चीन तू अइसन काहे कइलs ?

May 2, 2020
सुनीं सभे
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लेखक : आर. के. सिन्हा

एक तरफ त संउसे विश्व कोरोना से दिन-रात लड़ाई लड़ रहल बा त दूसरा तरफ अमेरिका आ चीन शीतयुद्ध के रूख अख्तियार क रहल बा। सबसे पहिले डोनाल्ड ट्रम्प चीन के साथे पक्षपात आ चीन के तरफदारी के आरोप लगा के विश्व स्वास्थ्य संगठन के आर्थिक सहायता दिहल बंद क देलन। विश्व स्वास्थ्य संगठन के जेतना आर्थिक मदद साल भर में चाहीं ओकर एक तिहाई त अमेरिके देवेला। अइसन स्थिति में  विश्व स्वास्थ्य संगठन के सामने बड़ आर्थिक संकट उत्पन्न हो गइल बा। बाकिर राष्ट्रपति ट्रम्प अतने भर से ना रूकलन। ऊ कहलन कि कोरोना वायरस से मृतकन के संख्या में अमेरिका नम्बर एक नइखे। असली नम्बर एक त चीन बावे। ऊ मौत के संख्या छिपवले बा। डोनाल्ड ट्रम्प इहो कहलन कि अमेरिका त बुहान के चीनी लैब बुहान इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी में आपन जांच दल भेजी, जे एह बात के पुष्टि करी कि चीन अपना बुहान के लैब में कोरोना के वायरस तइयार कइले बा कि ना। जदि ई साबित हो गइल कि चीन के बुहान स्थित प्रयोगशाला में मानव निर्मित कोरोना के वायरस तइयार भइल बा, त अमेरिका चीन के एकर सबक भी सिखाई आ आर्थिक दंड भी वसूल करी। हालांकि, चीन के राष्ट्रपति एह सभ में से कवनो आरोप के ना त कवनो खंडन कइले बाड़न ना ही स्वीकार कइले बाड़न। मौन व्रत धारण कइले बाड़न। त हमनी किहां एगो कहावत मशहूर बा- “मौनम् स्वीकृति लक्ष्णम्।” कहीं ई स्वीकृति के लक्षण त नइखे। ई बात संदिग्ध त लागते बा। डोनाल्ड ट्रम्प कहलन कि जवन चीन में मरे वालन के संख्या बा, ऊ अमेरिका से कहीं ज्यादे बा। चीन आपन मृतकन के संख्या छुपावत बा। व्हाइट हाउस में आयोजित अपना प्रेस कांफेंस में डोनाल्ड ट्रम्प साफ-साफ कहलन कि हमनी के पहिला स्थान पर कत्तई नइखीं सन। चीन पहिला स्थान पर बा। मृतकन के संख्या के लिहाज से ऊ हमनी से कहीं आगे बा। हमनी के त उनका आसपास भी नइखीं। जब उच्च विकसित स्वास्थ्य प्रणालियन से देखभाल करे वाला देश ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, स्पेन में मृतकन के संख्या अतना अधिक रहे, त चीन में मात्र एक प्रतिशत से भी कम कइसे हो सकत बा, वास्तविक संख्या एकरा से कहीं अधिक बा। चीन के मृतकन के आंकड़ा के सच्चाई से कोसो दूर बतावत बाड़न ट्रम्प। उहां के पत्रकारन से कहनी- ‘’हम ई बात जानत बानी। रउओ लोग जानत बानी बाकिर रउरा लोग एकर ठीक से रिर्पोटिंग नइखी करे के चाहत।  पता ना काहे? मीडिया के ई सच्चाई बतावे के पड़ी। कहियो हम एकरा के जरूर बताइब। ट्रम्प के एतना सख्त बयान एगो खुफिया रिपोर्ट प आधारित बा जेकर हवाला देत ऊ कहलें कि चीन के आंकड़न के रिपोर्ट पूरा तरह संदिग्ध बा। चीन आंकड़न के छुपवले बा। एकरा से पहिलहूं कुछ अमेरिकी सांसद लोग चीन प आंकड़न के छुपावे के आरोप लगा चुकल बा।

एही बीच फ्रांस के वैज्ञानिक आ नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. लुक मोन्टाग्रियर स्पष्ट रूप से ई कहलन कि कोविड-19 माहामारी फइलावे वाला वायरस के उत्पत्ति त चीन के प्रयोगशाला बुहान इंस्टीच्यूट आफ वायरोलाजी में ही भइल बा। ई एगो मानव निर्मित वायरस बा। हालांकि ऊ लोग बतावल कि ई प्रयोगशाला एड्स के बेमारी के फइले से रोके वाला एचआईवी के वैक्सीन बनावे के खोज करत रहे आज से ना सन् 2000 से। इहे वैक्सीन बनावे के क्रम में ई वायरस उत्पन्न हो गइल, जेकरा के तत्काल चीन के छुपावे के चाहीं आ ओहीजे खत्म क देवे के चाहत रहे। बाकिर, लागत बा कि चीन एकरा के जैविक हथियार के रूप में प्रयोग करे के एगो  साजिश के तहत एह प्रयोग के जारी रखलस। फ्रांस के सी न्यूज चैनल के दिहल अपना इन्टरव्यू में नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. लुक बतवलन कि एचआईवी के जीनोम खोज खातिर उहां के नोबेल पुरस्कार मिलल बा। काहे कि, कोरोना वायरस में एचआईवी के जीनोम मौजूद बा, मलेरिया के कीटाणु के तत्वन के होखे के भी आशंका बा। उहां के दावा बा कि कोविड-19 में कोरोना वायरस के जीनोम में एचआईवी आ मलेरिया के तत्व बा। ई एह बात के सिद्ध करत बा कि एह वायरस के एचआईवी के जीनोम से संबंध बा।

