रूस-यूक्रेन युद्ध के कहानी अभिषेक उपाध्याय के जुबानी

May 6, 2022
विविध
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अभिषेक वत्स : पहिले त सर, भोजपुरी जंक्शन टीम राउर स्वदेश वापसी पर रउआ के स्वागत करत बा अउर राउर हिम्मत खातिर सलाम करत बा।

अभिषेक उपाध्याय :  बहुत बहुत धन्यवाद अभिषेक जी।

अभिषेक वत्स : पहिला सवाल ई बा कि रउआ आपन एगो रिपोर्ट में जिक्र कइले बानी कि युद्ध के सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव ओहिजा के महिला, बच्चा, बुजुर्ग अउर दिव्यांग लोगन पर पड़ल बा। जे कि स्वाभाविक बा। बाकिर सर ओहिजा के जे युवा बा चाहे जे सक्षम लोग बा उनका पर एकर का असर पड़ल बा?

अभिषेक उपाध्याय :  अभिषेक जी, पहिले त हम रउआ के बता दी कि यूक्रेन के सरकार 18 से 60 साल के बीच के आपन नागरिक लोग के देश छोड़ के जाए प प्रतिबंध लगा देले बा। काहे कि रूस के मुकाबला में ओकरा लगे बहुत छोटहन आर्मी बा। त उ आपात स्थिति में आपन सक्षम नागरिकन के मदद लेवे खातिर उनका के रोकले बा। अब अइसन में सब केहू आपन बीवी, बच्चा के त देश के बाहर पहुँचा देत बा, बाकिर उ खुद उहवें रह जाता। अइसन में हर परिवार एगो मानसिक यंत्रणा अउर विघटन के शिकार हो रहल बा। ट्रेन पर, हवाई अड्डा पर लोग आपन परिवार के विदा करत समय टूट जा रहल बा। अंदर रहे वाला अउर बाहर जाए वाला दुनो में से केहू के पता नइखे कि के कब लौटी, कब से फिर मिली…आ फिर मिलबो करी की ना मिली। बहुत अजीब दृश्य बा ई…करेजा फाट जाला।

अभिषेक वत्स : ई युद्ध चाहे हर युद्ध एगो मानवीय त्रासदी होखबे करेला। आदमी के जान आदमी लेला, बाकिर एकर एगो पक्ष अइसनो बा जेकरा बारे में बहुत कम बात होखेला जबकि ओकरो पीड़ा ओतने रहेला, ओकरो ओतने झेले पड़ेला। हम रउआ से जानल चाहब कि ओहिजा के जानवरन पर एह युद्ध के का असर पड़ल बा? कवनो दृश्य रउआ याद होखे त बताईं।

अभिषेक उपाध्याय :  हाँ, अभिषेक जी रउआ ठीक कहनी। उहवाँ लोग आपन पालतू जानवरन के आपन परिवारे मानेला। केहू जब देश छोड़त बा त उनुको के साथे ले जात बा। अइसन नइखे कि केहू आपन पालतू कुत्ता के, बिलाई के मरे खातिर छोड़ देले बा। कतनो परेशानी होखे बाकिर लोग साथे ले जात बा। ई एगो बहुत सवेंदनशील पक्ष रहल बा ओहिजा के नागरिक लोग के अइसन समय में। आपन लइका जइसन लोग आपन कुत्ता के, बिलाई के ऊनी कपड़ा पहिरा के ले जात रहे। उनका खाये पिये के इंतजाम कर के निकलत रहे लोग।

अभिषेक वत्स : सर, रउआ साथे एगो ओहिजे के ड्राइवर रहले। राउर वीडियो ब्लॉग में देखनी। बाकिर उनकर हाव भाव उनकर जिंदादिली देख के ई लगबे ना कइल कि ऊ आदमी ओह जगह में रहत बा जहाँ हर मिनट हर घंटा रॉकेट लॉन्चर, मिसाइल, गोली बरस रहल बा। एह पर कुछ तनी बताईं।

