बल्लभगढ़ से यूरोप तक फइलल इस्लामिक जेहादी

November 11, 2020
सुनीं सभे
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आर.के.सिन्हा

कवनो युवक-युवती में प्रेम भइल या एकतरफा प्रेम भइल सदियन से चलत आ रहल सामान्य बात बा। इहो होला कि अनेक बार एक दोसरा के चाहे वाला में कई कारन से विवाह भी ना होखे। एकर तमाम वजह हो सकsता जेकर चर्चा क के राउर समय बर्बाद नइखीं करे के चाहत। लेकिन कवनो कन्या से एकतरफा प्रेम कइल आ फेर ओकरा पर आपन धर्म बदल के इस्लाम धर्म स्वीकार कर शादी करे के जिद्द करे वाला इंसान के रउआ का कहेम। बेशक ऊ त मानसिक रूप से विक्षिप्त ही होई। एके जेहादी अउर कट्टरपंथी मानसिकता भी कहल जा सकsता। अइसन विक्षिप्त इंसान केतना भयानक कदम उठा सकsता, ई हाले में पूरा देश हरियाणा के औद्योगिक शहर बल्लभगढ़ शहर में देखले बा। ई राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के करीब हीं बा। उहाँ बीकॉम के पढ़ाई कर रहल 21 वर्षीय मेधावी  छात्रा निकिता तोमर के एक सिरफिरा कट्टरपंथी विक्षिप्त नवयुवक के द्वारा अपना एक मित्र के मदद से हत्या कर देहल गइल। ओके 21 साल के तौसीफ नाम के इंसान खाली ए खातिर गोली से भून दिहलस कि ऊ निकिता से एकतरफा प्यार करत रहे आ ओकरा पर साथ भाग के अउर धर्म परिवर्तन करके शादी करे के दबाव बनावत रहे जेमे असफल भइला पर ऊ ये अपराध के अंजाम दिहलस। पुलिस के शुरुआती तफ्तीश अउर निकिता के माँ के बयान से साफ बा कि तौसीफ आ ओकर माँ भी लगातार निकिता पर दबाव डालत रहे लोग कि ऊ इस्लाम धर्म के स्वीकार करके उनकर बहू बन जाय। ऊ ई सब ना कइलस त ओकर जान ही ले लेहल गइल। एकरा पहिले निकिता के अपहरण भी कइल गइल रहे।

ताज्जुब त ई हो रहल बा कि अइसन भयावह घटना के बाद भी ऊ सारा लोग चुप बा जे हाथरस में एक दलित कन्या के बलात्कार अउर हत्या के घटना के ले के सोशल मीडिया से ले के सड़कन तक उतर आइल रहे। का ऊ लोग अपना चुप्पी के वजह के जरा खुलासा भी करी? का केहू इहो बताई कि भारत में ऊ कौन सा तत्व बा जे तौसीफ जइसन नवजवानन के जेहादी बना रहल बा? जवना उम्र में तौसीफ के पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान देवे के चाहत रहे, ओ उम्र में ऊ एक युवती पर धर्म परिवर्तन के दबाव बनावत रहे।

आरोपी तौसीफ के संबंध हरियाणा के सम्पन्न कांग्रेसी परिवार से बा। ओकर दादा कबीर अहमद विधायक रहल बाड़े। ओकर चाचा खुर्शीद अहमद हरियाणा के पूर्व मंत्री रहलन। नूंह से कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ओकर चचेरा भाई हउअन। का जवन राहुल गाँधी आ प्रियंका गाँधी हाथरस के घटना पर सड़क पर उतरल रहे लोग ऊ अपना पार्टी के विधायक के भतीजा के खिलाफ भी तत्काल कठोर कार्रवाई के माँग करी अउर निकिता के घर जाके उनका घर वालन के भी सांत्वना दी? फिलहाल उनके अल्पसंख्यक प्रेम के पूर्व के इतिहास के कारण अइसन लागत त नइखे। बल्लभगढ़ घटना के तीन दिन बाद तक गाँधी परिवार के तरफ से कवनो प्रतिक्रिया तक ना आइल रहे। फिलहाल तौसीफ आ ओकर साथी रेहान के त हरियाणा पुलिस गिरफ्तार कर लेले बा। पर एक निर्दोष बच्ची के जान त चल गइल। निर्भया, हाथरस अउर अब बल्लभगढ़ के घटना में हिंसा के बर्बर अतिरेक बा। ई भी विचार करे के होई कि तौसीफ जइसन अपराधी कइसे आ काहे बनेला?  ये बिंदु पर अपराध शास्त्री के अउर राजनेता लोग के भी गम्भीरता से सोचे के होई।

काबू पावल जाय जेहादी मानसिकता पर

याद रखीं कि बल्लभगढ़ के घटना एकतरफा प्रेम तक ही सीमित नइखे। एकर एक बड़ा आयाम जेहादी मानसिकता भी बा, जवन सारी दुनिया में तेजी से फइल रहल बा। अब जरा देखीं कि यूरोप के जवन देश दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम शरणार्थिन के शरण देहलस ओकरा बदला में का मिलल? सीरिया, अफगानिस्तान, रोहिंग्या के शरणार्थिन के सबसे ज्यादा शरण फ्रांस, जर्मनी, स्वीडन, इंग्लैंड आ ऑस्ट्रेलिया ही देहलस। जर्मनी सीरिया में गृह युद्ध के दौरान 1 लाख शरणार्थिन के शरण देवे वाला खास देश रहल। गौर करीं कि कवनो मुस्लिम मुल्क त उपर्युक्त देशन के शरणार्थिन के अपना इहाँ ना बुलवलस। काहे? का सभी पचास से ज्यादा इस्लामिक राष्ट्र जेहादिन के मूक समर्थन करत रहे?

