसरा के पढ़ावे।

अनिल कुमार प्रसाद, वरिष्ठ लेखक, नागेश्वर कालोनी, पटना

भोजपुरी जंक्शन : भोजपुरी साहित्य के धरोहर

‘भोजपुरी जंक्शन’ पाक्षिक पत्रिका 1-15 अक्टूबर 2021 के जे कलेवर भा तेवर बा, ऊ बहुत कुछ कह रहल बा। आज के हालात में सकारात्मक सोच आ समझ का साथे मनोज भावुक जी के लिखल संपादकीय ‘प्रेमे इलाज बा तनाव के’ सोरहो आना सार्थक बा। भाई रवीन्द्र किशोर सिन्हा जी के आलेख ‘ओलंपिक हॉकी में जुनून के जीत’ पढ़ के हमरा अइसन बुझाइल कि काश अइसने जुनून भोजपुरिया साहित्यकारन के बीच देखे के मिलित। आपन-आपन डफली बजावल आ आपन-आपन राग छेड़ल छोड़ के भोजपुरी साहित्य के विकास, समृध्दि आ उत्थान ख़ातिर मन के खटास भुलावल बहुते जरूरी बा। साँच कहीं त ई समय के तकाज़ा आ माँग भी बा। एह पत्रिका में एगो बहुते महत्वपूर्ण आलेख ‘भोजपुरी पत्रकारिता के विकास यात्रा’ नाम से छपल बा, जवन ज्ञानपरक के साथे-साथे भोजपुरी साहित्य में पत्रकारिता के सम्पूर्ण इतिहास बा। डॉ० स्वर्ण लता जी के के आलेख ‘भोजपुरी बालगीत: खेलवना’ आ मनोज भावुक के लिखल ‘सिनेमा में बारिश आ बारिश में सिनेमा’ बहुते रोचक आ मनभावन बा। डॉ० दीप्ति, सुरेश कांटक जी आ विष्णुदेव तिवारी जी के स्तरीय कविता पढ़े के मिलल। ख़ास रूप से एह पत्रिका के ‘भोजपुरी साहित्य के गौरव’ स्तंभ में डॉ० ब्रजभूषण मिश्र जी के लिखल दिवंगत साहित्यकार लोग के संक्षिप्त परिचय बहुते सराहनीय, सार्थक आ ऐतिहासिक पहल बा। कुल मिला के देखल जाव त आज के समय में जे भोजपुरी के पत्रिका निकल रहल बा, ओह में ‘भोजपुरी जंक्शन’ आपन एगो स्तर बना के रखले बा। अइसन ठोस काम खातिर मनोज भावुक जी धन्यवाद के पात्र बाड़न। उनकर सोच-समझ आ भोजपुरी के प्रति समर्पण सराहनीय बा। पत्रिका स्वास्थ्य आ दीर्घायु रहे इहे कामना बा।

डॉ० रंजन विकास, सह-संचालक ‘भोजपुरी साहित्यांगन’, पटना

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