काश! ईयारी के किरिया धरइतीं आ जंग रोकवइतीं

May 6, 2022
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महेन्द्र प्रसाद सिंह

युद्ध कहीं होखे, विनाशकारी होला। अक्सर ओकर परिणाम दिल के दहला देबे वाला होला। बाकि कामना से उपजल क्रोध का सोझा ना लउके उजड़ल गांव शहर, बिलखत बाल-गोपाल, असहाय लोग, ना तड़पत मानवता। पुतिन के खीस से शुरू भइल  रूस आ यूक्रेन के बीच युद्ध अइसने बा।   एह युद्ध के समाचार हमरा खातिर ओइसहीं बा जइसे केकरो ससुरारी में दू गो सार  भा केकरो नइहर में दू गो भाई आपुसे में लस्साकुटी आ मारपीट करत होखस आ हम फरिआवे में अलचार बानी। बाप महतारी के ना रहला पर भाईयन के लड़ावे-भिड़ावे वाला उनका लोगिन के संघतिया हो जालन स। राजनैतिको स्तर पर, सोवियत संघ टूटला के बाद रूसो आ उक्रेन  के इहे स्थिति बा। हमनी का देशो खातिर बा ई सांच बा। खैर भारत शांति प्रिय देश ह। भारत दिल से चाहत बा कि शांति कइसहूं बहाल हो जाय। मोदीजी शांति खातिर दुनों पड़ोसिया (बांटल भाई) के निहोरा कर कर के थाक गइलन। काश हमहूं कुछ कर पइतीं! शांति आ मैत्री के भाव जगावे वाला नाटक, “वैर के अंत” रूसी भाषा में?  एगो रंगकर्मी आउर का कर सकत बा? भारतीय नाट्य शास्त्र के रचयिता भरत मुनि के भूमि से आधुनिक मेथड ऐक्टिंग के जन्मदाता सह मास्को आर्ट थिएटर के संस्थापक स्तानिसलावस्की (रूसी) आ ली स्ट्रैसबर्ग (यूक्रेनी मूल) के जन्मभूमि खातिर ई साइत सबसे बढ़ियां पहल होइत। इहो मन होला  कि दुनों मित्रन के आपन ईयारी के किरिया धरइतीं आ जंग रोकवइतीं, ओइसहीं जइसे आज से 44 साल पहिले ओहनी जना आपन ईयारी के किरिया हमरे धरवले रहन।

ई लड़ाई बरबस हमरे 46 बरिस पहिले लेके चल जाला जब दूनों देश सोवियत संघ के अंग रहल।

23 बरिस के उमिर में हम 1975 में, बोकारो स्टील प्लांट में आपन योगदान देले रहीं। ओह समें ई प्लांट एशिया के सबसे बड़ स्टील प्लांट के रूप में जानल जात रहे संगहीं सोवियत संघ आ भारत के मैत्री आ आपसी सहयोग के बड़हन मिसाल रहे। हमार पोस्टिंग हॉट स्ट्रिप मिल में बतौर वरिष्ठ आपरेटिव  भइल। प्लांट के संचालन रूसी विशेषज्ञ लोग करत रहन। केहू रूस से त केहू उक्रेन से त केहू दोसर दोसर प्रदेश से। कांट्रैक्ट के मोताबिक ओहनी जना के सब भारतीय काउंटर पार्ट के प्रशिक्षण देके, संचालन के भार  सऊंपे के रहे। प्रशिक्षण सैद्धांतिक ना होके प्रायोगिक स्तर पर होत रहे। ऑन जॉब ट्रेनिंग, मित्रवत भावना के साथ, आपन-आपन भाषा में। प्रशिक्षक रूसी बोलस आ हम भोजपुरी। बस बुझे गुने के सूत्र रहे अभिनय जवना में अंग संचालन बेसी होत रहे। उनका खातिर जइसे हिन्दी रहे ओइसहीं अंग्रेजी आ भोजपुरी त काहे ना आपन भाषा में बोलीं? एक दोसरा के भाषा सीखे के कोशिश जारी रहे। थोड़े दिन बाद सफलता मिलल। फेनु त काम उड़वले चलीं जा। हंसते-हंसत भारी भरकम काम आसान हो गइल। ईयारी दांतकाटी हो गइल रहे। ई ढेर दिन ना चलल। दू तीन साल बाद ऊ लोग लवटे लगलन। मिल संचालन के खुशी के संगे आपन अज़ीज़ ईयार के जाए के दुखो कम ना रहे। बिदाई के घड़ी रूसी विशेषज्ञ रात्रि भोज में हमनी के अपना घरे बोलवले। पहिले शुरू भइल भोदका। ऊ लोग जानत रहन कि हमरा मदिरा भा कवनो नीसा से सख्त परहेज ह। नीट भोदका गिलासन में सजा के राखल रहे। हमार रूसी मित्र पहिले त निहोरा कइलन भोदका पीए के बाकि जब ऊ हार गइलन त आपन ईयारी के किरिया धरा दिहलन। बस भावना के उदवेग में हम एगो गिलास उठइनी आ गट गट पी गइनी। सोचनीं कि देव आ दानव के झगरा मेटावे खातिर भगवान शंकर विष पी गइल रहन त हम माता के भगत होके ईयारी निभावे खातिर भोदका काहे ना पी सकीं? का बुझाइल कि नरेटी आ अंतड़ी के जरावत रूसी एटम बम हमरा पेट के समुंदर में तूफान मचा के कतहीं विलीन हो गइल। आज ऊहे किरिया धरावे के मन करत बा दूनों मीतवन के कि लड़ाई ना बंद करबs जा त भोदका ना पिअब।

 

मन करे इयारी के किरिया धरइतीं,

दुनो मनमीतन के लड़े से बचइतीं।

 

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