गाँधी जी के भोजपुरी कनेक्शन

October 9, 2020
संपादकीय
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संपादक- मनोज भावुक

ई गाँधी जी के भोजपुरिये कनेक्शन बा कि 40 पेज के ई-पत्रिका के पहिलके अंक 152 पेज के महात्मा गाँधी विशेषांक बन गइल तबो मन ना भरल। फेर एगो विशेषांक रउरा हाथ में बा। विशेषांक का ? एकरा के विशेषांक पर विशेषांक कहीं।

साँचों, इहो गजबे संजोग बा गाँधी जी के पुण्यतिथि पर हम भोजपुरिआ के महात्मा गाँधी विशेषांक निकलल अउर जयंती पर ओह विशेषांक पर विशेषांक निकsलता। जी हाँ, एतना प्यार आ अइसे प्यार बहुत कम अंक के नसीब होला। 30 जनवरी के हम भोजपुरिआ के पहिलका अंक महात्मा गाँधी विशेषांक निकलल। एह अंक में माने पत्रिका के सतरहवां अंक कहीं भा भोजपुरी जंक्शन के तिसरका अंक, ओह अंक माने पहिलका अंक माने महात्मा गाँधी विशेषांक पर खूब बात होता। ई बात खाली बात माने बतकूचन नइखे। ई चिंतन-मनन बा, सुझाव-सलाह बा, नेह-आसिरबाद बा, सवाल-जबाब बा, नजर-नजरिया बा अउर ओह अंक के बहाने एहू अंक में गाँधी जी के अउर-अउर तरह से देखे-समझे, जाने-बूझे के कोशिशो बा।

डॉ. ब्रजभूषण मिश्रा, श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी, डॉ. प्रेमशीला शुक्ल, डॉ. सुनील कुमार पाठक, श्री सौरभ पाण्डेय, श्री प्रकाश उदय, श्रीमती मनोरमा सिंह, डॉ. राजेश कुमार मांझी अउर श्री सुमन कुमार सिंह के महात्मा गाँधी विशेषांक पर समीक्षात्मक आलेख ऊर्जा आ उछाह से भर देता त कई जगे आँखों खोलSता। लगभग सभ विद्वान लोग ओह अंक के ऐतिहासिक अउर संग्रहणीय अंक कहले बा त ओह कहे में कहात-कहात गाँधी जी पर एतना–एतना बात हो गइल बा कि इहो अंकवा ऐतिहासिक अउर संग्रहणीय बन गइल बा। इहो अंकवा महात्मा गाँधी विशेषांक बन गइल बा– महात्मा गाँधी विशेषांक – दू

अच्छा, अइसनो नइखे कि ई अंक ओह अंक के समीक्षा मात्र बा। समीक्षा से इतर भी कई गो आलेख बा गाँधी बाबा पर। श्री परिचय दास के आलेख मातृभाषा आ गाँधी जी त बहुत जरुरी लेख बा।

चूँकि ई अंक गाँधीमय हो गइल बा, एह से स्थायी स्तम्भ जइसे कि भोजपुरी के गौरव:दिवंगत साहित्य सेवी, मलिकाइन के पाती, सिनेमा आदि एह अंक से गायब बा। अगिला अंक से ई सब फेर पहिलहीं लेखां चमके-दमके लागी।

फिलहाल आईं, ओह महात्मा के ईयाद कइल जाय जेकरा के महात्मा बिहार बनवलस। भोजपुरी क्षेत्र बनवलस। तीन कठिया प्रथा के विरोध उनका के 1917 में हीं हीरो बना देलस। चंपारण के भितिहरवा आश्रम मोहनदास के महात्मा बनावे के प्रक्रिया में लाग गइल। अतने ना गाँधी जी भोजपुरिआ लोग के मन-प्राण में अइसे बसलें कि उनका प कविता बने लागल, गीत रचाए लागल, उ शादी-बिआह में गवाये लगलें –

गाँधी बाबा दुलहा बनलें, नेहरू बनलें सहबलिया

भारतवासी बनलें बाराती, लंदन के नगरिया ना

बान्हि के खद्दर के पगड़िया, गाँधी ससुररिया चलले ना

जब गाँधी जी के हत्या भइल त भोजपुरी क्षेत्र के लोग बउरा गइल। सबका मुंह प गोडसे खातिर सराप रहे, गारी रहे, गुस्सा रहे। रसूल मियां के एगो गीत में गाँधी जी खातिर अपनापन आ दर्द दुनों साफ झलकsता-

 के हमरा गाँधी जी के गोली मारल हो, धमाधम तीन गो

तनी, गीत के भाषा देखीं। के हमरा गाँधी जी के। ..एह ‘हमरा’ प ध्यान दीं. इहे गाँधी जी के भोजपुरी कनेक्शन ह।  

ओह गाँधी जी के जे अंगरेजन से दहेज में सुराज मांगsता-

गांधी बाबा दूल्हा बने हैं

दुल्हन बनी सरकार

            चरखवा चालू रहे।

वीर जवाहर बने सहबाला

इर्विन बने नेवतार

            चरखवा चालू रहे।

वालंटियर सब बने बराती

जेलर बने बाजदार

            चरखवा चालू रहे।

दुलहा गांधी जेवन बैठे

दहेज में मांगे सुराज

            चरखवा चालू रहे।

भगवान राम के बाद भोजपुरी लोकगीतन में सबसे अधिक गूँजे वाला एह महानायक के नमन करत ई अंक रउरा सब के सउंपत बानी।

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