प्रायोजित बा नागरिकता संशोधन अधिनियम पऽ विरोध

March 5, 2020
सुनीं सभे
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लेखक: आर. के. सिन्हा

नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) जब से संसद के दूनू सदन से पारित भइल बा, बस विरोधे विरोध देखे के मिल रहल बा। एकरा में कवनो शक नइखे कि सीएए के खिलाफ चल रहल सभ प्रदर्शन सिर्फ आ सिर्फ राजनीतिक साजिश से प्रेरित बा।

अल्पसंख्यकन से एकदम दूर हो चुकल कांग्रेस शाहीन बाग के माध्यम से मुस्लिम लोगन के नियरा आवे के चाहत बिया, तऽ वाम दल एही माध्यम से दक्षिणपंथ आ हिंदुत्व के घेर के मोदी सरकार के खिलाफ देश भर में माहौल बनावे के फिराक में बा। ई पूरा विरोध प्रायोजित बा। एगो सुनियोजित रणनीति के तहत ही महिला आ लइकन के एह आंदोलन में चेहरा बनाके आगे कइल गइल बा। एह प्रदर्शन के खुद-ब-खुद प्रचारित करे वाला लेफ्ट लिबरल, रैडीक्लाइज इस्लामिस्ट, आम आदमी पार्टी आ कांग्रेस के साथे वाम दलन के आपन एजेंडा बा, जे शाहीन बाग के बहाने आपन राजनीतिक रणनीति तइयार कऽ रहल बाड़न। बुद्धिजीवी वर्ग पहलहीं से आपन कथित उदार प्रवृत्ति के वजह से अल्पसंख्यकन के तरफ झुकाव रखे वाला रहल बा आ एह दौर में तऽ वामपंथी बुद्धिजीवी व्यवहार में असहिष्णुता के स्तर पऽ पहुंच गइल बाड़न। उनका व्यवहार के बौखलाहट शब्दन के अमर्यादित प्रयोग आ कुप्रचार के जरिए साफ-साफ देखल जा सकेला। अगर यकीन ना होखत होखे तऽ तमाम बुद्धिजीवियन के सोशल मीडिया के खंगाल लीं। ओहिजा रउआ नरेंद्र मोदी आ अमित शाह के लेके गाली-गलौच आ हेट प्रोपोगेंडा से जादा कुछ ना मिली।

नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध के नाम पऽ देश भर में हिंसा करवावे के सुनियोजित प्रयासन के लेके बड़ खुलासा भइल बा। ऊ खुलासा ओह दावन के पोल खोल के रख देले बा जवना में कहल जात रहे कि ई लोग देश आ संविधान के बचावे खातिर प्रदर्शन कऽ रहल बा। पता चलल बा कि आगजनी, तोड़फोड़, धरना के पीछे पीएफआई के हाथ बा। पीएफआई एनजीओ होखे के आड़ में राष्ट्र विरोधी गतिविधियन में पूरा तरह लिप्त बा। जांच में खुलासा भइल बा कि दंगा करावे खातिर करीब 120 करोड़ रुपिया खर्च कइल गइल बा। जवना के प्रमाण ईडी के अनुसंधानकर्ता लोग जुटा लेले बा। नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध के नाम पऽ जवन खेल खेलल जा रहल बा, ओकर कलई अब खुले लागल बा। जानकारी के मुताबिक, अब तक के जांच में पीएफआई के 73 गो  बैंक खाता के पता चलल बा, जवना में 27 गो बैंक अकाउंट पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के नाम पऽ खोलल गइल बा। 9 गो बैंक खाता पीएफआई से जुड़ल संगठन रिहैब इंडिया फाउंडेशन के बा अउर इहे संगठन 17 गो अलग-अलग लोगन अउर संगठन के नाम पऽ 37 गो अउर बैंक खाता खोल के रखले बा। एह 73 गो बैंक खाता में भइल लेन-देन के जांच में बड़ा खुलासा भइल बा। जांच एजेंसियन के चकमा देवे खातिर 73 गो  खाता सभ में करीब 120 करोड़ रुपिया पहिले जमा करावल गइल, बाकिर थोड़-बहुत खाता में छोड़ के मय खाता के खाली कऽ दिहल गइल। एह दौरान एह बात के पूरा ध्यान राखल गइल बा कि जांच एजेंसियन के नजर में बिना अइले हवाला ट्रांजेक्शन से पइसा सही जगह पहुंच भी जाए।

