आखिर के के दीहल मौत के सौदागर तब्लीगी जमात के संरक्षण ?

April 18, 2020
सुनीं सभे
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लेखक – आर. के. सिन्हा 

जब तब्लीगी जमात के काला करतूतन के काला चिट्ठा खुलो त ओह राजनेतन आउर स्थानीय निकाय के बाबू लोगन के भी छोड़ल ना जाव जे तब्लीगी जमात के आपन खुला खेल खेले के अनुमति देले रहे। ओह राजनेतन के नाव जाहिर होखे के चाहीं जे तब्लीगी जमात के बेशर्मी के साथे संरक्षण देत आइल बा।

कोराना वायरस के रास्ते देश के मौत के मुंह में ढ़केले के कथित रूप से साजिश करे वाला तब्लीगी जमात के जदि आज देश में अतना लंबा चौड़ा जाल बिछल बा त एकरा पीछे सियासी लोगन आउर सरकारी-अफसरन के भी हाथ जरूरे होई। तब्लीगी जमात त कतई विशुद्ध धार्मिक संगठन नइखे। जदि तब्लीगी जमात के कठघरा में खड़ा कइल जात बा त एकर कवनो-ना-कवनो ठोस वजह भी होई। ना त एकनी से केहू के भी कवनो निजी खुंदक काहे होई?

एक मिनट खातिर तब्लीगी जमात के हालिया हरकत के बात नइखी करत, जेकरा कारण सउंसे देश में कोरोना वायरस के रोगी के आकड़ा अचानके बढ़ गइल अउर बढ़ते जाता। ओकरा में से कई गो के मौत भी हो चुकल बा। ई सभ बेशक दुखद भी बा आउर शर्मनाक भी। बाकिर एगो सवाल पूछे के मन करत बा कि राजधानी के अति महत्वपूर्ण इलाका निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात के मरकज यानी मुख्यालय के बने देहल ? जदि रउआ एह मरकज के इमारत देखले बानी त रउरा खुदे कहेम कि ई मेन  रोड से भी आगा बढ़त चलल जा रहल बा। ई बस्ती हजरत निजामुद्दीन में लगभग दू हजार वर्गमीटर के प्लॉट प खड़ा बिया। एमें दू गो बेसमेंट, ग्राउड़ फ्लोर के अलावा छ गो ऊपरी मंजिलो बा, जेकर ऊचांई 25 मीटर बा, जहंवा हजारो जमात कार्यकर्ता के रहे के व्यवस्था होखेला आउर प्रत्येक दिन हजारो लोग के आवाजाही रहेला। प्रख्यात वकील आ  मुस्लिम सहर फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री मसरूर हसन सिद्दिक़ी के कहनाम बा कि ‘’वर्ष 1992 में मरकज के ढाई मंजिल इमारत बनावे के नक्शा दिल्ली नगर निगम से पास भइल रहे। मरकज के ना बलुक एगो मदरसा के। बाकिर 1995 आवते-आवते दू गो बेसमेंट आउर छव गो ऊपरी तल के साथे आलीशान इमारत कइसे बन गइल। कइसे? ई मुमकिन भइल होई राजनीतिक असर आउर प्रभाव के इस्तेमाल क के, पुलिस, दिल्ली नगर निगम, दिल्ली फायर सर्विस आउर लोकल लोगन के मिलीभगत से।‘’

गौर करीं कि तब्लीगी जमात मुख्यालय से सटल बा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के कई गो संरक्षित स्मारक। ओकरा में चौंसठ खंबा स्मारक भी बा। ई 1623-24 के दौरान बनावल गइल एगो  मकबरा ह। एकरा नामे से साफ बा ‘’64 स्तंभ बा। ई ओह समय बनावल गइल रहे जब मुगल सम्राट जहांगीर दिल्ली प शासन कइले रहे। त कायदे से देखल जाव त एएसआई के ओर से संरक्षित एह तरह के स्मारक के 100 मीटर में कवनो निर्माण कार्य ना हो सकत रहे। बाकिर मरकज के बिल्डिंग बन जात बा। कइसे? जाहिर बा कि ई बिना सरकारी अफसरन के भ्रष्टाचार के खड़ा ना हो सकत रहे। इहो पता करे के होई कि मरकज के प्रबंधन नियमानुसार एएसआई के अनुमति लेले रहे कि ना। जदि ई अनुमति नइखे लेले त ढाई मंजिली इमारत के नक्शा कइसे पास हो गइल?