एशिया टाइम्स में प्रकाशित एगो रिपोर्ट के अनुसार भी चीनी शहर बुहान के प्रयोगशाला के वर्ष 2000 से ही कोरोना वायरस में विशेषज्ञता हासिल हो गइल रहे। प्रो. लुक मोन्टाग्रियर के मेडिसीन में एड्स के वायरस के पहचान करे खातिर वर्ष 2008 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कइल गइल रहे। एही तत्वन के आधार पर उनकर कहनाम बा कि कोविड-19 वायरस के जन्म चीन के बुहान प्रयोगशाला में ही भइल बा। इहे बात अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कहलन आ इहे बात अन्य कई गो देश के वैज्ञानिक आ राष्ट्राध्यक्ष भी कह रहल बाड़ें। प्रो. लुक के कहनाम बा कि ई वायरस चमगादड़न के जरिये आइल बा आ उनकर इहो कहनाम बा कि एकर ‘’पेसेंट जीरो’’ यानि पहिला संक्रमित व्यक्ति एही लैब के एगो वैज्ञानिक रहे जे गलती से संक्रमित हो गइल रहे। एतना पुख्ता बात जदि कवनो नोबेल पुरस्कार विजेता कहता त अइसन त नइखे लागत कि ऊ बात हल्का होखी। बाकिर, एगो बात सही बा कि वायरस के फइलवला के बाद लगभग एक सप्ताह तक ले चीन के प्रशासन एह वायरस के संक्रमण के बारे में विश्व के त छोड़ी दीं अपना नागरिकन तक के ना बतवलस। जे समय ई वायरस उत्पन्न भइल, चीनी नव वर्ष के समय रहे। चीनी नव वर्ष चीन के नागरिकन भा चीन में पैदा भइल कवनो भी व्यक्ति चाहे ऊ सिंगापुर के नागरिक होखे भा अमेरिका के नागरिक होखे, बहुते धूमधाम से मनावेला। चीनी नव वर्ष मनावे खातिर हजारन के संख्या में लोग यूरोप आ अमेरिका घूमे गइले आ इहे कारण बा कि ई वायरस तेजी से अमेरिका आ यूरोप में भी फइलल। चीनी प्रशासन ई बात के माने खातिर अभियो तइयार नइखे। अब समस्या ई बा कि डोनाल्ड ट्रम्प के साख जे पहिलहीं से खराब रहल, अब अउरी गिर गइल बा। अगिले साल उनका राष्ट्रपति के चुनावो लड़े के बा। अइसन स्थिति में उनकरा सामने फेर सत्ता में वापस आवे खातिर शायद अब इहे उपाय बच रहल बा कि ऊ चीन के साथे सख्ती अपनावस। एकरा से अमेरिकी नागरिक खुश होइहें। बाकिर, समस्या ई बा कि चीन जदि ओह सख्ती के जवाब भी सख्ती से दे दी त तिसरका  विश्वयुद्ध के आशंका बा। बाकिर डोनाल्ड ट्रम्प जे प्रकार के जिद्दी स्वभाव के इंसान बाड़न, ऊ का करिहें आ कब करिहें ई त सर्वथा अनिश्चित बा।

जब कोरोना वायरस फइलल त चीन त सख्ती से लॉकडाउन के नियमन के पालन करवा के, कर्फ्यू लगा के आ जे तरह के कड़ाई कइलस, अंदेशा आ ओकर आभासो भारत भा अमेरिका में लोग नइखे कर सकत, ओइसन कड़ाई कके कवनो तरह कोरोना प काबू पाइये लेलस। अब चीनी नागरिकन प के तरे के कड़ाई भइल, ओकर कई गो वीडियो भी वायरल भइल बा। एह से हम त ओपर कुछ ज्यादा नइखी कहल चाहत। बाकिर, जब कोरोना प चीन विजय पा लेलस त चीनी प्रशासन के शातिर दिमाग ई सोचलस कि काहे ना एह चुनौती के अवसर में बदल दिहल जाव। एकरा खातिर धड़ल्ले से आ धूमधाम से लाइटिंग आउर आतिशबाजी के शो कके कार्य कइल शुरू क दिहलस। कोरोना पैदो चीन कइलस आ अब कोरोना के मास्क आ व्यक्तिगत सुरक्षा के किट (पीपीई) सहित भेंटिलेटर पूरा विश्व के धड़ल्ले से बेचियो रहल बा। इहे डोनाल्ड ट्रम्प के बुरा तरह खल गइल।