विगत कुछ समय पहिले स्वीडन में जे कुछ घटल ओके दुनिया देखलस। करीब एक दशक पहिले स्कैंडिनेवियायी देश जइसे स्वीडन, फिनलैंड, डेनमार्क में इस्लाम के उपस्थिति नाम मात्र के ही रहे, लेकिन सीरियाई अरब शरणार्थिन के खुले दिल से स्वीकार करे के उदारता के कारण ही आजकल उहाँ जिहादी सब जम के बवाल काट रहल बा। कारण ई बतावल जा रहल बा कि उहाँ पर कुछ शरारती तत्व कुरान के साथ अनादर कइल। स्वीडिश जनता के त अपना काम आ मौज-मस्ती से भरपूर जिंदगी के अलावा और कवनों शरारतीपूर्ण कार्य से कभी कवनों मतलब ही ना रहल। फिर भी अफवाह फइलला के बाद उहाँ पर तगड़ा बवाल काटल गइल। ओही शरणार्थी मुसलमान सबके भीड़ सड़कन पर उतर आइल जेके स्वीडन सीरियाई कत्लेआम से बचाके अपना देश में शरण देले रहे। ये पूरा हिंसा के पीछे उहे शरणार्थी सब रहे जेके स्वीडन के सरकार मानवता के आधार पर अपनही देश में शरण देले रहे। ई बा ये जेहादी मानसिकता वालन के एहशान फरामोशी।

मतलब बल्लभगढ़ से लेके स्वीडन तक एक ही प्रकार के कट्टर जेहादी मानसिकता साफतौर पर नजर आ रहल बा। ई सारा संसार में उठल-पुथल मचा के रख देले बा। ये मानसिकता में लोकतांत्रिक तरीका से बहस खातिर कवनों जगह नइखे। बोलबs त मार दिहल जइबs। एमे कवनों इंसान के हत्या चाहे मासूमन के मजहब के नाम पर मार देहल सामान्य सा बात ही मानल जाला। निकिता के साथ इहे त भइल। चूंकि ऊ लफंगा तौसीफ से शादी करे से मना कइलस, ओके सरे राह पहिले खींच के अपहरण करे के कोशिश कइल गइल आ जब उ तइयार ना भइल त गोली मार दिहल गइल।

ई मत भूलीं कि इहे जेहादी सब अपने देश के बैंगलुरू जइसन आधुनिक महानगर में कुछ समय पहिलही जम के आगजनी कइले रहे। एकर वजह ई बतावल गइल रहे कि बैंगलुरू में कांग्रेस के एक विधायक के एक कथित रिश्तेदार पैगम्बर मोहम्मद के लेके सोशल मीडिया पर कवनो अपमानजनक पोस्ट कर देले रहलन, जवना के प्रतिक्रिया में ई सुनियोजित व्यापक हिंसा भइल। अब सवाल ई बा कि का विरोध जतावे खातिर हिंसा के ही सहारा लेहल जाई? आखिर मुस्लिम समाज के जेहादी तत्व कानून के अपना हाथ में काहे लेते जा रहल बा?  ई हम बल्लभगढ़, बैंगलुरू, यूरोप वगैरह सब जगह देख रहल बानी। अइसन क के ई जेहादी सब इस्लाम के बदनाम ही त करsता। ये लोग के शांति से रहे अइबे ना करे। पड़ोसी पाकिस्तान में ई जेहादी ही शिया अउर अहमदी लोग के मारत रहेला। उनका मस्जिद पर बम बिस्फोट करेला। ई समझ में ना आवे कि दरअसल ई लोग चाहेला का? फिलहाल त सारी दुनिया के सामने कोविड-19 अउर इस्लामिक चरमपंथी दुनु लमहर चुनौती के रूप में सामने आइल बा। कोविड-19 के त वैक्सीन मिल ही जाई पर तौसीफ जइसन जालिम जेहादिन के दुनिया कइसे मुकाबला करी? ये विषय पर सारी दुनिया के विशेषकर इस्लामिक राष्ट्रन के खासकर इस्लामिक धर्म गुरुअन के त तत्काल सोचे के होई। कहीं अइसन ना होखे कि ये कुकृत्यन के व्यापक प्रतिक्रिया से भारी नुकसान हो जाय। अइसन स्थिति से सबका बचें के चाहीं।

( लेखक वरिष्ठ सम्पादक, स्तम्भकार अउर पूर्व सांसद हईं)

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