पाक अउर कनाडा बा करीमा के कातिल

February 15, 2021
सुनीं सभे
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  आर.के. सिन्हा

पाकिस्तानी फौज के तरफ से बलूचिस्तान में कइल जा रहल जुल्म-सितम के खिलाफ आवाज उठावे वाली प्रखर महिला एक्टिविस्ट करीमा बलोच के हाल ही में कनाडा में सुनियोजित निर्मम हत्या में पाकिस्तान के धूर्त अउर शातिर इंटेलिजेंस एजेंसी आईएसआई के नाम सामने आ रहा बा। बलोच पाकिस्तान सरकार, सेना अउर आईएसआई के आँख के किरकिरी बन चुकल रहली। ऊ पाकिस्तान सरकार के काली करतूतन के कहानी लगातार दुनिया के बतावत रहली। एही से उनका के आईएसआई ठिकाने लगा देहलस। बलोच के कत्ल साफ कर देले बा कि कनाडा एक अराजक मुल्क के रूप में आगे बढ़ रहल बा। उहाँ पर खालिस्तानी तत्व त पहिलहीं से जड़ जमा चुकल बा। अब उहाँ पर आईएसआई भी सक्रिय हो गइल बा। ओकरा तरफ से अब ओ लोगन पर वार होत रही जे पाकिस्तान में मानवाधिकार आ जनवादी अधिकार के हनन अउर बढ़ रहल कठमुल्लापन के खिलाफ बोले ला।

गौर करीं कि ई सब ओही कनाडा में हो रहल बा जेकर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत सरकार के प्रवचन दे रहल बाड़े किसानन के आंदोलन के ले के। जस्टिन ट्रूडो कह रहल बाड़े कि भारत सरकार अपना आंदोलनकारी किसानन के मांग के माने। कहल जाला, जे शीशा के घर में रहेला ओकरा दोसरा के घर पर पत्थर ना फेंके के चाहीं। जस्टिन ट्रूडो के अपने देश में जंगल राज वाली स्थिति बन रहल बा, पर ऊ भारत के आंतरिक मामला में बेशर्मी से हस्तक्षेप करे से बाज नइखन आवत। ऊ अभी तक बलोच के कत्ल पर एक भी शब्द नइखन बोलले। काहे?  उनका ये सवाल के जवाब त विश्व के देवहीं के परी।

करीमा बलोच के भारत से बहुत उम्मीद रहे। ऊ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आपन भाई मानत रहली। दरअसल, साल 2016 के रक्षाबंधन पर करीमा बलोच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राखी भेजले रहली अउर आपन भाई बनवले रहली। ये राखी के साथ ही करीमा बलोच मोदीजी से बलूचिस्तान के आजादी के गुहार लगवले रहली। साल 2016 में करीमा बलोच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक संदेश भेजले रहली, जेमे ऊ कहले रहली कि रक्षाबंधन के दिन एगो बहिन रउआ के भाई मान के कुछ मांगे के चाहsतारी। बलूचिस्तान में केतने भाई शहीद हो गइले आ वापस ना अइले। बलूचिस्तान के लोग रउआ के मानेला। अइसे में रउआ दुनिया के सामने हमनीं के आंदोलन के आवाज बनीं। दरअसल करीमा बलोच 2016 से हीं कनाडा में शरण ले के रहत रहली। कनाडा के प्रधानमंत्री बतावस कि ऊ बलोच के पर्याप्त सुरक्षा काहे ना देहलन I  हालांकि, कुछ वक्त पहिलही ऊ एक वीडियो संदेश में अपना जान के खतरा होखे के बात कहले रहली? करीमा बलोच के गिनती दुनिया के 100 सबसे प्रेरणादायी महिला लोग में कइल जात रहे। करीमा बलोच के कत्ल से समझ आ जाता कि पाकिस्तान सरकार बलूचिस्तान में चल रहल अलगाववादी आंदोलन के ले के केतना परेशान बा।