चीन चाहत बा कि एह अवसर के लाभ उठा के ऊ विश्व के नम्बर एक आर्थिक ताकत बन जाव। अमेरिका कवनो कीमत प ई होखे देवे के नइखे चाहत। चीन में कम्युनिष्ट तानाशाही बा। एके गो पार्टी के शासन बा, आ अत्यंत सख्त शासन बा। छोटी चुकी बात प गोली मार देहल त आम बात बा। बाकिर, चीन के मजेदार बात जे बा, सारा लोग ना जानत होई। चीन अपना के कम्युनिष्ट कहेला त जरूर, बाकिर चीनी शासन जेतना बड़ पूंजीवाद व्यवस्था के समर्थक बा, शायद ओतना अमेरिको नइखे। चीन के जेतना कंपनी बा, छोट भा बड़, सरकारी त ओकर शत प्रतिशत बड़ले बा, जदि ऊ प्राइवेट कंपनियो बा, तबो 30 प्रतिशत, 40 प्रतिशत, 45 प्रतिशत कई मामलन में त 51 प्रतिशत से जादे चीन के कम्युनिष्ट पार्टी के ही शेयर बा। यानि एक तरफ त ऊ अपना के कम्युनिष्ट कहेला आ दोसरा तरफ कंपनियन के कमाई से प्राप्त धन के अपना पार्टी के आ अपना पार्टी के पूर्णकालिक कार्यकर्ता लोगन के आउर पार्टी के कार्यक्रम के सारा खर्च ओकरे से चलावेला। भारत में कई गो चीनी कंपनी के बड़ा भारी निवेश बा। अब भारतो अपना एफडीआई यानि कि फॉरेन डायरेक्ट इंभेस्टमेंट के छूट देले बा। कवनो तरह के कंपनी में रउआ 49 प्रतिशत तक ले पूंजी लगा सकत बानी। कवनो तरह के कंपनी में रउआ 75 प्रतिशत तक ले पूंजी लगा सकत बानी आ कवनो तरह के कंपनी में 100 प्रतिशत। बाकिर जब एह कोरोना वायरस के संक्रमण काल में पूरा विश्व के शेयर बाजार नीचे गिरल त ओकर फायदा चीन आ चीन के कम्युनिष्ट पार्टी उठावल शुरू क दिहल। लगभग सभ देशन में चीन के प्रशासन आपन कंपनियन के माध्यम से, आपन एजेंट लोग के माध्यम से अच्छा-अच्छा कंपनियन में पूंजी लगावल शुरू क दिहल। बाकिर, भारत के प्रशासन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाला प्रशासन सजग रहे आ सचेत रहे। जब चीन एचडीएफसी बैंक में आपन शेयर बढ़ावे के चाल चलल, त भारत सरकार तुरंत आपन एफडीआई के नियमन में बदलाव करत एगो नया कानून बनवलस कि जवन-जवन देश के सीमा भारत से मिलत बा जइसे श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, म्यामार आ चीन, ओह देशन के कवनो भी एफडीआई, कवनो भी निवेश जदि ऊ भारतीय कंपनियन में करे के  चाहत बा त ऊ बिना भारत सरकार के पूर्वानुमति के ना हो सकेला। एकरा से चीन त खलबला गइल। ओकरा पूंजी निवेश के नियमन में अइसन बदलाव के आशंका ना रहे। ऊ त एह चक्कर में रहे कि चलs एही बहाने भारत के कुछ अच्छा कंपनियन के हथिया लिहल जाये। बाद में शेयर बाजार त ठीक होखबे करी। तब मजा कइल जाई। एह तरे चीन, चीन के नई दिल्ली स्थित दूतावास छटपटाहट में ई बयान देलस कि ई त बड़ ज्यादती हो रहल बा। भारत वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के नियम के उल्लंघन क रहल बा। बाकिर, भारत कहलस कि भाई जे भी हमार सीमावर्ती देश बा, हमनी के उनका साथे कवनो प्रकार के राजनीतिक, आर्थिक संबंध रखीं सन, ई निर्णय करे के पहिले हमनी के सबसे पहिले राष्ट्रीय सुरक्षा के ध्यान राखे के पड़ी। काहे कि हमनी के राष्ट्रीय सुरक्षा से कवनो समझौता नइखीं कर सकत स। अब चीन मुश्किल में पड़ल बा। बाकिर, चीन के अभियो मंशा इहे बा कि कवनो प्रकार से डोनाल्ड ट्रम्प के मात दे दीं आ विश्व के नम्बर एक आर्थिक शक्ति बन के उभरी आ डोनाल्ड ट्रम्प ई कवनो तरह से होखे देवे खातिर तइयार नइखन। अब देखीं लोग आगे का होता।

(लेखक पूर्व राज्यसभा सांसद आ हिन्दुस्थान समाचार समूह के अध्यक्ष हईं)

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