कोशिश कइले पs भारत बनीं आत्मनिर्भर

July 22, 2020
सुनीं सभे
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 आर. के. सिन्हा

चीन से सीमा पर भीषण झड़प के बाद से देश में एगो माहौल बन रहल बा कि अब आपन शत्रु देश चीन से आयात बंद कइल जाय। चीन पर निर्भरता ख़त्म होखे। इ बात दीगर बा कि कुछ निराशावादी लोग के लागsता कि इ मुमकिन नइखे। उ आपन पक्ष में  तमाम कमजोर तर्क आ कुतर्क दे रहल बा लोग। एह लोग के देश के आत्मसम्मान से अइसहूं कवनो लेना-देना नइखे।

इ सब लोग के नइखे पता कि सरकार आ निजी क्षेत्र भी आपन स्तर पर चीन के बहिष्कार करे के भरसक प्रयास में लागल बा। पहिले बात कइल जाय देश के सड़क परियोजना के। सरकार अब सड़क बनावे खातिर कवनो अइसन कम्पनी के ठेका ना दिही, जिनकर साझेदार कवनो चीनी कंपनी होई। केंद्रीय सड़क परिवहन आ राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी स्पष्ट रूप से कह देले बाड़न कि सरकार सख्त स्टैंड लेले बिया कि अगर चीनी कंपनी कवनो जॉइंट वेंचर्स के जरिये भी आपन देश में आवे के चाही तबो ओकरा इजाजत ना मिली।

देश में फिलहाल कुछ ही परियोजना अइसन बा जेमें चीनी कम्पनियन के हिस्सेदारी बा, लेकिन, उनका इ टेंडर बहुत पहिले मिलल रहे। एही के साथ लद्दाख के गलवान घाटी में चीन के करतूत के बाद भारतीय रेल भी अब सबक सिखावे में जुट गइल बा। भारतीय रेल एक चीनी कंपनी से आपन करार ख़त्म कर देले बा। 2016 में चीनी कंपनी से 471 करोड़ के करार भइल रहे जेमें ओकरा 417 किलोमीटर लम्बा रेल ट्रैक पर सिग्नल सिस्टम लगावे के रहे। एकरा पहिले सरकार बीएसएनएल आ एमटीएनएल के निर्देश देले रहे कि उ चीनी उपकरण के इस्तेमाल कम करे।   आईटी आ इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय भारत में प्रचलित 59 चीनी एप्स पर प्रतिबन्ध लगाइये देले बा। एमें टिकटॉक, हेलो, वीचैट, यूसी न्यूज़ आदि तमाम चीन के एप्स भारत के सम्प्रभुता, अखंडता आ सुरक्षा के लेके पूर्वाग्रह रखत रहे। तब, सरकार आईटी एक्ट के 69ए सेक्शन के तहत एह 59 एप्प पर प्रतिबंध लगावे के फैसला कइलस। दरअसल, सरकार के इ एप्स के गलत इस्तेमाल के लेके लगातार शिकायत मिलत रहे।

अगर सरकार चीन के सबक सिखावे खातिर कमर कस चुकल बिया त देश के निजी क्षेत्र भी कहाँ पीछे रहे वाला बा। देश के प्रमुख स्टील कंपनी जिंदल साऊथ वेस्ट (जेएसडब्ल्यू)  चीन से आयात के ख़त्म करे के फैसला ले लेले बिया। इ कंपनी चीन से आपन स्टील फैक्ट्री के भट्टी खातिर कच्चा माल लेत रहे। अब कम्पनी आपन इ सामान ब्राजील आ तुर्की से मँगवावे के फैसला कइले बिया। इ सब देख के एक बात त साफ बा कि अगर विकल्प खोजल जाय त मिली जरूर। हमनी के चीन से आगे भी सोचे के पड़ी। देश के ऑटो सेक्टर भी चीन से कच्चा माल के भारी आयात करेला। ओकर लगभग 40 प्रतिशत कच्चा माल चीन से आवेला। ओकरो अब अन्य विकल्प के तलाश करे के पड़ी। चीन चीन करे वाला लोग के सीमा पर देश के वीर-बाकुड़न के बलिदान के याद रखे के पड़ी। अगर हमनी के चीन के तमाम हरकत के नजरअंदाज कर के भी आयात जारी रखsतानी सन त इ एक तरह से आपन शहीदन के अपमान ही होई।

जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के आत्मनिर्भर बनावे के आहवान कइले बाड़न तब से कुछ सेक्युलरवादी परमज्ञानी इ कहे लागल बाड़न कि चीन से आयात के बिना हमनी के फार्मा कंपनी सड़क पर आ जाई। भारत के जवन दवा कंपनी जेनरिक दवा बनावेली सन उ 80 प्रतिशत API चीन से ही आयात करेली सन। API माने दवा के कच्चा माल। भारत में API के उत्पादन बहुत कम बा। एकरा के तेजी से बढ़ावे के जरूरत बा।  अब भारत के फार्मा कंपनी के भी API तब तक अन्य देश से लेवे के विकल्प खोजे के होई जब तक हमनी के स्वयं API के उत्पादन में स्वावलम्बी नइखी हो जात। सच में इ बेहद शर्मनाक बा कि हर साल अरबो रूपया कमाए वाली फार्मा कंपनी अगर चीन पर एह कदर निर्भर बा त ओकर आपन उपलब्धि का बा। काहे ना इ लोग खुद निवेश कइलस, खुद API के निर्माण में।  इ लोग अपना के आत्मनिर्भर बनावे के प्रयास ही ना कइलस। इ तब बा, जब इ कवनो भी गंभीर रोग के दवा या वैक्सीन ईजाद करे में भी विफल रहल बा लोग।

साँच कहीं त कमी हमनियो के बा। हमनी के अपना के काहिल बना लेले बानी सन। का सारा देश बीतल कई साल से मेड इन चाइना दिवाली नइखे मनावत ? भारत में हर साल दिवाली पर हजार करोड़ रुपया के चीनी लाइट्स, पटाखा, देवी-देवता  के मूर्ति आदि भारी मात्रा में आयात कइल जाला। का इ सब भी बनावे में हमनी के असमर्थ बानी सन? लानत बा। अगर हमनी के चीन में बनल लाइट्स के आयात कइल बंद कर दी सन त स्वदेशी माल के खपत बढ़ जाई। गरीब कुम्हारन के रोजी-रोटी पुनर्जीवित हो उठी। पर हमनी के ए बाबत सोचनी सन कब?  कुल मिलाके हमनी इहाँ मिठाई के छोड़ के सब कुछ चीने से त आवत रहे।  उद्योग आ वाणिज्य संगठन एसोचैम के दावा बा कि दिवाली पर मेड इन चाइना सामान के मांग 40 फीसदी प्रति साल के दर से बढ़ रहल बा। कहे के जरुरत नइखे कि एकरा चलते भारत  के घरेलू उद्योग पर भारी दुष्प्रभाव पड़ रहल बा। हजारो बंद उद्योग हो गइल आ लाखो लोग बेरोजगार हो गइल। याद करीं कि चीन से चालू सीमा विवाद से पहिलही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के दुनिया के एगो बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब बनावे के चाहत रहलें,  पर हमनी के उनका आहवान पर कायदे से ध्यान ना देनी सन, हालांकि भारत के पास कौशल, प्रतिभा आ अनुशासन सब बा, तबो।

बहरहाल, जब चीन भारत के बाजार में आपन घटिया माल भरत रहे, तबे हमनी के समझ जाये के चाहत रहे। पर हमनी के ना सुधरनी जा। इ काम खाली सरकार के ना रहे, पूरा देश के मिल के करे के रहे। खैर, अब जवन भइल तवन भइल। अब त हमनी के आँख खुल जाये के चाहीं। भारत-चीन के बीच दोतरफा व्यापार लगभग 100 अरब रुपया के बा। ई लगभग पूरी तरह से चीन के पक्ष में बा। धूर्त चीन के साथ हमनी के एतना बड़ स्तर के आपसी व्यापार नइखीं कर सकत। ओकरा से हमनी के कई स्तर पर लोहा लेवे के होखी। ओही क्रम में एगो रास्ता ई बा  कि हमनी के चीन से होखे वाला आयात एकदम बंद कर देवे के चाहीं।

(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार आ पूर्व सांसद बानी।)

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