3 मार्च ह आज। दिन बुधवार ह। आजे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दिल्ली के RR हॉस्पिटल में कोरोना वैक्सीन के पहिला डोज लेले हं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, बिहार के मुख्यमंत्री नतीश कुमार, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक आ केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद समेत कई गो नेता लोग अब तक टीका लगवा चुकल बा।
भारत में कोविड वैक्सीनेशन के दूसरा चरण एक मार्च से शुरू भइल ह। पहिला चरण के शुरुआत 16 जनवरी 2021 से भइल रहे। पहिला चरण में स्वास्थ्यकर्मियन यानी डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स आ स्वास्थ्य से जुड़ल लोग के साथही फ़्रंटलाइन वर्कर्स यानी पुलिसकर्मियन, पैरामिलिट्री फ़ोर्सेज आ सैन्यकर्मियन के भी टीका लगावल गइल। दूसरा चरण में 60 साल से ज़्यादा उम्र वाला लोग आ कवनो गंभीर बीमारी से जूझ रहल 45 साल से अधिक उम्र के लोग के वैक्सीन दीहल जाता।
भारत में कोविड-19 से बचाव खातिर दू गो वैक्सीन लगावल जा रहल बा, जेकरा के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (डीसीजीआई) अनुमति देले बा। ई दूनू वैक्सीन बा- कोविशील्ड और कोवैक्सीन। कोविशील्ड जहां असल में ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका के संस्करण बा उहवें कोवैक्सीन पूरा तरह से भारत के आपन वैक्सीन बा जेकरा के ‘स्वदेशी वैक्सीन’ भी कहल जा रहल बा। कोविशील्ड के भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया कंपनी बनवले बा। उहवें, कोवैक्सीन के हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी आ इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) मिलके बनवले बा।
वैक्सीन के अइला से लोग में कोरोना के खौफ़ भलहीं कम भइल बा बाकिर कोरोना के आग अभी बुताइल नइखे। देश में कोरोना के मामला लगातार बढ़ते जा रहल बा। एहू में महाराष्ट्र के हालात सबसे ख़राब बा। बुझ जाईं जे इहाँ पिछला 24 घंटा में रिकॉर्ड 9855 कोरोना के मामला सामने आइल बा। ई आंकड़ा पिछला 136 दिन में सबसे ज्यादा बा। एकरा पहिले इहाँ 18 अक्टूबर के 9060 मामला रहे।
अब तक देश में 1 करोड़ 11 लाख 39 हजार से ज्यादा लोग संक्रमण के चपेट में आ चुकल बाड़न, जवना में 1 करोड़ 8 लाख लोग ठीको हो चुकल बाड़न, जबकि 1 लाख 57 हजार 385 मरीजन के मौत हो गइल। 1 लाख 67 हजार 183 मरीज के अभी इलाज चलता। ई डेटा हम डेरवावे खातिर ना, सचेत रहे खातिर आ सावधानी बरते खातिर दे तानी।
पिछला साल मार्चे में कोरोना के चलते लॉकडाउन के सिलसिला शुरू भइल। आदमी जे सोशल रहे, सोशल डिस्टेंसिंग बनावे लागल। लोग कंगारू लेखां लइका-बच्चा के करेजा से सटले मुंबई-दिल्ली से पैदले गाँवे भागे लागल। मुँह प जाबी (मास्क) लगा के जरूरतमंद के पूड़ी-तरकारी बँटाये लागल। जे जहाँ फँसल ओही जी भगवान के गोहरावे लागल। गाय अलगे हँकरsतिया, बछरू अलगे। रोज़ी-रोजगार गइल। चैन-सुख गइल। सगरो दहशत पसरे लागल।
तब बहुत लोग अपना इम्यून सिस्टम के साथे अपना मनो के मजबूत कइलस। समय देके अपना रिश्ता के मजबूत कइलस। गाँव-घर के महत्व समझलस। एह में वर्क फ्रॉम होम के सफल प्रयोग भइल। वर्चुअल सेट प कई गो इजाद भइल। नया-नया चैनल खुलल। लइकन के पढ़ाई-लिखाई सब वर्चुअल सेट प।
जब उथल-पुथल होला त कुछ ना कुछ नया होला। कोरोनो काल में भइल। कोरोना काल काल बन के आइल। एह महामारी के विश्वयुद्ध से भयंकर त्रासदी बतावल गइल। लोग-बाग़ तरह-तरह के अनुभव से गुजरल आ ओकरा के लिखल। भोजपुरी जंक्शन ओही लिखलका के एगो संग्रह के रूप में प्रस्तुत करत बा ताकि सनद रहे।
कोरोना काल में लगभग हरेक अंक में कोरोना पर कुछ ना कुछ छपत रहल- आलेख के रूप में, रिपोर्ट के रूप में, हास्य-व्यंग्य के रूप में, सुझाव-सलाह के रूप में, समीक्षा के रूप में, गीत-ग़ज़ल, कविता के रूप में, स्थायी स्तम्भ सुनीं सभे भा संपादकीय का रूप में। हर महिना में कोरोना के अलग-अलग मिजाज रहल आ ओही हिसाब से ओकर असर रहल।
ओह मिजाज आ असर के सहेज के हम एगो सौगात के रूप में ई अंक रउरा लोग के सउंपत बानी, आवे वाला पीढ़ी के ई बतावे खातिर कि हिम्मत, धीरज आ बुद्धिमानी से मुश्किल से मुश्किल समय के पार कइल जा सकेला।