संपादक : मनोज भावुक
चाहे करगिल होखे भा कोरोना भोजपुरी समाज हमेशा ललकारत रहल बा। एह से केहू एह भरम में मत रहो कि भोजपुरी खाली एगो मीठ भाषा ह। अरे मीठ ओकरा खातिर ह जे विनम्रता से, सभ्यता से, प्रेम से मिले आ व्यवहार करे ना त ई अगिया बैताल भाषा ह। विरोध, प्रतिरोध आ हुँकार के भाषा ह। चाहे आजादी के लड़ाई होखे भा केहू के साथे अन्याय के विरोध भोजपुरिआ हमेशा आगे रहल बाड़न। अतने ना इनका दोसरो के झगड़ा में टांग फँसावे में मजा आवेला। ई तटस्थ रह के मजा नइखन ले सकत। एह पार भा ओह पार। बीचबिचवा ना। रिश्ता-नाता में भी इनकर “भर बाँहि चूड़ी, ना त फट देना राँड़”… वाला हिसाब-किताब रहल बा।
एने आदमी कोरोना से लड़ाई लड़ते बा तले चीन आपन पेंच-खुरपेंच शुरू कर देलस। दरअसल भारत अउर चीन के बीच सीमा विवाद के मामला करीब 6 दशक पुरान बा। मामला सलटावे के भारत हमेशा कोशिश कइलस बाकिर चीन छटकत रहल। कबो लद्दाख, कबो अक्साई चिन, कबो तिब्बत त कबो नेफा (आरुणाचल), त डोकलाम आ सिक्कम। माने, चीन हर तरफ से जमीनी सीमा के उल्लघंन करे से बाज ना आइल। भारत आ चीन के बीच कई इलाकन में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) स्पष्ट नइखे। झगड़ा के इहे जड़ बा। त अबकी चीन के उपाय होता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल आ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत के साथ बैठक कs के तय कइनी हँ कि चीन जवना भाषा में बात समझे, ओकरा के ओही भाषा में समझावल जाए।
रउरा सभे के मालूमे बा कि चीन प अमेरिका गभुआइले बा, ताइवान आ हॉन्गकॉन्ग दुनों देश पितपिताइले बाड़न स अउर सउँसे दुनिया में कोरोना फइलावे के ओकरा साजिश से सब देशवे ओकरा प बिखियाइल बा, पाकिस्तान आ नेपाल जइसन इक्का-दुक्का देश के छोड़ के। मतलब सउँसे दुनिया खातिर चीन आज दुश्मन बा। जाहिर बा भारत के ताकत वैश्विक दोस्ती के मामला में भी बढ़ते बा।
देखीं, भितरिया बात ई बा कि ” कोरोना के लेके चीन खँचड़ई त कइलहीं बा। अब जब सउँसे दुनिया ओकरा के कटघरा में खड़ा कइले बा त हालत खराब बा। ओही में जब भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन के डब्लूएचओ के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार सउँपल गइल त ओकरा किडनी प अउर जोर पड़े लागल। ओकरा लागल कि अब भारत त माटी कोड़ दी। फेर दुनिया के ध्यान भटकावे आ जाँच के प्रभावित करे खातिर चीन ई पैंतरा अपनवले बा।
एगो समय रहे जब हिंदी-चीनी भाई-भाई के नारा बुलंद होत रहे। भारत चीन पर आँख मूँद के विश्वास करे लागल रहे। तब, दोस्ती के पीठ पर दगाबाजी के छुरा घोंप देले रहे चीन। बाकिर तब 1962 रहे। अभी 2020 चलsता। मोदी के नेतृत्व वाला भारत। दगाबाज ड्रैगन ई बात खूब अच्छा से बुझsता। … बाकिर दगाबाजी के आदत से लाचार बा। सैटेलाइट से मिलल तस्वीरन से ओकर दोहरा चरित्र उजागर हो गइल बा। एक तरफ चीन शांति के बात करsता आ दूसरा तरफ हमला करे के तइयारी करsता। भारत इशारा में समझा देले बा- दगाबाज ड्रैगन सावधान !
एने नेपाल चीन के दबाव में आके भारत के कुछ भाग के अपना नक्शा में शामिल कर लेले रलs बाकिर तुरंते ओकरा अपना गलती के एहसास भइल आ उ आपन नया नक्शा वापस ले लेलस। भगवान करस नेपाल के बुद्धि ठीक रहे। अगर उ चीन के इशारा प नाची आ चढ़वला प छउँकी त गेहूँ के सङहीं घुन लेखा पिसा जाई। भारत आ नेपाल के बीच रोटी-बेटी के संबंध बा। एह से भारत नेपाल से स्नेह आ अपनापा रखेला। नेपाल के भी एह भावना के कद्र करे के चाहीं।
हम भोजपुरिआ के कदमताल –
हम भोजपुरिआ समय से कदमताल त करते रही बाकिर अपना परंपरा आ जड़ से कटी ना। जड़ से कटला पर त जवन फूल खिलेला उ प्लास्टिक आ कागज के होला। एही से कोरोना आ चीन के चुनौती से दू-दू हाथ करत, एह अंक से हमनी के एगो नया सिरीज के शुरुआत कर रहल बानी जा – भोजपुरी साहित्य के गौरव। साहित्य के बाद सिनेमा, संगीत, समाजसेवा अउर दोसरा क्षेत्र के दिग्गज के भी बात करब जा। साहित्य में भी सबसे पहिले बात दिवंगत साहित्य सेवी के। ई सिलसिला चलत रही। लंबा चली। हमनी के अपना पुरखा-पुरनिया के ईयाद करत रहब जा। गौरवशाली परंपरा आ इतिहास से ऊर्जा अउर अनुभव लेत रहब जा। साथ हीं नया पौध के भी सींचत-सँवारत रहब जा। तलाशत-तराशत रहब ब जा। जय भोजपुरी।