स्मृति शेष: वात्सल्य के साक्षात् मूर्ति मृदुला सिन्हा

December 15, 2020
सुनीं सभे
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  आर.के. सिन्हा

18 नवम्बर 2020 के दिन भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्तन खातिर खासकर बिहार से जुड़ल लोगन खातिर अत्यंत दुःखद रहल, जब मृदुला भाभी( गोवा के भूतपूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा) के देहावसान हो गइल। सुबह लगभग 7 बजे ही बिहार के नव-नियुक्त उप-मुख्यमंत्री श्रीमती रेणु देवी के फोन आइल अउर उ चिंता भरल लहजा में कहली- “भइया, मामी के हालत सीरियस हो गइल बा।” ऊ मृदुला जी के मामी कहल करस। मृदुला जी हमरा खातिर हमार प्रिय भाभी रहनी। एही तरे देशभर के कार्यकर्तन में ऊ केहू के भाभी, केहू के चाची, केहू के दीदी, केहू के ताई, केहू के नानी, केहू के दादी, ना जाने का-का रहली। वात्सल्य के साक्षात् ऊ एक अइसन भारतीय विदुषी नारी रहली, जेकर कल्पना भारतीय संस्कृति में आदर्श पत्नी, आदर्श माता अउर आदर्श सामाजिक कार्यकर्ता आ कुशल गृहणी के रूप में होत रहल बा।

मृदुला भाभी के हृदय में भारतीय संस्कृति अउर खासकर बिहार आ मिथिला के लोक संस्कृति रोम-रोम में बसल रहे। उहाँ के ओ क्षेत्र से आवत रहनी जेकरा बहुत निकट सीतामढ़ी में जनक पुत्री सीता जी के जन्म स्थान बा। ई संयोग कहल जाई कि राजा रामचंद्र के पत्नी सीता पर गहन शोध क के एक अद्भुत उपन्यास लिखे के श्रेय भी मृदुला भाभी के ही जाला। ओ अद्भुत उपन्यास के नाम ह- “सीता पुनि बोली।” सीता के चरित्र के, सीता के मनोदशा के, उनका अंतर्व्यथा के, उनके विडम्बनन के, सीता के समक्ष उपस्थित समस्यन अउर ओ सबके निदान के जवना तरे से रोचक वर्णन डॉ. श्रीमती मृदुला सिन्हा जी “सीता पुनि बोली” में कइले बानी ओके पढ़ के कई बार अइसन लागेला कि उहाँ के अपना चरित्र के वर्णन कर रहल बानी। उहाँ के खुद भी मिथिला के ही रहनी। मृदुला सिन्हा जी बाल्यकाल से ही अइसन संस्कारन में पलनी-बढ़नी, कि उनके संस्कार आ उनके रुचि में लोक संस्कृति, लोक साहित्य, लोक कथा आ लोक गीतन के समन्यव गहराई से पनप गइल।

ओह समय में लड़किन के होस्टल में रख के पढ़ावे वाला ग्रामीण परिवार कम ही होखे। लेकिन मृदुला जी के पिता जी उनके बाल्यावस्था में ही बिहार के लखीसराय के बालिका विद्यापीठ में पढ़े खातिर भेज देहले रहनी। ई विद्यापीठ ओ घरी एतना उच्च कोटि के और अच्छा शिक्षण संस्थान रहे कि ओके बिहार के “वनस्थली” कह के पुकारल जाय। मृदुला जी जब बी.ए. के पढ़ाई करत रहनी तबे उनकर विवाह डॉ. रामकृपाल सिन्हा जी से हो गइल, जे मुजफ्फरपुर में बिहार विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में अंग्रेजी के प्राध्यापक रहनी। लेकिन डॉ. रामकृपाल सिन्हा जी के प्रोत्साहन से ना केवल उहाँ ले बी.ए. के परीक्षा पास कइनी बल्कि एम.ए. भी कइनी अउर उहें के प्रोत्साहन से लोक कथा के लिखल शुरू कइनी, जवन साप्ताहिक हिंदुस्तान, नवभारत टाईम्स, धर्मयुग, माया, मनोरमा आदि पत्र पत्रिकन में लगातार छपत रहल। बाद में ये सब लोक कथा के दू खण्ड में ” बिहार की लोक कथाओं” के नाम से प्रकाशन कइल गइल।