अइसे त एह देश में हिंदुत्व के खिलाफ नफरत फइलावे वाला एजेंडा वामपंथियन आ कट्टर इस्लामवादियन के बरिसन से चलत आ रहल बा। ई नफरत साल 2014 में मोदी के शासन में अइला के बाद बौद्धिकता के बौखलाहट के संगे-संगे व्यवहारो के बौखलाहट बन गइल। इंटलेक्च्यूअल भइला के सबसे आसान तरीका बा कि रउआ अल्पसंख्यकन के प्रति उदार दिखीं आ बहुसंख्यकन के प्रति आक्रामक रुख अख्तियार करत रहीं। एही वजह से हिंदुवादी संगठनन के जी भर गाली देवे वाला तथा कथित छद्म धर्मनिरपेक्ष बुद्धिजीवी शरजील के पक्ष में आ खड़ा होखेलें। उनका ओहिजा कम्युनल आ देशविरोधी नफरत ना लउकेला। शाहीन बाग के प्रदर्शन में जब तख्तियन आ पोस्टरन पऽ स्वास्तिक आ हिंदू सांस्कृतिक आ धार्मिक प्रतीकन के अनादर होखेला तऽ बुद्धिजीवी वर्ग के भीतर के खुशी दुगुना हो जाला। बरिसन से ई लोग स्वास्तिक के नाजीवाद से जोड़त रहल बा अउर हिंदू संस्कृति के पवित्र प्रतीक स्वास्तिक जब शाहीन बाग के प्रदर्शन में लहरावल गइल पोस्टर में अपमानित हो रहल बा, (एह पोस्टर में स्वास्तिक के मुस्लिम औरतन के पैर के नीचे दिखावल गइल बा) तऽ बुद्धिजीवी वर्ग के भीतर दबल नफरत गुदगुदाहट में तब्दील हो जात बा। एह प्रोपोगेंडा में नागरिकता संशोधित कानून के बहाने नागरिकता पऽ कम अउर ओकरा आड़ में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अउर गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ नफरत फइलावे वाली बात जादा हो रहल बा। विरोध करे वाला लोग अभद्र भाषा आ असहिष्णु रवैया अपनावत अमर्यादित टिप्पणी क रहल बा। अब अइसन बुझात बा कि मोमबत्ती ब्रिगेड वाला सगरो लोग छुट्टी मनावे चल गइल बा।

ईयाद करीं शाहीन बाग से आइल हमनी के एगो प्यारी भारतीय बच्ची के ऊ वीडियो जवना में ऊ कहत बिया कि ‘मोदी-शाह हमनी के मारे के चाहत बाड़ें अउर डिटेंशन कैंपन में राखे के चाहत बाड़ें। ऊ हमनी के कपड़ा-लता भी ना पहिने दीहें अउर ना हमनी के समय प खाना दीहें। एकही वक्त के खाना मिली… उहो भोरे-भोरे। हमनी के एकरा खिलाफ इहवां (शाहीन बाग) आइल बानी जा। मोदी मुसलमानन के सिर काट दिहन।’ छोट-छोट लइकन के मन में भरल गइल ई बात हमनी कथित बुद्धिजीवी समाज के ही देन हऽ। जदि मोदी के खिलाफ माहौल बनावे के बा तऽ लइका आ मेहरारूअन से बढि़या कवनो हथियार एह लोगन के नइखे लउकत। कुछ वामपंथी रंग में रंगल पत्रकार शाहीन बाग के उजला पक्ष दिखइहें अउर एह उजला पक्ष में हजारन के भीड़ में से कुछ चुनल मुस्लिम महिला लोगिन से ऊ बात करिहें जे बताई कि ऊ लोग अपना मन से एहिजा सीएए के खिलाफत करे आइल बा। मुस्लिम समाज के मन में भय के माहौल बा आ हमनी के चाहत बानी जा कि मोदी शाहीन बाग आवस। ई महिला लोग जब कहेला कि हमनी के अतना झेलत बानी जा तऽ हमनी के आवे वाला नस्ल के का-का झेले के पड़ी। एह लाइन के वायर आ एकरा जइसन एजेंसी पूरा मोंटाज के संगे दिखावेला। जवना से ई संदेश जाए कि पिछला कुछ बरिस में जब से नरेन्द्र मोदी के सरकार सत्ता में आइल बिया भारत में मुस्लिम खतरा में बाड़न। आरफा खान शेरवानी एगो खास एजेंडा के तहत रउआ लोगन के शाहीन बाग के उजला पक्ष दिखावेली। बाकिर, कबो उहे स्थिति पीएफआई के दफ्तरन में ना खोज पावेली, उनकर कैमरा ओहिजा तक जइबे ना करेला। जब सरकार सीएए, एनआरसी आ एनपीआर के लेके सारा स्पष्टीकरण दे चुकल बिया। संसद से देश के प्रधानमंत्री भी मुस्लिम समुदाय के भरोसा दिलावे खातिर सब स्थितियन के साफ कऽ चुकल बानी। एकरा बाद अब शाहीन बाग में का बांचल बा? सिर्फ आ सिर्फ काल्पनिक भय अउर डर के माहौल, जवना के ओहिजा के कुछ स्थानीय मुस्लिम नेता सभन के राजनीतिक लाभ मिल सके। शरजील इमाम के भारत विरोधी भाषण के समर्थन करे वाला लेफ्टिस्ट हमेशा मुस्लिम रैडिकलाइजेशन पऽ चुप्पी साध लेलें।

