हम भोजपुरिआ बहुचर्चित साप्ताहिक ‘ धर्मयुग ‘ जइसन एगो संपूर्ण पत्रिका बा
सेवा में
संपादक, हम भोजपुरिआ
प्रणाम।‘ हम भोजपुरिआ ‘ के प्रकाशन के समय से ही हम एह पत्रिका के साथे भावनात्मक रूप से जुड़ल बानी आ अब तकले जतना अंक प्रकाशित भइल बाड़न स, सभन के देखले बानी। ओइसे त हम ओह सभनी प विस्तार से बात करे के जरूरत महसूस करत बानी, बाकिर विस्तार भय के चलते आज हम अपना के सद्यः प्रकाशित जुलाई के पहिला अंक (1-15 जुलाई) पर ही केंद्रित कर रहल बानी ।
‘ हम भोजपुरिआ ‘ पत्रिका के बारे में हमार शुरुआती धारणा ई रहे रहे कि ई एगो साहित्यिक पत्रिका मात्र ह। लेकिन अब बुझाता कि हमार धारणा गलत रहे। असल में ई पत्रिका पत्रिका एगो संपूर्ण पत्रिका बिया – हिंदी के बहुचर्चित साप्ताहिक ‘ धर्मयुग ‘ जइसन एगो संपूर्ण पत्रिका। सबसे बड़ चीज बा– बिल्कुल समसामयिक विषयन प केंद्रित एकर सम्पादकीय आ सम्पादकीय में उठावल गइल विषय के संपूर्णता में उद्घाटित करे वाला अत्यंत सुचिंतित लेखन के संयोजन। उदाहरण के रूप में आलोक कुमार राव आ श्री राजेश जी के लेखन के देखल जा सकेला। दुनो संपादकीय (हम आदरणीय रवींद्र किशोर सिन्हा के लेख के भी सम्पादकीय के रूप में ही देखत बानी ) लेख जहां 15 जून के भारत-चीन के बीच भइल हिंसक विवाद भारतीय जन-भावना के अभिव्यक्ति प्रदान करे वाला बाड़न स, ओहिजे आलोक जी आ राजेश जी के लेख एह विवाद के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि आ आज के चीन के शासकन के नीति आ नीयत प बढ़िया से प्रकाश डलले बाड़न स। एह संयोजन खातिर राउर सउँसे सम्पादकीय टीम के हम हार्दिक बधाई देत बानी।
अपना आवरण कथा के कारण ई अंक जहां स्मरणीय रही, ओहिजे एह में प्रकाशित अउर सामग्री खातिर भी ई हमेशा इयाद कइल जाई। डॉ. ब्रजभूषण मिश्र जी के लेख- ‘ दिवंगत भोजपुरी सेवी: परिचय ‘ एगो ऐतिहासिक महत्त्व के रचना बा। उहाँ के संक्षेप में बहुत बढ़िया से शुरुआती दौर के भोजपुरी सेवी लोगिन के चर्चा कइले बानी। उम्मीद बा कि आगे भी उहाँ के एह काम के जारी राखब। मनोज भावुक जी के आलेख ” भोजपुरी सिनेमा के विकास यात्रा ” (1961-2000) बेजोड़ आ अविस्मरणीय बा। मनोज जी के हम भोजपुरी फिल्म पत्रकारिता के भावी इतिहासकार के रुप में देख रहल बानीं। उहाँ के चालीस बरिस के काल खंड में आइल सभ फिल्मन के बहुत बढ़िया से लेखा-जोखा प्रस्तुत कइले बानी। सचमुच हमरा जनते कुछुओ छूटल नइखे। अगर बेजोड़ पारिवारिक फिल्म ‘ हमार संसार ‘ आ भोजपुरी के एकमात्र हास्य फिल्म ‘ लोहा सिंह ‘के पोस्टर भी एह आलेख में बाकी पोस्टरन के साथे देहल रहित त साँचहूँ एह आलेख में अउर चार चाँद लाग जाइत। वॉलीबाल के नर्सरी के रूप में इनई गांव के महत्व के रेखांकित करत राजेश कुमार सिंह के लेख अच्छा बा।
पत्रिका के साज-सज्जा भी बहुत स्तरीय बा। कुल मिला के ई कहे में हमरा कवनो संकोच नइखे कि ” हम भोजपुरिआ ”जइसन पत्रिका भोजपुरी में बहुत ज्यादा नइखे निकलल।
डॉ. नीरज सिंह, वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा के स्नातकोत्तर हिंदी आ भोजपुरी विभाग के पूर्व प्रोफ़ेसर आ विभागाध्यक्ष।
भोजपुरी सिनेमा पर शोध करे वाला लोग खातिर इ अंक एगो रेफरेंस के काम करी
भोजपुरी के प्रतिष्ठित पत्रिका ‘ हम भोजपुरिआ ‘ के ताज़ा अंक हमेशा के तरह आपन ताजगी के अहसास इ बेर भी करा गइल। भोजपुरी सिनेमा के 40 साल के शानदार सफर पर आधारित आदरणीय संपादक मनोज भावुक जी के आलेख काफ़ी रुचिकर आ ज्ञानवर्धक रहे। भोजपुरी सिनेमा के इतिहास पर आज तक एतना विस्तृत ढंग से कउनो पत्रिका में आलेख ना प्रकाशित भइल रहे। ए लिहाज से भी इ अंक संग्रहणीय बा। सिनेमा आ विशेष कर भोजपुरी सिनेमा पर शोध करे वाला लोग खातिर इ अंक एगो रेफरेंस के काम करी।
प्रधान संपादक महोदय के आलेख हमेशा के तरह समसामयिक मुद्दा पर आधारित रहे। साथ ही भोजपुरी साहित्य के दिवंगत दिग्गज लोग पर केंद्रित लेख अपना आप में शानदार आ बेजोड़ रहे। खेल-कूद के तहत इनई गाँव बिहार के वॉलीबाल के नर्सरी एगो खोजी खबर की तरह रहे। कुल मिला के इ अंक जोगा के रखे लायक एगो अंक बा।
राजेश कुमार सिंह, वरिष्ठ शिक्षक, अलख नारायण सिंह उच्च विद्यालय, एकमा, सारण, बिहार