प्रताड़ित हिन्दू अउर सिख के शरण देव भारत

August 10, 2020
सुनीं सभे
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  आर.के सिन्हा

अफगानिस्तान में राक्षसी प्रवृत्ति वाला तेजी से पनप रहल तालिबानियन के चंगुल से आजाद भइला के बाद सिख लोग के एगो जत्था दिल्ली पहुँच गइल बा। अब भारत के नागरिकता संसोधन कानून के तहत ए लोग के नागरिकता मिले में आसानी हो जाई। अफगानिस्तान में हिन्दू आ सिख के रहल अब अइसे भी नामुमकिन हो गइल बा। ए लोग पर तालिवानी गुंडा सब बेहिसाब जुलुम -सितम करते रहेला। ये लोग के इस्लाम स्वीकार करे खातिर प्रताड़ित करेला। ये लोग के कन्या सबके अपहरन क के जबर्दस्ती बियाह करा के इस्लाम कबूल करवावल जाला।

अफगानिस्तान में त अब हिंदू मंदिर सायदे कवनो बचल होखे। कुछ गुरुद्वारा जरूर बचल बा। उहवाँ आये दिन हिंदू आ सिख के कत्लेआम जारी बा। कुछ दशक के अंतराल के दौरान ही अफगानिस्तान तालिबान के बढ़त असर के कारन तबाह हो गइल। यकीन मानी कि ऊ पाकिस्तान के विपरीत एक सामान्य रूप से उदारवादी देस रहे। सत्तर के दशक तक त रेडियो काबुल से हिंदी भजन भी सुने के मिल जात रहे। ओ समय तकले अफगानिस्तान आ ईरान बहुत हद तक आधुनिक राष्ट्र रहे। आज जइसन भयानक मजहबी कट्टरता ये देसन में तब ना रहे। काबुल में त हिन्दू आ सिख भी अच्छा-भला रहे लोग। भले ही आबादी कम रहे पर ठीकठाक हालात में ही रहे लोग। ईरान त रज़ा पहलवी के शासनकाल में एकदम आधुनिक देस रहे। अफगानिस्तान में बादशाह ज़हीर शाह के अपदस्थ भइला के बाद उहवाँ कबो शान्ति अइबे ना कइल। कहल जाला नु कि अकबर के खानदान में कब कवनो औरंगजेब पैदा हो जाय, कहल नइखे जा सकत। वक़्त पलटल आ कट्टरता उदारवाद के परखच्चा उड़ा दिहलस। कबो औरंगजेब भारत में संगीत, साहित्य आ कला के बहुत गहिरा दफना देहले रहे। तालिबानी लोग ऊहे अफगानिस्तान में कइले बा।

राजधानी में पहिलहीं से सैकड़न अफगानी सिख लोग शरण लिहले बाड़न। ये सिख लोग के दिल्ली में एगो काबुली गुरुद्वारा भी बा। ये लोग के तुरंत ही इनका अफगानी वेशभूषा के चलते पहचानल जा सकsता। सबलोग सलवार-कमीज पहिरले रहेला। ई लोग आपस में पश्ता में ही बातचीत करत रहेला लोग। अफगानिस्तान में जब 1992 में रूस के समर्थ वाली सरकार गिरल आ देश में गृहयुद्ध छिड़ल त सैकड़न सिख जान बचाके भारत आ गइल रहे लोग। अफगागी सिख लोग चाहsता कि ओ लोग के जल्दी से जल्दी भारत के नागरिकता मिल जाय। केन्द्र में मोदी सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून पारित कइला के बाद ये लोग के उमेद बा कि ई लोग जल्दी ही भारत के नागरिक हो जाई। रउआ सब के राजधानी में गुरुद्वारा सीसगंज, गुरुद्वारा बंगला साहिब आ दोसरो प्रमुख गुरुद्वारा में अफगानी सिख मिल जाई लोग। एकरा से अच्छा कुछ नइखे हो सकत कि अफगानिस्तान के बचल सब हिन्दू-सिख भारत आ जाय। इहाँ ऊ लोग अपना जीवन के नया सिरा से शुरू करो। कारन कि देर सबेर ये लोग के अफगानिस्तान में त मारिए दियाई अगर ई लोग मुसलमान ना बनल। आखिर ये लोग के कसूर का बा। जब धरम के नाम पर देस के बंटवारा होइए गइल त धरम के आधार पर आबादी के लेन-देन में जे कोताही कइल आज ये प्रताड़ित हिन्दू-सिख लोग के श्राप ओ लोग के अउर ओ लोग के खानदान के लागी।

