पास बोलावे गाँव रे आपन

मनोज भावुक जिनगी के दुपहरिया खोजे जब-जब शीतल छाँव रे पास बोलावे गाँव रे आपन, पास बोलावे गाँव रे। गाँव के माटी, माई जइसन खींचे अपना ओरिया हर रस्ता, चौराहा खींचे खींचे खेत-बधरिया गाँव के बात निराला बाटे, नेह झरे हर ठांव रे। पास बोलावे गाँव रे आपन.. भोर इहाँ के सोना लागे हीरा दिन-दुपहरिया […]