अभिषेक उपाध्याय :  देखीं अभिषेक जी, यूक्रेन खातिर युद्ध कवनो नया बात नइखे। युद्ध उ लोग के लगभग रूटीन बन गइल बा। युद्ध के साथ जिये के लगभग लोग अभ्यस्त हो गइल बा। 2014 से लगातार उहवाँ लड़ाई चलत बा। बगल में दोनबास के इलाका बा। उहाँ 2014 से ही छिटपुट लड़ाई चल रहल बा। त युद्ध ओह लोग खातिर आम बात हो गइल बा। युद्धो लड़े के बा आ जीवनो जिये के बा।

अभिषेक वत्स : सर, एगो सवाल जेकर जवाब सभे जानल चाहत बा कि भारत के कइसन तइयारी रहे उहवाँ से आपन नागरिक के निकाले के। काहे कि एह के ले के इहवाँ खूब राजनीति भइल। सोशल मीडिया पर तरह-तरह के पक्ष-विपक्ष के बात चलल। बाकिर रउआ का देखनी, उ बताई।

अभिषेक उपाध्याय :  हाँ, ई सही बा कि शुरू में दिक्कत भइल। बाकिर बाद में जब युद्ध एकदम शुरू हो गइल तब एडवाइजरी पर एडवाइजरी जारी करके भारतीय लोगन के निकले खातिर जागरूक कइलस। अउर खरकिव के जवन इलाका रहे उहाँ बहुत बड़ा काम भइल, एह दिशा में। बहुत बड़ा संख्या में भारतीय छात्र लोग के निकालल गइल। दुनो देश से बात करके उहवाँ सुरक्षा घेरा बना के सब लोग के निकालल गइल। बाद में भारत से कई गो अधिकारी लोग मंत्री लोग पहुँचल। त शुरू में जवन दिक्कत भइल, ओकरा बाद में सरकार एक्शन मोड़ में आके आपन नागरिक लोग के सुरक्षित निकाल लिहलस अउर अब त लगभग सब भारतीय यूक्रेन से निकल गइल बाड़े।

अभिषेक वत्स : रउआ एक महीना तक युद्धग्रस्त क्षेत्र में रहनी। जहाँ एक तरफ प्रोफेशनलिज्म रहे एक तरफ सर्वाइवल रहे। पत्रकारिता भी करे के रहे अउर स्वाभाविक ह कि जान के डरो रहे। त एह एक महीना में राउर दिनचर्या पर का असर पड़ल। नींद त नाहीये आवत होई।

अभिषेक उपाध्याय :  हाँ, अभिषेक जी। अब अइसन में कवनो तय रूटीन पर चलल त मुमकिन ना रहे। खतरा हमेशा बनल रहे। काहे कि रिहायशी इलाका में भी अटैक होत रहे। अक्सर रात के सायरन बाजे त छुप के बंकर में जाये के पड़त रहे। जदि कहीं अटैक भइल बा त जा के रिपोर्टिंगो करे के रहे। त एह सब चीज के ले के तनाव त रहत रहे। बाकिर आपन काम त करहीं के ह। कतनो खतरा होखे। उ खतरा सभे खातिर रहे रउआ पत्रकार होखी चाहे आम नागरिक।

अभिषेक वत्स :…. रउआ एतना समय दिहनी अउर उहाँ के बहुत सारा अइसन बात बतवनी जे आम तौर पर पब्लिक डोमेन में ना मिलेला। आपन व्यक्तिगत अनुभव बतवनी। एह खातिर हम भोजपुरी जंक्शन टीम के तरफ से रउआ प्रति आभार व्यक्त करत बानी।

अभिषेक उपाध्याय : थैंक यू, अभिषेक जी। रउआ अउर भोजपुरी जंक्शन टीम के आवे वाला अंक खातिर खूब शुभकामना।

 

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