बेंगलुरु में साजिश के आग

August 28, 2020
सुनीं सभे
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आर. के. सिन्हा

भारत के आईटी राजधानी बेंगलुरु के कुछ इलाका में एगो छोट बात के लेके जे तरे साम्प्रदायिक हिंसा भड़कावे के साजिश रचल गइल, ओकर दोषी बच के ना निकल सके, ई राज्य सरकार के सख्ती से सुनिश्चित करे के होई। ओ लोग पर कठोर से कठोर एक्शन हो ताकि आगे से अइसन दंगा-फसाद करे के संबंध में कोई सोच भी ना सके। बेंगलुरु के हिंसा में कुछ मासूमन के भी जान गइल, तमाम निर्दोष लोग घायल भइल अउर सरकारी संपत्ति के भारी नुकसान भइल। सबसे अहम बात ई बा कि दुनिया भर में ये हिंसा के गलत संदेश गइल।

बेंगलुरु में लाखों विदेशी पेशेवर लोग रहेला। जरा सोचीं कि उनके आ उनके परिवार के जेहन में के तेर के छवि बनल होई बेंगलुरु आ भारत के ये हिंसा के कारण।
बेंगलुरु जइसन आधुनिक महानगर में उपद्रवी लोग जगह-जगह गाड़ी के आग लगावल आ एटीएम तक में तोड़फोड़ कइल। ऊ लोग कांग्रेस के विधायक के घर पर हमला भी कइल। दरअसल बेंगलुरु में कांग्रेस विधायक अखंड श्रीनिवासन मूर्ति के एक कथित रिश्तेदार पैगंबर मुहम्मद के लेके सोशल मीडिया पर कुछ अपमानजनक पोस्ट कइले रहलें, जेकरा प्रतिक्रिया में ही ई सुनियोजित हिंसा भइल। सवाल ई बा कि का अब भारत में कवनो भी मसला पर विरोध जतावे खातिर हिंसा के ही सहारा लेहल जाई? उपर्युक्त पोस्ट के लेके संबंधित व्यक्ति के खिलाफ उचित पुलिस एक्शन हो सकत रहे। केहू के भी कानून अपना हाथ में लेवे के अधिकार हरगिज़ नइखे।
बेंगलुरु के ताजा घटना से साफ बा कि देश मे धार्मिक कठमुल्लापन बहुत गम्भीर रूप लेले बा। अपना के कट्टर मुसलमान कहे वाला लोग बात-बात पर सड़क पर उतरे लागल बा। ई लोग अपना मजहब के नाम पर कट्टरता फइला रहल बा। एसे जाहिलपन बढ़ते जा रहल बा। इस्लामी कठमुल्लन के आचरण पर सेक्युलरवादियन के रहस्यमय चुप्पी भी डरावना बा। ई लोग अचानक अज्ञातवास में चल गइल बा। का कठमुल्ला लोग जे तरे से हिंसा कइल ओकर ये लोग के भर्त्सना ना करे के चाहत रहे? बेंगलुरु में कठमुल्ला लोग ए निंदा के नाम पर गरीब बस्तियन में मुसलमान लोग के उकसावल- भड़कावक। नतीजा ई भइल कि उन्मादी भीड़ जम के तोड़फोड़ कइलस। ई हिंसक उन्माद घण्टों चलल। पुलिस हस्तक्षेप कइलस त ओकरो पर भीड़ हमला बोल देहलस। हिंसक भीड़ के हमला में साठ पुलिस घायल हो गइलन। ई सही में बहुत बड़ा आंकड़ा बा।

जरा खाए-पीए-अघाए लिबरल लोग के जमात अब ई त बताओ कि ऊ लोग चुप्पी काहे साध लेले बा? ये तथाकथित बामपंथिन के चलते ओ समस्त लोग के शर्मिंदा होखे के परेला जे बहुसंख्यक आ अल्पसंख्यक फिरकापरस्तन अउर उनका साम्प्रदायिक सोच से लड़ेला। ई वर्ग ओ करोड़ों अल्पसंख्यक के सामने काँटा बिछावेला जे अपना बीच के उन्मादी आ जाहिल सब से लड़ रहल बा। बेशर्म बा ई लोग। ये लोग के ना शर्म बा, ना हया। याद रखीं तुष्टिकरण के राजनीति जल्द खत्म ना होई काहे कि कुछ स्वार्थी राजनेता लोग के एही में आपन भला नजर आवेला। जब तक कवनो कड़ा कानून ना आई आ तुष्टिकरण के खिलाफ सब विपक्षी पार्टी भी मुँह ना खोली तब तक ये बेंगलुरु जइसन हिंसक वारदात त होते रही।