1968 में डॉ. रामकृपाल सिन्हा भाई साहब एम.एल.सी. होके पटना अइनी। हम भागलपुर में आयोजित वर्ष 1966 के संघ शिक्षा वर्ग पूरा कर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के आशीर्वाद से भारतीय जनसंघ में शामिल हो गइल रहनी। हम पटना महानगर के एक सामान्य सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में काम करत रहनी। साथ ही हिन्दुस्थान समाचार में रिपोर्टर भी रहनी। पटना महानगर में जे भी प्रमुख कार्यकर्ता पटना आवे, उनके देखभाल के जिम्मेवारी सामान्यतः हमरे के देहल जाय। एसे हम रामकृपाल भाई साहब के सम्पर्क में 1968 में अइनी। जब बिहार में 1971 में कर्पूरी ठाकुर जी के नेतृत्व में संयुक्त विधायक दल के सरकार बनल त जनसंघ कोटा से डॉ. रामकृपाल सिन्हा जी कैबिनेट मंत्री भी बननी। अप्रैल 1974 में जब उहाँ के एम.एल.सी. के कार्यकाल समाप्त भइल तब रामकृपाल भाई साहब भारतीय जनसंघ के टिकट पर राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित होके दिल्ली आ गइनी।

1977 में जब जनता पार्टी के सरकार बनल तब रामकृपाल सिन्हा जी के मोरारजी देसाई मंत्रिमंडल में संसदीय कार्य मंत्रालय एवं श्रम मंत्रालय में राज्य मंत्री बनावल गइल।

1980 में जब उहाँ के राज्यसभा के कार्यकाल समाप्त हो गइल, त उहाँ के वापस मुजफ्फरपुर जाके बिहार विश्विद्यालय में पढ़ावे लगनी। लेकिन, मृदुला भाभी दिल्ली में ही रह गइनी। काहे कि तीनू बच्चा नवीन, प्रवीण और लिली छोट रहे लोग अउर दिल्ली में ही पढ़त रहे। ओ समय बिहार प्रदेश के संगठन मंत्री श्री अश्विनी कुमार जी राज्य सभा में आ गइल रहनी अउर रफी मार्ग पर विट्ठल भाई पटेल भवन में 301 अउर 302 नं. कमरा में रहत रहनी। मृदुला भाभी अउर उनकर बच्चा लोग 302 नं. कमरा में आ गइनी। माननीय अश्विनी कुमार जी 301 नं. कमरा के बॉलकनी के घेर के एक छोटा सा कमरा बनवा लेले रहीं आ ओही में रहत रहनी। हमनी पटना के कार्यकर्ता जब दिल्ली जाईं त 302 नं. के कमरा में जेमे एक सोफा आ एक बेड लागल रहे ओही पर सोईं जा। 302 नं. कमरा में हमनी के भोजन बने। भोजन, जलपान, चाय, नास्ता आदि के पूरा जिम्मेवारी मृदुला भाभी अपना ऊपर उठा लेहले रहनी। चाहे हम पटना से दो या चार लोग भी जाईं, सबका के ओतने प्यार से पूछ-पूछ के मनपसंद भोजन बना के खियावल अउर सबके देखभाल कइल, केहू के कवनो तकलीफ ना होखे, एकर ख्याल उहें के करीं। कपड़ा गंदा हो जाये त बी.पी. हाउस से धोबिन के बोला के कपड़ा देके धुलवावल, इहाँ तक कि जब हम पटना वापस लौटीं त पराठा-सब्जी बना के ट्रेन में खाए के वास्ते दे देहल, एतना सारा कुछ करत रहनी। उहाँ के बात इयाद कइला पर आँख भर आवेला। हमरा के त एतना प्यार देत रहीं जेतना आपन भाभी लोग भी ना देहले होई।