बलूचिस्तान पाकिस्तान के सबसे पिछड़ल सूबा ह। विकास से कोसों दूर बा बलूचिस्तान। बलूचिस्तान पाकिस्तान से शुरू से ही अलग होखे के चाहsता। कायदे से ऊ बंटवारा के समय भारत के साथ ही रहे के चाहत रहेI स्वतंत्र राज्य रहे ही, पर पंडित नेहरु ओके उदारतापूर्वक पाकिस्तान के दान में दे देहलेI बलूचिस्तान पाकिस्तान के पश्चिम के राज्य ह जेकर राजधानी क्वेटा ह। बलूचिस्तान के पड़ोस में ईरान आ अफगानिस्तान बा। 1944 में ही बलूचिस्तान के आजादी देवे खातिर माहौल बनत रहे। लेकिन, 1947 में एके जबरन पाकिस्तान में शामिल कर लेहल गइल। तबे से बलूच लोग के संघर्ष चल रहल बा अउर ओतने ही ताकत से पाकिस्तानी सेना आ सरकार बलूच लोगन के कुचलत रहल बा। पाकिस्तानी सेना के ताकत ही ओके पाकिस्तान के हिस्सा बना के रखले बा। पर मजाल बा कि जस्टिन ट्रूडो कभी एक शब्द भी बलूचिस्तान के स्थिति पर भी बोलले होखस। पाकिस्तानी सेना स्वात घाटी अउर बलूचिस्तान में विद्रोह के दबावे खातिर आये दिन टैंक आ लड़ाकू विमानन तक के इस्तेमाल करे ला। जवन पाकिस्तान बात-बात पर कश्मीर के रोना रोवत रहेला, ऊ कभी भी बलूचिस्तान में कवनों विकास कार्य ना कइलस। बलूचिस्तान कमोबेश अंधकार के युग में जी रहल बा। का ई सब जस्टिन ट्रूडो के देखाई नइखे देत? बलूचिस्तान में चल रहल सघन पृथकतावादी आंदोलन पाकिस्तान सरकार के नाक में दम कर रखले बा, ई सब जानतारे पर ट्रूडो अपना अनभिज्ञता के स्वांग भर रहल बाड़े।

पाकिस्तान के चार सूबा बा: पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान अउर ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा। एकरा अलावा पाक अधिकृत कश्मीर अउर गिलगित-बल्टिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नाजायज ढंग से नियंत्रित बा, जेकरा के पाकिस्तान अवैध रूप से भारत से हड़प लेले बा। एक न एक दिन ई दूनू जिला भारत से मिलबे करी । पाकिस्तानी सेना बलूचिस्तान में महिला सबके साथ आये दिन खुलेआम बलात्कार करत आ रहल बा। मर्द सबके बड़ी बेरहमी आ बेदर्दी से मारेला। बलूचिस्तान के जनता तब से पाकिस्तान से अउर ही दूर हो गइल रहे जब कुछ साल पहिले बलूचिस्तान के एकछत्र नेता नवाब अकबर खान बुगती के हत्या कर देहल गइल रहे। उनके हत्या में पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ के हाथ बतावल जाला।

बहरहाल, बलूचिस्तान के अवाम के कहना बा कि जइसे 1971 में पाकिस्तान से कट के बांग्लादेश बन गइल रहे ओही तरह एक दिन बलूचिस्तान अलग देश त बनिये जाई। बलूचिस्तान के लोग कवनो भी कीमत पर पाकिस्तान से अलग हो जाए के चाहsता। करीमा बलोच के हत्या के लेके कनाडा के प्रधानमंत्री भलही ना बोलस पर भारत के बलूचिस्तान के जनता के हक में आपन आवाज बुलंद करहीं के होई। बलोच के शहादत कवनों भी सूरत में खाली ना जाये के चाहीं। ये बीचे, भारतीय नागरिकन के, खासतौर पर पंजाब प्रांत से संबंध रखे वालन के, कनाडा के ले के आपन सोच बदले के चाहीं। रउआ कभी मौका मिले त सोमवार से शुक्रवार तक के बीच राजधानी के चाणक्यपुरी इलाकन के चक्कर लगा लीं। एने सुबह से ही रउआ बड़ी तादाद में महिला, पुरुष आ बच्चा तइयार घूमत मिलिहें। इनका के देख के लागे ला, मानी ई सब लोग सुबह ही कवनों विवाह समारोह में भाग लेवे खातिर जा रहल बाड़े। ई लोग अधिकतर कनाडा हाई कमीशन के आसपास घूमत रहेला। ई लोग अलग-अलग समूहन में खड़ा होके आपस में बतियावत भी रहेले। अइसे त कुछ अउर दूतावासन आ उच्चायोगन के बाहर भी वीजा के चाहत रखे वाला लोग खड़ा होखेलें, पर कनाड़ा हाई कमीशन के त का काहे के। एने आवे वालन के चेहरा के भाव पढ़ला पर त लागेला मानी वीजा के जगह भीख मांग रहल बा लोग। का इनका ओ देश में जाये के पहिले सोंचे के ना चाहीं जहाँ पर भारत विरोधी गतिविधि लगातार बढ़ रहल बा आ जवन अराजकता के जाल में फँस रहल बा?

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार अउर पूर्व सांसद हईं)

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