भोजपुरी के आन-बान-शान ह “हम भोजपुरिआ” पत्रिका
हम “हम भोजपुरिआ” के नियमित पाठक हईं। हमरा एमे भोजपुरी माटी के भरपूर सोन्हाई मिलेला। ई जीवन के हर क्षेत्र के अपना में समेट के चलेला। ई बेशक एगो सम्पूर्ण पत्रिका के भूमिका निभा रहल बा। भोजपुरी साहित्य के विकास खातिर त ई पूर्ण समर्पित बा। पिछला सम्पादकीय “हम भोजपुरिआ अउर भगवान राम” बड़ा ही उत्तम रहल। एकर नियमित पाठक अपना माई माटी से कबो अलग नइखे हो सकत।
एह पत्रिका के अउर उन्नति खातिर सहृदय शुभकामना बा।
अखिलेश्वर मिश्रा, वरिष्ठ साहित्यकार, बेतिया, बिहार
भोजपुरी सिनेमा पर आधारित सामग्री शानदार बा
भोजपुरी साहित्य आ पत्रकारिता के दुनिया में हम भोजपुरिआ जइसन पत्रिका के एगो अलग स्थान बा। एह पत्रिका के लगभग हर अंक अपना आप में संग्रह करे लायक बा। सबसे मजेदार बात त इ बा कि एह पत्रिका में एक साथ समसामयिक मुद्दा पर सारगर्भित लेख पढ़े के मिल जाला, जवन भोजपुरी भाषा में कहीं दोसरा जगह संभव नइखे, साथे-साथ ई पत्रिका भोजपुरिआ साहित्य के दिग्गज लोगन पर केन्द्रित आलेखन के जवन एगो श्रृंखला प्रस्तुत कइले बा उ बेजोड़ बा। भोजपुरी के सुधी पाठक, भोजपुरी के शोधार्थी आ केहू सामान्य पाठक खातिर संजो के रखे लायक बा।
संपादक महोदय के नियमित स्तम्भ.. भोजपुरी सिनेमा पर आधारित इतिहास भी कम शानदार नइखे आ उहो समसामयिक, जइसे मदर्स डे पर भोजपुरी सिनेमा में माई, रक्षा बंधन पर भोजपुरी सिनेमा में रक्षा बंधन अउर स्वतंत्रता दिवस पर भोजपुरी सिनेमा में देशभक्ति … जइसन शोध आलेख परोसल कमाल के बात आ सोच बा। जागरूक पाठक के रूप में हम इ आलेख सबसे पहिले पढ़ लेत रहीं, काहे कि ऐ विषय पर अब तक कहीं भी एतना बढ़िया सामग्री हमरा ना मिलल रहे। भोजपुरी सिनेमा में विकृति आइल बा लेकिन ओकर इतिहास शानदार रहल बा। उम्मीद बा इ सीरीज जारी रही।
पत्रिका के फलक के अउर विस्तृत करे खातिर युवा लोग ला एगो प्रश्न मंच के कॉलम शुरू कइल जा सकsता जवना में 10 प्रश्न रही, जवाब देवे वाला पाठक खातिर कवनो पुरस्कार रखल जा सकता। निश्चित रूप से एसे पत्रिका के प्रसार बढ़ी आ लोकप्रिय भी होई। बाकी पूरी संपादकीय टीम के बहुत बहुत बधाई आ शुभकामाना बा।
राजेश कुमार सिंह, वरिष्ठ लाइब्रेरियन, अलख नारायण सिंह हाई स्कूल, एकमा, सारण, बिहार