चह-चह चहके अंगनवा हो रामा

May 25, 2021
कविता
0

आचार्य मुकेश

चह-चह चहके अंगनवा हो रामा, चइत महीनवा

चइत महीनवा हो चइत महीनवा

पल-पल पुलके परनवा हो रामा, चइत महीनवा

 

चंदन वन मँहके अति भोरे

खग मानुष मन उठत हिलोरे

पूरन सकल सपनवा हो रामा, चइत महीनवा

 

साधु सजन जन जुटत दुवारे

दशरथ सुत सुन रटत पुकारे

मंगल गावें भवनवा हो रामा, चइत महीनवा

 

सरजू जल जग संग उतराई

चांद सुरुज सब पांव पराई

जागत जोन्हि गगनवा हो रामा, चइत महीनवा

 

Hey, like this? Why not share it with a buddy?

Related Posts

Leave a Comment

Laest News

@2022 – All Right Reserved. Designed and Developed by Bhojpuri Junction