श्रीमती माधुरी मधु
रसे रसे डोलेला पवनवा हो रामा, चइत महिनवा
एक त पिया मोरे , गइले बिदेसवा,
भेजले ना अबहीले पतिया, सनेसवा
भावे नाहीं घरवा अंगनवा हो रामा, चइत महिनवा
रीतिया पिरितिया के गितिया बनाके,
कगवा अभगवा के लगवा पठाके
रहिया निहारेला नयनवा हो रामा, चइत महिनवा
महुवा के बगिया लगावे रोज दगिया,
सेजिया सजन बिनु, सुनुगेला अंगिया
खनकेला बैरी कंगनवा हो रामा, चइत महिनवा
कुहुके कोयलि करे पिउ-पिउ पपिहरा
आस मधुमास के जरावेला जियरा
माने ना कहनवा सजनवा हो रामा, चइत महिनवा