वुहान बने के कगार पर दिल्ली-मुम्बई

June 20, 2020
सुनीं सभे
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आर. के. सिन्हा

कोरोना संक्रमण के मात देवे खातिर भइल लॉकडाउन के बाद, मज़बूरी में अब धीरे धीरे बाजार दफ्तर अउर दोसर कामकाज शुरू होखे लागल बा। बाकिर, ओकर रफ़्तार बहुत धीमा बा। ई त होखही के रहें। वैश्विक महामारी के चपेट में आवे के कारण आम चाहे खास सभ के कमाई पर भारी असर पड़ल बा। एह से धीरे धीरे ही स्थिति सामान्य होई। त जे लोग अभी से दिल्ली, मुम्बई, पटना, लखनऊ के बाज़ारन के सन्नाटा से दुखी हो रहल बा,  ओ लोग के तनिका अउर धैर्य देखावे के पड़ी।

अबहिये से ई आशा कइल कि लॉकडाउन के तुरंत बाद बड़ बाज़ारन में फजीरे से रात नौ दस बजे तक रहे वाला रौनक तुरंत लौट आई, सही ना होई।  अभी मुश्किल से 10 % कस्टमर बाज़ार में आवत बाड़े। ई आँकड़ा धीरे धीरे अउर बढ़ी। जइसे जइसे लोग के कमाई चालू होत जाई, ओइसे ओइसे हालात सुधरत जाई। लेकिन जे ज्ञानी बाज़ारन के सन्नाटा से सन्न बाड़ें, उनकरो बाजार जाये से पहिले अपना आप कब तैयार करहीं के होई। मतलब मुँह पर मास्क जरूर पहिने के होई। साथे साथे सोशल डिस्टेन्सिंग पर भी धेयान देवे के पड़ी। प्रधानमंत्री एकरा खातिर बहुत बढ़िया ” दो ग़ज़ दूरी” के इस्तेमाल कइले बाड़े। यानी कि मिली जुलीं बाकी दूरे से। अभी एह स्तर पर बहुत गड़बड़ी हो रहल बा। हालात ई बा कि दिल्ली आ मुम्बई जइसन महानगर में पढ़ल लिखल लोग भी बहुत लापरवाही कर रहल बा। एकरा में पढ़ल लिखल शिक्षित लोग भी सुबह पार्क अउर बाज़ार में बिना मास्क लगवले घूमत बा। उ लोग सोशल डिस्टेन्सिंग या ‘दो ग़ज़ दूरी’ पर भी धेयान नइखे देत।

महाराष्ट्र में कोरोना रोगी के तादाद लाख से बेसी हो चुकल बा। उहाँ स्थिति पर नजर राखे के जरूरत बाटे। बम्बइया लोग के कोरोना के हमला से बचावहीं के होई। बाकिर उ लोग मरीन ड्राइव पर अइसे निकलत बा जइसे सब कुछ सामान्य हो गइल बा। सैकड़ों बम्बईया मरीन ड्राइव पर मास्क लगा के टहलत त दिखाई देत बाड़न बाकिर सोशल डिस्टेन्सिंग के परवाह नइखन करत।   महाराष्ट्र सरकार अब समुद्र तट के किनारे सुबह 5 बजे से शाम 7 बजे तक खातिर घर से निकले के इजाजत दे देले बा।  इहाँ तक त ठीक बा।

बाकिर लोगन के दो ग़ज़ के दूरी के भी सख्ती से पालन करे के चाहीं। देखीं, कोरोना के हरावे में हमनी के सफलता तबे मिली जब एकरा के दिल्ली अउर मुम्बई से उखाड़ के फेंक देम जा।  ई दुनो महानगर देश खातिर बहुत महत्वपूर्ण बा। एक त देश के राजधानी ह, एगो देश के आर्थिक राजधानी। दिल्ली में दु सौ से अधिका देश के दूतावास अउर उच्चायोग बा। इहाँ पर हज़ारो राजनयिक लोग रहेला। एकरा अलावे दिल्ली से सटल गुरुग्राम में ही दस हज़ार से अधिक जापानी, चीनी, साउथ कोरिया वगैरह देश के नागरिक लोग रहेला। एह से हमनी के दिल्ली अउर एकर आसपास के क्षेत्र में कोरोना के ज़हर के तुरंत खतम करे के पड़ी। एकरा खातिर ई  बहुत जरूरी बा कि केंद्र अउर राज्य सरकार मिल के काम करे। एह संकटकाल में हमनी के आपन पीठ ठोकल अउर दोसर के शिकायत करे के मानसिकता के छोड़े के पड़ी। दिल्ली में कोरोना के स्थिति बिगाड़े खातिर तबलीगी जमात के गैर जिम्मेदाराना करतूत  अउर फिर प्रवासी मजदूर के सड़क पर आ गइल काफी हद तक जिम्मेवार बा। तबलीगी जमात के गैर जिम्मेदार लोग साँचहू शुरुए से दिल्ली के संकट में डाल देले रहे। उ दोषी लोग पर कठोर करवाई होखे के चाहे। एही बीच में, अब आगे के बारे में भी सोचे के होई। ओही हिसाब से रणनीति तय करे के पड़ी ताकि कोरोना वायरस के शिकस्त दिहल जाय।