नागरिकता संसोधन कानून संसद के दूनू सदन में भारी बहुमत से पारित भइल बा, ई कवनो ढकल-छुपल बात नइखे। कानून के कवनो प्रावधान छुपल रहिए नइखे सकत। फिर भी देश में अफवाह फइलावल गइल कि सीएए मुसलमानन के देश से बाहर निकाले के कानून हऽ। जबकि कानून साफ करत बा कि ई केहू के नागरिता छीने वाला कानून ना हऽ। एह कानून के देश के कवनो नागरिक से कवनो लेवे-देवे के नइखे। बलुक, 1955 के नागरिकता कानून के संशोधित कऽ के ई व्यवस्था कइल गइल बा कि धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर, 2014 के पहिले पाकिस्तान, बांग्लादेश अउर अफगानिस्तान से भारत आइल हिन्दू, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी आ ईसाई लोगन के भारत के नागरिकता दिहल जा सके। एह विधेयक में भारतीय नागरिकता प्रदान करे खातिर आवश्यक 11 बरिस तक भारत में रहे के शर्त में ढील देत एह अवधि के खाली 5 बरिस तक भारत में रहे के शर्त के रूप में बदल दिहल गइल बा। कानून एह से जादा कुछ नइखे कहत। बाकिर

अफवाहबाज दंगा करवावे से बाज ना अइलें आ अब लोगन के गलत जानकारी देके धरना-प्रदर्शन करवा रहल बाड़ें।

बहरहाल जरूरत एह बात के बा कि मुस्लिम समाज के बौद्धिक वर्ग सामने आके कठमुल्ला लोगन के असलियत सामने ले आवे, जे आपन कुत्सित मानसिकता के संगे पूरा मुस्लिम जमात के भीतर बेमतलब भय पैदा क रहल बा। जवन बात कानून में हइले नइखे ओकर भय दिखा के उनका के उकसा रहल बाड़न। अइसन लोग जे दोसरा देश के अल्पसंख्यकन के पीड़ा नइखे समझ सकत ऊ एह देश के अल्पसंख्यकन के हितैषी कइसे हो सकत बा। हमरा शक बा कि जहनियत से शताब्दियन पीछे जीये वाला ई लोग ‘इस्लाम खतरा में बा’ के बात कह के मुस्लिम समाज के बीच अपने देश में वैमनस्यता के बीज बो रहल बा। ओह लोगन के दिक्कत एह बात से बा कि दोसरा मुल्क से प्रताडि़त अल्पसंख्यक खास कऽ के हिंदुअन के भारत सरकार संरक्षण काहे दे रहल बिया? ओहिजा के बहू-बेटियन के इज्जत लूटत बा त लूटे। हर बरिस हजारन बेटियन के अगवा कऽ के निकाह करा दिहल जाला। संभवत: एह तरे प्रताडि़त कऽ के धर्म परिवर्तनो ओह लोगन खातिर एगो जेहाद बा। जे एह जेहाद के समर्थक बा उहे सीएए अउर एनआरसी के खिलाफ लोगन के गुमराह कऽ के आंदोलन करवा रहल बा। मुस्लिम समाज के अइसन लोगन से सावधान रहे के चाहीं। बहुसंख्यक समाज शांत बइठल बा। बाकिर, ओकर सब्र के बान्ह टूटे मत। एही में सबकर भलाई बा ।

  (लेखक राज्य सभा सदस्य आ हिन्दुस्थान न्यूज एजेंसी के अध्यक्ष हईं ।)

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