राउर पाती

April 4, 2020
राउर पाती
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अइसन समुहतांके ना देखनी : वैचारिक संपदा से लबरेज हम भोजपुरिआ

मान्यवर, रोज-रोज के प्रणाम। पाक्षिक ई-पत्रिका ‘हम भोजपुरिआ’ के समहुतांक के संपादकीय बढ़िया लागल। आजु के दौर में अइसे त भोजपुरी भाषा के बहुत पत्रिका निकल रहल बाड़ी स। आ ओकरा माध्यम से नीमन-नीमन कामो हो रहल बा। बाकिर दुख एह बात के बा कि कुछ पत्रिका साहित्यिक अवदान के मिशन आ सार्थक बहसन के दरकिनार क के ‘बांझ विमर्श’ आ व्यक्ति केंद्रित विवादन में अझुरा के रह गइल बाड़ी स। अइसन माहौल में ‘हम भोजपुरिआ’ के अइसन संकल्प आशान्वित करत बा-“भोजपुरी के थाती, भोजपुरी के धरोहर, भूलल बिसरल नींव के ईंट जइसन शख्सियत से राउर परिचय करावे के बा। ओह लोग के काम के सभका सोझा ले आवे के बा। अउर नया पीढी में भोजपुरी खातिर रूचि पैदा करे के बा। नया-पुराना के बीच सेतु के काम करी ‘हम भोजपुरिआ’। देश-विदेश के भोजपुरिअन के कनेक्ट करी ‘हम भोजपुरिआ’। साझा उड़ान के नाम ह ‘हम भोजपुरिआ’…। हम मतलब हमनी के सब। सभकर साथ, सभकर विकास…। आईं साथे चलीं…सहयोग करीं… आगे बढीं…उड़ी आ आकाश के छू लीं…।”

‘हम भोजपुरिआ’ के समहुतांक’ महात्मा गांधी विशेषांक’ देखि के बहुत खुश भइल, बहुते साफ सुथरा, झक-झकात सुरूचिपूर्ण अंक। ओकरा साथे ओकर संयोजन निहायत नया तरीका के बा,जवन बहुते आकर्षित करता। महात्मा गांधी पर मौलिक सार्थक आ संग्रहणीय सामग्री अतना सुरुचिपूर्ण देखि के बुझाइल कि भोजपुरी में एगो अवरु उल्लेखनीय पत्रिका के शुभारंभ भइल बा। एगो लंबा अरसा के बाद भोजपुरी में अतना स्तरीय साहित्यिक पत्रिका प्रकाशित भइल। रउआ जवना तरह से उन्नीस स्तंभन में बांटि के एक सौ एकावन पृष्ठन में ‘हम भोजपुरिआ’ पत्रिका के समहुतांक खाड़ कइले बानी ऊ भोजपुरी के साहित्यिक पत्रकारिता में एगो अभिनव प्रयोग बा। भूमंडलीकरण, बाजारवाद आ संचार माध्यमन के एह जुग में ‘हम भोजपुरिआ’ जइसन साहित्यिक पत्रिका ही सार्थक हस्तक्षेप कर सकतिआ। अपना जिनिगी के सतरवां बसंत आ पतझड़ देखत हमरा ई कहे में तनिको गुरेज़ नइखे कि हमरा उम्मीद से कहीं अधिका सुविचारित, सुसंपादित, लोकतांत्रिक, सृजनात्मक आ वैचारिक संपदा से लबरेज ‘हम भोजपुरिआ’ के ई समहुतांक बा। पूत के पांव पलने में चिन्हा जाला कि ई कवना खेत के होरहा होइहें। हमरा पूरा विश्वास बा, ई पत्रिका आगा चलि के भोजपुरी भाषा के अपना उचित पीढ़ा प बइठा दी।

कहल जाला- “हाथ कंगन के आरसी का ?” विश्व के महान विद्वान चिंतक पिंडर जी एक जगह कहले बानी-“चर्चा न की जाए तो हर महान कार्य एवं कृति की मौत हो जाती है…।” हमरा पतरी में अगर रउआ कुछ अतिरेक बुझात होखे त भोजपुरी भाषा के ई-लाईब्रेरी’ भोजपुरी साहित्यांगन’ के साइट डाउनलोड करीं आ पूरा पत्रिका ‘हम भोजपुरिआ’ सरसरी निगाह से अवलोकन करीं, तब राउर सभ इमकान अहथिर हो जाई…।

हमार आलेख ‘चम्पारण सत्याग्रह, महात्मा गांधी आ बत्तख मियां’ एह समहुतांक में प्रकाशित कइनी, हम राउर आभारी बानी आ रउआ के जोड़ा कलसुप भ धन्यवाद दे तानीं। भोजपुरी ई-लाईब्रेरी ‘भोजपुरी साहित्यांगन’, पटना खातिर एक प्रति ‘हम भोजपुरिआ’ समहुतांक भेजे के कृपा कइल जाई। खुशी होई। ‘हम भोजपुरिआ’ के एगो अंक हमरा मिलल बा। एगो अनार आ सई गो बेमार। हम त हम। केकरा के दीं आ केकरा के ना दीं बुझाते नइखे। रउए हमरा एह समस्या के हल निकाल सकतानी। शेष कुशल बा। विश्वास बा,रउआ स्वस्थ-प्रसन्न रहि के सृजनरत होखबि। रउआ दीर्घायु जीवन आ ‘हम भोजपुरिआ’ के उतरोत्तर भविष्य के शुभ मंगल कामना करत… प्रेम के साथे…

 कृष्ण कुमार,
                                      आरा, बिहार  

सधल संपादन खातिर शुभकामना

‘हम भोजपपुरिआ’ पत्रिका के 15 मार्च वाला अंक पढ़नीं। एकर साजसज्जा, विषयवस्तु के चयन, प्रिंटिंग आदि सब देख पढ़ के संतुष्टि मिलल, दरअसल पढ़ला के सुख अलगे होला। रेडियो सुन के पढ़े के मन करे ला बाकिर टीवी देख के किताब सामने धईले रह जाला बाकिर ई पत्रिक हम एक सुर से पढ़ गइनी। ई एकरा सधल सम्पादन के श्रेय बा। हमार शुभकामना बा कि ई पत्रिका अपना उच्च लक्ष्य की ओर बढ़त जाव आ पत्रिकन के संसार में मान सम्मान पाओ।

मंजूश्री 
बरौली, गोपालगंज,बिहार

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