मुखियई के मचि गइल हल्ला

May 25, 2021
कविता
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  सत्य प्रकाश शुक्ल बाबा

मुखियई के मचि गइल हल्ला,

लागल शिकारी चाल में ।

लेके दउरल चीखना चखना,

माछ फँसावे जाल में ।।

 

पांच बरिस जे बाति ना पूछल,

नियराइल तs आइल बा ।

उ जालि लोग बूझि गइल तs,

नाया जालि बुनाइल बा ।।

 

कउआ भी अब बोले लागल,

मिठकी कोयल के बोली ।

सियरा भी अब रोवाँ झारि के,

पेन्हले बा साड़ी चोली ।।

 

रोवे बिलरिया किरिया खाले,

मुसवन की लगे जाके ।

लोरे झोर भइल बा पपनी,

छोहे छाह छाती फाटे ।।

 

हाथ जोरेले पांव पड़ेले

पांवे पाँव लोटा जाले ।

उठेले त हाथ दाबि के

बोतल मासु थमा जाले ।।

 

जवन सेठ जेतने बा लूटले,

फेरु लूटे उ आवsता ।

दूसर के भी जगल जवानी,

लूटे खातिर धावsता ।।

 

बस चुनाव ले सभे बा आपन,

जहिया वोट डरा जाई ।

जइसे ही ई मोहर लगा दी,

मछरी रेति हता जाई ।।

 

सोचि समुझि के मोहर लगइह,

पइसा पर जो बिका जइबs ।

अबहीं का तू रोअले बाड़s,

पांच बरिस फेरु रोइबs ।।

 

 

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