जारी बा कोरोना से जंग

April 5, 2020
सुनीं सभे
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लेखक : रवीन्द्र किशोर सिन्हा

कहल जाला कि कष्ट आ संकट में पड़ोसी सब के एक-दोसरा के संगे खाड़ हो जाए के चाहीं। संकट के स्थिति में पुरान गिला-शिकवा भुला देवे के चाहीं। दुनिया में आतंक अउर भय के पर्याय बन चुकल “कोरोना वायरस” सार्क देशन के एक बेर फेर साथे खड़ा क देले बा। चलीं, कम से कम एही कोरोना के बहाने साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (सार्क) के सदस्य देश भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान मालदीव आ आफगानिस्तान साथे-साथे त आ गइले।

कोरोना के चुनौती के मुकाबला करे खातिर अब सभ सार्क देश मिल-जुल के एगो एक्शन प्लान बनावे जा रहल बाड़ें। नीमन बात ई बा कि ई पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से भइल बा। एह पहल के सार्क के सभ देश स्वागतो कइले बाड़ें। उ भारत के संगे एह से खाड़ होखे के चाहत बाड़न, काहेकि कोरोना वायरस से लड़े खातिर भारत सरकार अभूतपूर्व कदम उठा के पूरा दुनिया के सामने ई सिद्ध क देले बिया कि देश एकरा से लड़े खातिर पूरी तरह से तइयार बा। हं, सरकार जनता से आग्रह जरूर कइले बिया कि सभ प्रकार के एहतियात आ सावधानी बरतल जरूरी बा अउर बेहद जरूरी ना होखे त केहू घर से बहरी मत निकलो। पूरा देश में लॉकडाउन के घोषणा हो गइल बा। घर में रहले एह कोराना से बचे के सबसे अचूक दवाई बा। कोरोना वायरस के ले के घबराए के कवनो जरूरत नइखे। सावधानी बरते के जरूरत बा। जब चीन में फइलल कोरोना वायरस के लेके विश्व स्वास्थ्य संगठन ग्लोबल इमरजेंसी घोषित कइलस, त ओकरा पहिलही से भारत अलर्ट मोड पर आ गइल रहे। केन्द्र अउर राज्य सरकार मिल के कोरोना वायरस से दिन-रात लड़ रहल बा। हर अस्पताल के चौबीसों घंटा मॉनिटरिंग कइल जा रहल बा। देश के 21 एयरपोर्ट प 17 जनवरी के बाद से  5,89,438 यात्रियन के स्क्रीनिंग हो चुकल बा एकरा अलावा देश के अंदर करीब 65 गो छोट आ 12 गो बड़ बंदरगाह बा, जहवां 15,415 यात्रियनो के स्क्रीनिंग हो चुल बा। 26 मार्च तक देश में कोरोना मरीजन के संख्या 656 तक पहुंचल रहे त 47 गो मरीज ठीको भइले आ एह बीचे 16 मरीजन के मौत हो गइल बा।

जाहिर बा कि कोरोना के खतरा से भारत जे तरे लड़ रहल बा, ओकरा के सार्क देश गौर से देख रहल बाड़न। ओह सब के भरोसा बा कि ऊ भारत के नेतृत्व में सुरक्षित बाड़न । जवना दिन पहिला केस नेपाल में सामने आइल रहे, तबे यूपी आ उत्तराखंड, बिहार, सिक्किम आ नेपाल सीमा से सटल जगहन प 10 लाख से जादा लोगन के स्क्रीनिंग हो चुकल रहे। कोरोना वायरस के लेके ग्रामसभा सब में भी जागरूकता अभियान भारत सरकार चलवले बिया। देश के अंदर 51 गो बड़ लैब स्थापित भइल बा, जवना के बढ़ा के 71 गो कइल जा रहल बा। संगे-संगे कुछ निजी लैब सभन के भी जांच करे के अनुमति मिल गइल बा।  

हालांकि पूरा दुनिया के देश अपना पड़ोसियन के साथे परस्पर सहयोग के महत्व के समझत बाड़ें, बाकिर एह मोर्चा प दक्षिण एशियाई देशन में कवनो सुधार नजर ना आवत रहे। बहरहाल, कोरोना इन्हन के एक संगे खाड़ होखे के एगो अवसर देले बा। अभी तक सार्क देशन में ई निराशाजनक स्थिति खातिर अकेला पाकिस्तान मुख्य रूप से दोषी रहल बा। पाकिस्तान के आतंकवाद के खाद-पानी देवे के नीति के कारणे ओकरा से भारत, ईरान आ अफगानिस्तान नाराज रहेला ।

