संग्रहणीय अंक बा
सबसे पहिले त हम ” हम भोजपुरिआ ”के संपादक अउर पूरा टीम के खचोला भर बधाई देब कि अब तक ले छव गो अंक निकलल आ उ छवो अंक भोजपुरिआ रंग राग आ साहित्य से भरल अनुभव के चासनी मे बुड़ल संग्रहणीय अंक बावे। हर अंक के साथे एगो नया ऊंचाई छुवत, नया आकाश खोजत, गुणवत्ता के एगो नया पहचान गढ़त भोजपुरी भाषा, साहित्य, क्षेत्र, लोग, इतिहास, संस्कृति, संस्कार, लोक पर्व आ लोक से जुड़ल हर चीझू के प्रचार-प्रसार आ ओके अउरी बरिआर करे में ई पत्रिका के प्रयास सराहनीय बा ।
फिलहाल हम बात करब तिसरका अंक बाबू वीर कुँवर सिंह विशेषांक पर। ई अंक में सब रचना नयापन लेले बा। चाहे उ ताज़ा मसला कोरोना होखो भा भोजपुरिआ प्रांत के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान हीरो बाबू वीर कुँवर सिंह के जिनगी के कुल पहलू होखो। सन 1857 के आजादी के पहिला लड़ाई में बाबू वीर कुँवर सिंह के दमदार भूमिका के इतिहास में बहुत सीमित चर्चा भइल बा उ त भोजपुरिआ प्रांत के लोकगीतन अऊर कथा कहानी उनका के अमर कइले बा। एह अंक में प्रकाशित नीरज जी के कहानी “थाती“ में मेहरुनिसा अऊर कुँवर सिंह के प्रेम प्रसंग अऊर उनकर दहिना हाथ मैगर सिंह के बारे में हम बिलकुल अनभिज्ञ रहनी। ई विशेषांक के मार्फत हम उनकर हर पहलू से भली भांति परिचित भइनी। सब आलेख एक से बढ़ के एक बा। एह अंक में हमार कहानी के भी स्थान मिलल ई हमरा खातिर सम्मान के बात बा। हम आभारी बानी “ हम भोजपुरिआ टीम ” के। हम कामना करब कि ई पत्रिका हार्ड कॉपी के रूप में हाथे आओ ताकि एकरा के संग्रहीत कइल जा सके ।
अंत में हम फेर से संपादक महोदय अऊर उनकर टीम के बधाई अऊर साधुवाद देत बानी आ कामना करsतानी जे एही तरह डेगे डेग ई पत्रिका आगे बढ़त रहो ।
सरोज सिंह, वरिष्ठ लेखिका,
लखनऊ
हम भोजपुरिआ के वीर कुँवर सिंह विशेषांक अलग छाप छोड़Sता
हम भोजपुरिआ नाम से पाक्षिक ई-पत्रिका निकाल के रउआ भोजपुरी पत्रकारिता के इतिहास में एगो महत्तवपूर्ण काम कइलीं। एकरा खातिर बधाई। अतना कम समय में लोकप्रियता के मथेला बनल एह पत्रिका के बनावे में हम रउआ मेहनत, दृढ़संकल्प आ कल्पनाशीलता के सराहल आपन दायित्व समझsतानी। एकर हर अंक सराहनीय आ संग्रहणीय बा। जब हम वीर कुँवर सिंह विशेषांक पढलीं त मन गद्गद हो गइल। बाबू वीर कुँवर सिंह पर हिन्दी आ भोजपुरी में कई गो विशेषांक निकलल ओह में से अधिकांश के पढ़े के सौभाग्य हमरा के मिलल। राउर ई विशेषांक ओह सभ में आपन एगो अलग छाप छोड़ता। ‘लोक बनवले बा बाबू कुँवर सिंह के इतिहास पुरूष’ नाम से लिखल संपादकीय में एक तरफ सारगर्भित तथ्य बा, त दोसरा ओर जनमानस के प्रति अटूट विश्वास। डॉ. सुनील कुमार पाठक, डॉ. जयकांत सिंह ‘जय’, डॉ. ब्रजभूषण मिश्र, आनन्द संधिदूत, मनोज भावुक के आलेख जहां वीर कुँवर सिंह के त्याग, बलिदान आ शौर्य के शोधपरक तथ्य उपस्थित क रहल बा, ओहिजें डॉ. नारज सिंह के कहानी ‘थाती’ आ सरोज सिंह के कहानी ‘हम सिंहन के सिंह, शूरवीर कुँवर सिंह’ ओह महानायक के अंतरंगी जीवन के जीवंत दस्तावेज के प्रस्तुतीकरता हृद्य के गहराई में उतर जाता। एह लोग के बहुते बधाई । डॉ. प्रभाकर पाठक जी के शाहावाद के शेर कविता ओज के चारा प्रवाहित क देता। सुनीं सभे में , आर. के. सिन्हा जी तबलीगी जमात के बढ़िया से क्लास लेले बानी
कुल मिलाके ई अंक अतना बढ़िया निकलल बा कि कालांतर में शोधार्थियन खातिर ई मील के पत्थर साबित होई। एक बेर फिर बधाई ।
राउर आपन
डॉ. गुरू चरण सिंह,
अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मलेन, पटना