'हमार काशी आ गंगा ले आ दऽ, अमेरिके में बस जाइब'

March 17, 2020
धरोहर
, , , , , , , , , , ,
0

जयंती विशेषः जन्म : 21 मार्च, 1916। मृत्यु : 21 अगस्त, 2006

लेखक : अतुल कुमार राय

ऊ 1982 के साल रहे। अमेरिका के एगो बड़ शहर में उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के कार्यक्रम भइल रहे। ओहिजा ढेर अमेरिकी-भारतीय रहलन। ऊ लोग मिल के उस्ताद से जिद करे लगले कि रउरा एहिजे रह जाईं। हालांकि उस्ताद एह निहोरा के सुन के महटिया दिहले आ शहनाई फूंके में लाग गइले। बाकिर लोग उहां के हर तरह के लालच-प्रलोभन देवे लागल कि एहिजा ढेर सुख-सुविधा बा। रउरा एहिजे रह जाईं। अगर ई प्रस्ताव दोसरा कलाकार के मिलित तऽ ऊ खुशी-खुशी एकरा के मान लेते। बाकिर उस्ताद के जवाब अलगे रहे- उस्ताद बस एतने कहले, – ‘हमार काशी आ गंगा.. आ ऊ बालाजी के घाट के सीढ़ी… ऊ मंगला-गौरी मंदिर…ऊ विश्वनाथ मंदिर के नौबत खाना एहिजा ले आ दऽ लोग, हम एहिजा रह जाइब। काहे कि हम ओहिजे से शहनाई बजावत-बजावत तऽ एहिजा पहुंचल बानी।’ सभे अचकचा गइल आ ओहिजा चुप्पी पसर गइल। आगे केहू कुछुओ कहे के हिम्मत ना कऽ सकल।

फेर तऽ भारत रत्न से ले के सब विभूषण, आधा दर्जन डॉक्टरेट के अउर ना जाने केतना बड़-बड़ पुरस्कार आ मानद उपाधि पा के कला के ई साधक एह बात के कबहूं अफसोस ना कइले कि ऊ अमेरिका के वैभव वाला जीवन ना जी सकलें। जिनगी भर उनका एह बात के गर्व रहे। ई नया नजीर गढि़ के ऊ जिनगी भर सादगी के मूर्ति बनल रहले अउर बनारस के ऊ पातर गली वाला मोहल्ला के छोटी चुकी कोठरी में जिनगी बिता दिहले, जवना के हरहा सराय कहल जाला।

कहल जाला कि उस्ताद जिनगी के अंतिम दिन में हेरिटेज अस्पताल में भरती रहले तऽ लता जी, ऊषा जी, दिलीप साहब, अमिताभ बच्चन सभे सनेस भेजवावल – ‘रउरा खाना आ जूस समय से लिहल करीं’।

जब शिवनाथ झा एह सभ सनेस के उस्ताद के सुनवले तऽ ऊ कहले कि जब संउसे देश दुआ में खाड़ बा तऽ हम ठीक होइये जाइब। बाकिर अफसोस… ऊपर वाला के ई मंजूर ना रहे… ऊ कुछुए दिन के बाद हमनी के छोडि़ के चलि गइले। उनकर जवन अंतिम राग बनावे के इच्छा रहे तवन पूरा ना हो सकल, ऊ राग कबो ना बाज सकल। आजु तऽ हालत खराब बा। कलाबाजी के एह दौर में अपना मूल्य आ आदर्श पऽ जीये वाला कलाकार बहुते कम बाड़ें। एह मुरझाइल समय में… अपना देश, अपना शहर, अपना माटी आ कला खातिर ई अथाह प्रेम रखे वाला एह सभ के छोडि़ के चलि गइल।

आजु के लोग के पते नइखे कि बिस्मिल्लाह खां भइला से मतलब बिना छल-प्रपंच वाला आदमी होखे से बा, जेकरा ना मंदिर से मतलब बा आ ना मस्जिद से, ना हिंदू से ना मुसलमान से। काहे कि सुर के ना जात होला ना धरम। एगो फक्कड़ भइला के मतलब होला, जेकरा ना दौलत से मतलब होखे ना वैभव से। बस सादगी के मूर्ति होखले ढेर बा। जवना में एकदमे सहजता बावे। अपना संगीत के काम में तहजीब के तरजीह दिहल बा। एगो अइसन हीरो बने के बा, जेकरा से आवे वाला पीढ़ी प्रेरणा लेवे। जे गंगाजल से वजू कऽ के नमाज पढ़त होखे अउरी सरस्वती के मन में राख के शहनाई के राग फूंकत होखे, तऽ ऊ केतना सागदी के प्रतिमूर्ति होई, ई समझल कवनो मुश्किल नइखे।

एने जब कुछ लोग देशभक्ति अउर देशद्रोह के रोज नया-नया परिभाषा बनावे में लागल बा… कुछ लोग के दशरथ मांझी के बदले रोहित वेमुला में हीरो लउकत बा। अब्दुल हमीद, अब्दुल कलाम, बिस्मिल्लाह खां के बदले अफजल, याकूब अउर उमर खालिद हीरो लागत बाड़े तब हमनी के जिम्मेवारी अउर बढि़ जात बा कि हमनी के हीरो के असली परिभाषा से सबका के परिचित कराईं जा। देशहित में हमनी के अपना घर, परिवार आ अपना लइकन अउर आवे वाला पीढ़ी के बताइ जा कि हमनी के असली हीरो के हवे।

(लेखक चर्चित ब्लॉगर आ संगीतकार हईं। इहां के पहिला उपन्यास शीघ्र प्रकाशित होखे वाला बा।)

 

Hey, like this? Why not share it with a buddy?

Related Posts

Leave a Comment

Laest News

@2022 – All Right Reserved. Designed and Developed by Bhojpuri Junction