देश में मुसलमानन के एगो वर्ग भी अब लगभग तालिबानी सोच रखे लागल बा। पिछले दिन राम मंदिर के शिलान्यास के अवसर पर ई लोग खुल के कहत रहे कि हमनी समय अइला पर उहाँ पर फिर से मस्जिद बना लेम। जरा गौर करीं कि राम मंदिर बनल नइखे आ ओसे पहिले ई लोग मंदिर के तोड़े आ बम से उड़ावे के धमकी देवे लागल। का इहे लोकतंत्र ह? तथाकथित लुटियन गैंग अब काहे नइखे बोलत? अब लेखक वापस काहे नइखन करत आपन पुरस्कार आ कैंडल मार्च काहे नइखन निकालत? ई बेशर्म बुद्धिजीवी देश के सिर्फ अपमानित करे के काम में ही लागल रहेला? जवना थाली में खाईं ओही में छेद करीं। आखिर कब तक अइसन होत रही?
ध्यान दीं कि ई लोग दोसरा के आराध्य के अपमान करेला। काहे करे ला? ई उनकर समस्या ह। लेकिन ऊ लोग अपना रसूल के शान में गुस्ताखी ना बर्दाश्त करी। ऊ लोग गुस्ताख़े रसूल के एक सजा मुकर्रर कइले बा त ऊ देके रही लोग। ये जद्दोजहद में ऊ लोग आपन जान भी दे दी, जान ले भी ली। सरकार आ कानून उनका खातिर कवनो माने ना राखे। ऊ लोग अपना औलाद से भी ज्यादा अपना रसूल से प्रेम करेला। यदि ऊ केहू के प्रेम करत फूल भी पेश करी त कही कि अल्लाह आ उनके रसूल के बाद हम सबसे ज्यादा मुहब्बत तहरे से करीले। जेकरा ई सब शर्त पर ओ लोग से भाईचारा निभावे के बा निभाओ, नइखे निभावे के त मत निभाओ। उनका मीम भीम के परवाह नइखे। उनकर इमान ह कि इज्जत देवे वाला रब्बुल इज्जत ह ना कि बुतपरस्त कुफ्फार। ई लोग स्वस्थ आलोचना तक बर्दाश्त नइखे कर सकत। ई लोग कभी शिक्षा, रोजगार, मांगे त सड़क पर ना उतरी पर धर्म के नाम पर तुरंत आग लगा दी। का कवनो धर्म या मजहब एतना कमजोर हो सकsता, जवन सिर्फ आलोचना भर से ही खतरा में आ जाला।

खैर, जे केहू भी बेंगलुरु में हिंसा भड़कावल या ओमे भाग लेहल, ओ लोग के कवनो भी हालत में छोड़े के ना चाहीं। ओ लोग के सही पहचान कर के कठोर दण्ड मिलहीं के चाहीं। हिंसा के कारण देश के साफ छवि पर अकारण दाग लगा देहल गइल बा। ठोस सबूत मिल रहल बा कि बेंगलुरु में भड़कल हिंसा सुनियोजित साजिश के नतीजा रहे। वर्ना एतना बड़ पैमाना पर अचानक हिंसा भड़क ही ना सकत रहे। बेंगलुरु के जवना-जवना भाग में हिंसा भड़कल उहाँ सब धर्म के लोग मिल जुल के लम्बा समय से रहत चल आवत रहे। ये लोग में कवनो आपसी वैमनस्य दूर-दूर तक के ना रहे। पर अचानक से ये सौहार्द के वातावरण के केहू के नजर लाग गइल। बेशक ये हिंसा से एक बार त दहल ही गइल भारत के आईटी राजधानी। बेंगलुरु पुलिस के तारीफ करे के होई कि ऊ हिंसा के महानगर के बाकी भाग में फइले ना देहलस। ई पुलिस के भारी सफलता ही मानल जाई। अब दंगाई सबके तेजी से पहिचान करे के चाहीं ताकि ओ सबके सबक सिखावल जा सके।

( लेखक वरिष्ठ सम्पादक, स्तंभकार आ पूर्व सांसद हईं।)

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