जब उहाँ के भारतीय जनता पार्टी के महिला मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बननी,  महिला आयोग के अध्यक्ष बननी, तब उहाँ के ग्वालियर के महारानी विजया राजे सिंधिया पर उपन्यास लिखनीं। चाहे मामला व्यक्तिगत या राजनीतिक रहे, जब भी उहाँ के दुविधा में रहीं त हमरा से जरूर बात करीं। जब कहीं कुछ काम ना हो पावत रहे त हमरे से ही कहीं। जब उहाँ के गोवा के राज्यपाल बननी त हमरा के सपत्निक  गोवा बोलववनी। राजभवन में ठहरवनी। कई बार त उहाँ के अपने रसोई घर में घुस जाईं अउर मना कइला पर कहीं, “मेरे देवर जी आए हैं। मैं स्वयं उन्हें उनके मनपसंद बिहारी व्यंजन बनाकर खिलाऊँगी।” ई सब घटना सबके बतावल भी मुश्किल बा।

हम उहाँ के अपने विद्यालय द इंडियन पब्लिक स्कूल, देहरादून में एक कार्यक्रम में बोलवनी त उहाँ के आगमन के दिने उत्तराखंड के राज्यपाल राजभवन के गाड़ी अपने ए.डी.सी. के साथ एयर पोर्ट भेजनी। उहाँ के राजभवन के गाड़ी में ना बइठ के हमरा गाड़ी में बइठनी आ कहनी कि “मैं राज भवन में न ठहर कर अपने देवर जी के यहाँ ही ठहरूँगी।” उहाँ के हमरा विद्यालय परिसर के हमरा आवास पर ही रूकनी  अउर एक दिन के कार्यक्रम खातिर आइल रहनी पर चार-पाँच दिन रुकनी। अइसन अनेकों संस्मरण बा। अभी कुछ महीने पहिले महान साहित्यकार, लेखक, सांसद डॉ. शंकर दयाल सिंह जी के पुत्री डॉ. रश्मि सिंह अपना आवास पर 9 अप्रैल के एक कार्यक्रम में मृदुला भाभी अउर हमरा के साथे बोलवनी। ओह कार्यक्रम में मृदुला भाभी हमरा के शाल ओढ़ा के सम्मानित कइनी। उहाँ के हमरा प्रति एतना सम्मान रहे। उहाँ के जब लागल कि उहाँ के कार्यक्रम में आइल बानी त हमरो सम्मान मिले के चाहीं। अइसन विदुषी भारतीय नारी रहनी मृदुला जी। उहाँ के कवना प्रकार से श्रद्धांजलि अर्पित कइल जाय ई समझ मे नइखे आवत। उहाँ के व्यक्तित्व बार-बार ईयाद आ रहल बा। एक बार दीदी मां साध्वी ऋतंभरा जी के वृन्दावन आश्रम में एक कार्यक्रम में उहाँ के मंच पर बइठल रहनी आ हम उहाँ के ठीक सामने नीचे के कुर्सी पर बइठल रहनी। उहाँ के अपना भाषण में मंच पर से कहनी कि” मेरे सामने मेरे देवर जी आर.के.सिन्हा बैठे हैं।” मैंने भी कहा फिर अपने देवर को एक गीत सुना दीजिएगा। उहाँ के आपन भाषण समाप्त कइला के बाद एक लोकगीत गाके सुनवनी। सारा श्रोतागण खुशी से झूम उठल। ई हमार मर्मस्पर्शी क्षण ही रहे। एही तरे बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के, पटना में “शताब्दी समारोह” मनावल जात रहे। हम स्वागताध्यक्ष रहनीं। ओह समय के तत्कालीन राज्यपाल अउर अब देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी के आमन्त्रित कइले रहनी। मृदुला भाभी के भी हम आग्रहपूर्वक बोलवले रहनी। उहाँ के पटना अइनी। दुनू तत्कालीन राज्यपाल सब के साथ मंच पर बइठे के सौभाग्य मिलल। उहाँ के मंच पर बइठले-बइठल रामनाथ कोविंद जी के हमरा बारे में बहुत सारा बात कह गइनी। ऊ सब ईयाद कर के मन भर आवता।

ईश्वर से प्रार्थना बा कि उहाँ के पवित्र आत्मा के चीर शांति प्रदान करीं अउर डॉ. रामकृपाल सिन्हा जी, नवीन, प्रवीण, लिली अउर सभ परिवार जन आ उनके चाहे वाला लाखो कार्यकर्ता भाई लोग के शोक के घड़ी में शक्ति अउर संबल प्रदान करीं। अइसन महान कार्यकर्ता बार-बार भाजपा में आवत रहे। ओम शांति! ओम शांति!! ओम शांति!!

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार अउर पूर्व सांसद हईं।)

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