भोजपुरी सिनेमा के प्रतिमान (1961-2000)

September 16, 2020
सिनेमा
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भोजपुरी सिनेमा के संवारे-सजावे आ प्रतिष्ठित करे में बहुत लोगन के योगदान बा। ओही में से कुछ नगीना के रउरा से परिचय करा रहल बानी। 

नाजिर हुसैन, अभिनेता, लेखक, निर्देशक

नाजिर हुसैन के भोजपुरी सिनेमा के पितामह कहल जाला। उहें के प्रयास से भोजपुरी के पहिला फिलिम बन पावल। नाजिर साहेब हिंदी के बहुत सफल अभिनेता रहनी आ बिमल राॅय अउरी देव आनंद के फिलिमन के अनिवार्य अभिनेता रहनी। गाजीपुर के दिलदारनगर में 15 मई 1922 के जनमल नाजिर साहेब के बारे में बहुत कम लोग जानेला कि उहां के पहिले रेलवे में फायरमैन, फेर ब्रिटिश इंडियन आर्मी के तरफ सेद्वितीय विश्वयुद्ध लड़े वाला सिपाहियो रहनी। जब ब्रिटेन जापान से युद्ध हार गइल त नाजिर साहेब 60 हजार सिपाहियन के साथे बंदी बना लिहल गइनी आ जापानी सेना के खूब अत्याचार सहनी। जेेल में उहां के दुःख दर्द भुलाए खातिर लिखल आ अभिनय कइल शुरू कइनी। एक बार जब खुदीराम बोस जापान में बंदी सिपाहियन से मिले गइनी त उहें के लिखल नाटक के मंचन भइल। बोस साहेब बहुत प्रभावित भइनी। जब सुभाषचन्द्र बोस ‘आजाद हिन्द फौज’ के गठन करत रहनीउहों के नाजिर साहेब से मुलाकात कइनी। सुभाषचन्द्र बोस सिंगापुर रेडियो पर नाजिर हुसैन के कार्यक्रम कई बेर सुनले रहनी। जब आजाद हिन्द फौज के विघटन के बाद नाजिर साहेब भारत अइनी त कलकत्ता में न्यू थिएटर में नाटक करे लगनी। एहिजा उहां के मुलाकात बिमल राॅय से भइल। उहां के बिमल राॅय के असिस्टेंट बन गइनी। बिमल राॅय ‘पहला आदमी’ फिलिम बनावत रहनी। नाजिर साहेब एह फिलिम में खाली अभिनयेना कइनी, एकर कहानी आसंवाद लेखन भी कइनी।ई फिलिम उहां के स्थापित क देलस।नाजिर हुसैन फिलिम ‘मुनीम जी’ में पहिला बार देवानंद के साथे दिखनी। एहूफिलिम के पटकथा आसंवाद उहें के लिखले रहनी। देवानंद आ नाजिर साहेब के दोस्ती एही जा से शुरू भइल आ आजीवन चलल।

भोजपुरी फिलिम बनावे के आइडिया इहां के डाॅ. राजेंद्र प्रसाद देहले रहनी। एक बार राजेन्द्र बाबू फिलिम समारोह में मुंबई अइनी। ओहिजा उहां के बगल में बइठल नाजिर साहेब से परिचय भइल। जब राजेन्द्र बाबू जननीं कि नाजिर हुसैन भोजपुरी भाषी हईं त भोजपुरिए में कहनी कि ‘रउआ जइसनभोजपुरियाकलाकार के रहते भोजपुरी में अभी ले कौनो फिलिम ना बनल।’ …. ई बात नाजिर साहेब के लाग गइल। उहां के ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो’ के स्क्रिप्ट लिखनी आ प्रोड्यूसर के इंतजार करे लगनी। संजोग से विश्वनाथ शाहाबादी से उहां के मुलाकात भइल आ भोजपुरी के पहिला फिलिम बनल जवन आवते भोजपुरिया क्षेत्र में एगो नया बाजार खड़ा कर देलस। नाजिर साहेब पहिला फिलिम के बाद भोजपुरी खातिर समर्पित हो गइनी। उहां के कई गोफिलिम में अभिनय कइनी, कई गो फिलिम लिखनी आ बनवनी । उहां के फिलिम में शुरू से भोजपुरिया लोक संस्कृति, ग्रामीण जीवन आ लोक-रंग के प्रभाव रहल। बतौर निर्देशक उहां के बलम परदेसिया, रूस गइले सइयां हमार जइसन सफल फिलिम देहनी। नाजिर हुसैन के निधन 16 अक्टूबर 1987 के मुंबई में भइल। उहां के पुत्र मुमताज हुसैन भी फिलिम बनावेनी।

 

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