अफगानिस्तान जइसन पाकिस्तान में भी सिख लोग के कत्लेआम भइल अब आम बात हो गइल बा। ये लोग के कत्लेआम के बाद कुछ दिन ले प्रायोजित चउतरफा निंदा के बाद सब कुछ सामान्य हो जाला। पाकिस्तान में पेशावर से लेके लाहौर तक के सब शहरन में सिख लोग पर आए दिन हमला होते रहेला। ये लोग के धार्मिक स्थल के  निशाना बनावल जाला। सही में पाकिस्तान आ अफगानिस्तान में हिन्दू अउर सिख खातिर कवनो जगह नइखे रह गइल। पाकिस्तान में कुछ ही दिन पहिले हजारन बरिस पुरान भगवान बुद्ध के मूर्ति तोड़ दिहल गइल। पाकिस्तान के उत्तरी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में मरदान के तख्तबाई इलाका में एगो प्राचीन अउर विशाल बुद्ध मूर्ति के नष्ट कइल सही में बेहद कष्टकारी रहे। ई मूर्ति 1700 साल पुरान रहे आ गान्धार सभ्यता से ताल्लुक रखत रहे। समझ में ई ना आइल कि बुद्ध के मूर्ति तूर के ये जालिम सब के का मिलल। एकरा से पहिले पाकिस्तान के कब्जा वाला कश्मीर में बुद्ध से जुड़ल आर्किलॉजिकल साइट पर भी तोड़फोड़ के मामला सामने आइल रहे।

 

तालिबान ही बामियान के मशहूर बुद्ध प्रतिमा में विस्फोटक लगावे के हुक्म देले रहे। तब तक बामियान के बुद्ध के ऊ बलुआ पत्थर से बनल प्राचीन प्रतिमा विश्व भर में सबसे ऊँचा बुद्ध के मूर्ति मानल जात रहे। जब बुद्ध के ओ प्रतिमा के अनादर होत रहे तबे समझ में आ गइल रहे कि आवे वाला समय में अफगानिस्तान कवना रास्ता पर चली। ओ बुद्ध प्रतिमा पर टैंक आ गोलियन से हमला कइल गइल रहे। ओकरा बाद ओके नष्ट करे के वास्ते ओहिमे विस्फोटक लगावल रहे। जरा समझ लीं केतना जालिम बाड़े ई दुष्ट तालिवानी। ई कहे के ना होई कि अइसन अंधकार युग में जीये वाला देस में गैर-मुसलमान लोग वास्ते कवनो जगह होइए नइखे सकत। एसे ओ लोग के उहाँ से निकल ही जाय के चाहीं। ओ लोग के लिए भारत के अलावे दोसर कवनो देस बचलो नइखे। ये बीचे पाकिस्तान अपना पिछला जनगणना में भी सिख लोग के साथ घोर भेदभाव कइले रहे। ई जनगणना 2018 में भइल रहे। सिख लोग के त जनगणना फारम में जिकरे ना रहे। ओ लोग के एक तरह से अन्य के कैटेगरी में धकेल दिहल गइल रहे। एकरा विरोध में पेशावर के सिख लोग प्रदर्शन कइल त ओ लोग के न्याय देवे के जगह हर तरह से प्रताड़ित कइल गइल।

रउआ लोगिन के इयादे होई, ये साल के शुरू में पाकिस्तान के ननकाना साहिब गुरुद्वारा पर हमला भइल रहे। गुरुनानक के जन्मस्थली ननकाना साहिब गुरुद्वारा पर भइल हमला के बाद भारत में सिख लोग आपन कड़ा विरोध जतवले रहे लोग। केतने सिख समूह ये हमला के खिलाफ पाकिस्तानी उच्चायुक्त के सामने विरोध प्रदर्शन भी कइले रहे। ननकाना साहिब हमला 1955 के भारत-पाकिस्तान समझौता के उल्लंघन रहे, जेकरा तहत भारत आ पाकिस्तान के ई सुनिश्चित करे के रहे कि ऊ लोग हर संभव प्रयास करी ताकि अइसन पूजा स्थल के पवित्रता के संरक्षित रख सके, जेमे दुनु देस के लोग जाला।

का रउआ सबन यकीन करेम कि ननकाना साहिब के अधिकांश होटल में सिख लोग के अलग बर्तन में भोजन परोसल जाला। कहे के मतलब ई बा कि अबो अफगानिस्तान आ पाकिस्तान के सिख लोग के भारत के रुख कर लेवे के चाहीं। अगर ऊ लोग देरी करी त जान तक जा सकsता।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार अउर पूर्व सांसद हईं )

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