अगर बात मुम्बई के करीं त भारत के आर्थिक प्रगति के रास्ता इहवे से निकलेला। मुंबई स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड 70 फीसदी कंपनियन के मुख्य कार्यालय मुम्बई में ही बा। देश मे चोटी के उद्योगपति भी मुम्बई में ही रहेलन। जब हम मुम्बई के बात करीला त हमार आशय कहीं ना कहीं महाराष्ट्र से भी होला। आखिर मुंबई महाराष्ट्र के राजधानी ह। ई देश के प्रमुख औद्योगिक राज्य भी बा। महाराष्ट्र नब्बे के दशक में शुरू भइल आर्थिक उदारीकरण के लाभ उठावत आपन जीडीपी के मजबूत बनवलस अउर वर्तमान में महाराष्ट्र जीडीपी के हिसाब से देश के सबसे अग्रणी राज्य ह। का ई छोटा बात बा कि महाराष्ट्र के जीडीपी के आकार पाकिस्तान के जीडीपी से भी ज्यादा बा।

दरअसल दिल्ली-मुम्बई महानगर अपने आप में लघु भारत भी बा। एह में कुल जमा 5 करोड़ के आसपास लोग रहेला। ई आँकड़ा तनी कम ज्यादा हो सकेला। काहे कि बड़ संख्या में उपनगर से आवे जाए वाला लोग भी बा। एह में कोरोना संक्रमित के संख्या के हर हाल में घटावे के पड़ी। ई संभव बा अगर दिल्ली मुम्बई के लोग घर से बाहर खाली विशेष परिस्थिति में निकले, मास्क पहिनल कभी ना भूले अउर दू ग़ज़ के दूरी के ख़याल राखे। ई सब कवनो बहुत कठोर शर्त त नइखे। अगर उ लोग एह दिशा में ईमानदारी के परिचय देत बा, त देश दुनिया में एगो अच्छा सकारात्मक अउर सार्थक संदेश जाई।

एगो बात अउर महत्वपूर्ण बा। कोरोना काल में सोशल मीडिया पर तमाम वीडियो वायरल होत बा। एह में देखावल जात बा कि कोरोना संक्रमित रोगियन के अस्पताल में जगह नइखे मिलत। उ लोग मारल मारल फिरत बा। एह में केतना साँच बा, एकर पड़ताल करे के जरूरत बा। काहे कि सोशल मीडिया पर केहू कुछो वायरल कर सकत बा। बाकिर, सरकार के उ निजी असप्तालन पर कठोर एक्शन लेवे में देरी ना करे के चाहीं जे रोगी के नोच नोच खात बा। निजी अस्पताल के लेके अखबार में भी तमाम खबर आ रहल बा कि उहाँ पर कोरोना संक्रमित लोगन के भारी भरकम बिल थमावल जात बा। ई स्थिति तुरंत रुके के चाहीं। ई घोर निराशाजनक स्थिति बा कि पइसा कमाए के हवस में कुछ अस्पताल पत्थर दिल हो गइल बाड़े। उनका अंदर के इंसान मर गइल बा। आखिर सरकार इंसानियत के दुश्मन लोग पर एक्शन लेवे में काहे देरी करत बा। ई सब सरकार के अग्नि परीक्षा बा। सरकार के कोरोना के साथ-साथ इंसान के खून चूसे वाला राक्षस के भी कमर तूरे के पड़ी।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार अउर पूर्व सांसद हईं।)

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