का सरकारी अफसरन प आरोप लगावत हमनी के ओह दौर के सरकार आउर राजनेतन के माफ क दी जा जेकरा आशीर्वाद से ई बनल। बेशक ना। सवाल आउर भी बा। पिछला साल दिल्ली के करोलबाग के अर्पित पैलेस होटल में आग लागल रहे। जेकरा में बहुते लोगन के जान चल गइल रहे। सारा दिल्ली दहल गइल रहे ओह अग्निकांड से। तब दिल्ली अग्निशमन विभाग राजधानी के सभ होटलन, गेस्ट हाउसन आ धर्मशाला, जहवां मुसाफिर रुकत रहलें, ओकर निरीक्षण कइलस आउर आग आ आपदा के स्थिति से निपटे के इंतजाम करे के कहलस। ऊ इहो निर्देश देले कि अनाधिकृत ऊपरी मंजिल, जे 15 मीटर ऊचांई से जादे बा, ओकरा के तुरंते हटा लीहल जाव। का तब्लीगी जमात के मरकज के अइसन कवनो निरीक्षण पुलिस, नगर निगम, दिल्ली फायर डिपार्टमेंट कइले रहे? जदि कइले रहे त मरकज का कारवाई कइलस? एह सवालन के जवाब त मौलाना साद के देवहीं के पड़ी !

जहवां मरकज के बिल्डिंग बा, ऊ रास्ता बहुते संकरा बा आउर आग भा कवनो भी आपदा के बेरी बहुते बड़ त्रासदी हो सकत बा काहे कि अग्निशमन गाड़ी ओजा बहुते मुश्किल से पहुंची। ओकरा चंद कदमन के दूरी प हजरत निजामुद्दीन आउर अमीर खुसरो के दरगाह आ गालिब अकादमी भी बा। इहवों बहुते आवाजाही रहेला।

काहे ना शिफ्ट हो मरकज

एह हालात में का तब्लीगी जमात के हेडक्वार्टर के कवनो बड़ खुला जगहा प शिफ्ट ना क देवे के चाहीं भा जहवां सभ कुछ ठीक तरह से हो, कवनो कानून के अवहेलना ना हो आउर सभ केहू सुरक्षित रहे? काहेकि कोरोना वायरस के फइलावे में तब्लीगी जमात के भूमिका साफ लउकत बा, एह से अब ओकरा   अध्यक्ष मोहम्मद साद से अतना अपेक्षा त केहू भी करी कि ऊ खुदे सरकार आ प्रसाशन से कहे कि ऊ मरकज के इमारत के कहीं आउरी शिफ्ट करे खातिर तइयार बा। एकर मतलब ई कतई नइखे कि तब्लीगी जमात के ओकरा अपराध आ पाप के सजा ना दिहल जाव। अब तकले जवना जमीन प मरकज के सात मंजिली इमारत खड़ा बीया, ओकरा से संबंधित कवनो कागज आ पास नक्शा के कॉपी भी नइखे मिलल। एकरा से ई शक तेजी से यकीन में बदलत जात बा कि मरकज अवैध सरकारी जमीन प खड़ा बा।

एगो बात साफ करेके चाहत बानी कि देश में मुसलमानन के बहुते अन्य संगठन सक्रिय बा आउर राष्ट्र निर्माण में आपन ठोस आ रचनात्मक योगदानो दे रहल बा। ओकरा में मुंबई के अंजुमन इस्लाम आ बोहरा मुसलमानन के तमाम संस्थान, लखनऊ के कई शिया संगठन शामिल बा। मुंबई में अंजुमन-ए-इस्लाम के बहुत सारा स्कूल-कॉलेज बा। फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार आ दिग्गज क्रिकेटर वासिम जाफर आपन पढ़ाई इहंवे से कइले बाड़न। एही तरे दिल्ली में यतीम बच्चन के शिक्षा देवे आ बेहतर नागरिक बनावे खातिर दरियागंज में ‘बच्चों का घर’ नाव के संस्थो उल्लेखनीय कार्य क रहल बीया। ऊ आपन 100 साल के सफरो पूरा क लेले बीया। अइसन मुस्लिम संगठनन प त कबो केहू उंगुरी नइखे उठइले। तब्लीगी जमात एह से निशाना प बीया काहे कि ओकर गतिविधि संदिग्ध आ शर्मनाक रहल बा। ई संगठन मानवता के नाव प कंलक बीया।

बहरहाल बात ई बा कि जब तब्लीगी जमात के काला करतूतन के काला चिट्ठा खुलो त ओह राजनेतन आउर स्थानीय निकाय के बाबू लोगन के भी छोड़ल ना जाव जे तब्लीगी जमात के आपन खुला खेल खेले के अनुमति देले रहे। जदि कवनो सरकारी बाबू, भले ऊ रिटायर हो गइल होखे, ओकरा खिलाफ ठोस साक्ष्य मिलत बा त ओकर पेंशन रोक दिहल जाव। फेर ओकरा खिलाफ केस चलो। उहो जेल के हवा खाव। एही तरे ओह राजनेतन के नावो जाहिर होखे के चाहीं जे तब्लीगी जमात के बेशर्मी के साथे संरक्षण देत आइल बा।

(लेखक वरिष्ठ संपादक आ स्तंभकार हईं।)

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