बहरहाल, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री मोदी के प्रस्ताव प सराकारात्मक प्रतिक्रिया देके एगो बेहतर संदेश त देलही बाड़न। भारत एकरा खातिर एगो फण्ड बना के दस मिलियन अमरीकी डॉलर ओकरा में अपना तरफ से दान क देले बा। सभ सार्क देश ई मनले कि घातक कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न खतरा के कम करे खातिर समन्वित प्रयास के जरूरत बा। बहरहाल, सार्क देशन के कोरोना से मिल के लड़े के क्रम में सबसे पहिले देश के जनता के एह बीमारी से बचावे के बारे में जागरूक करे के पड़ी, काहेकि अभी त एकरा से बचाव में ही भलाई बा। अब भारत,  पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, मालदीव आ अफगानिस्तान के अपना इहां सरकारी अस्पतालन के स्तर में सुधार ले आवे के दिशा में तत्काल अतिरिक्त प्रयास करे के होई। एह देशन में प्रशिक्षित डॉक्टरन के भी भारी कमी बा। नर्सन के भारी कमी बा। अस्पतालन के भारी कमी बा।

इलाज खातिर जरूरी उपकरणो के कमी बा। दवाइयन के कमी त नइखे बाकिर, दवाई महंगा एतना बा कि आम आबादी के पहुंच से बाहर बा। का ई सांच नइखे कि नवउदारीकरण के आंधी हर अन्य सेक्टरन के तरे हेल्थ सेक्टरो के कमर तुड़ के रख देले बा। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान आ मालदीव में कॉर्पोरेट आ प्राइवेट अस्पताल बाड़न, बाकिर एकरा में इलाज अतना महंगा बा कि गरीब त का आम मीडिल क्लास आदमियो इलाज से पहिले कई बेर सोचेला।

फिलहाल त कोरोना वायरस से लोग घबराइल बा, हल्का खांसी अउर छींक अइलो प लोग परेशान हो जात बा कि कहीं उनका कोरोना वायरस त नइखे घेर लेले। दिक्कत इहे बा कि नोवल कोरोना वायरस खातिर अबहीं तक कवनो दवाइए नइखे बनल। अइसे में एकर कवनो इलाजो नइखे मिलल। हालांकि भारत एह वायरस के रोके में आबादी के अनुपात में काफी हद तक सफल भइल बा। एह से भारत में यूरोप, चीन, इटली, ईरान, स्पेन आ अमेरिका के तुलना में कोरोना पीड़ितन के केस बहुत कम नजर आ रहल बा। चीने के आकड़ा देखल जाव त 80 प्रतिशत लोग अइसन बाड़न जिनका कोरोना वायरस के हल्का इंफेक्शन भइल, आ ऊ आम दवाई लेवे से आ घर में बंद हो गइला से ठीक हो गइलन। अगर हम भारत के बात करीं त इहां कोरोना वायरस के केस लगातार बढ़ रहल बा, बाकिर आहिस्ता-आहिस्ता। लगभग सारा केस विदेश से आइल लापरवाह लोगन के कारणे भइल बा, जे भारत आवते आपन जांच ना करवलस। एह बीच, सार्क देशन में चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञन के इहो विचार करे के होई कि काहे कोरोना वायरस के खत्म करे में दिक्कत हो रहल बा? कइसे एह तरह के महामारियन के रोकल जा सकत बा? खैर, कोरोना के मात देहला के बाद दक्षिण एशिया के देशन के मिल के गरीबी, निरक्षरता आ रुढ़िवादिता जइसन आपन दोसर मसलन के भी हल करे के होई।

सार्क देशन के आतंकवाद से भी मिलके लड़े के होई। ई त अब ले अपना देश में आतंकवाद के कुचले के सवालो प, एक संगे खड़ा नइखन भइल। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई आ एकरा के कुचले के सवाल प सार्क बइठकन में रस्मी तौर प प्रस्ताव त पारित होत रहल बा बाकिर कार्रवाई लगभग शून्य। अइसे में कमोबेश इहे कहल जा सकत बा कि सब दक्षेस (सार्क) देश आतंकी गतिविधियन से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़ल लोगन के गिरफ्तारी, उनका प अभियोजन आ उनका प्रत्यर्पण में सहयोग करिहें। एकरा में हर तरह के आतंकवाद के सफाया आ ओकरा से निपटे खातिर सहयोग के बड़ियार करे प जोर दिहल जाव। संगे-संगे इहो कहल जाव कि ई मुल्क अपना जमीन के इस्तेमाल आतंकी गतिविधियन में ना होखे दिहें। प्रस्ताव में आतंकवाद, हथियारन के तस्करी, जाली नोट, मानव तस्करी आदि चुनौतियन से निपटे में क्षेत्रीय सहयोग के बात कहल जात रहल बा। हालांकि कुल मिला के बात प्रस्ताव से आगे ना बढ़ेला। एह में व्यापार के क्षेत्र में सहयोग बढ़ावे के सख्त जरूरत बा। दक्षिण एशिया में आर्थिक वृद्धि में तेजी ले आवे में व्यापार सबसे महत्वपूर्ण औजार होई। कुल मिला के ई त कहले जा सकत बा कि दक्षिण एशिया में कोरोना से ले के आतंकवाद के खिलाफ लड़ल जाए वाला जंग के नेतृत्व भारते करी।

 (लेखक राज्यसभा सदस्य आ हिन्दुस्थान न्यूज एजेंसी के अध्यक्ष हईं।)

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