भोजपुरी जंक्शन पत्रिका साहित्य नभ के ऊंचाई के छू रहल बा
सम्पादक महोदय,
भोजपुरी जंक्शन के देखलीं आ पढ़लीं बहुते प्रसन्नता भइल। स्तरीय रचनन के एगो अनुपम जंक्शन के रूप में ई अंक बाटे। रचनन आ सम्पादन के दृष्टि से ई पत्रिका साहित्य नभ के ऊंचाई के छू रहल बा। कवर फोटो अपने आप में अद्वितीय बा जवन पत्रिका के पूरा मैटर प्रदर्शित क रहल बा।
“मत बांटs थोक के भाव पीएचडी के डिग्री “निबंध आज के शिक्षा विभाग के आईना देखा रहल बा। निबंध ” गांव में गूंजत नइखे ए हो रामा ” आपन संस्कृति सभ्यता छोड़ के गांव से लोगन के पलायन बता रहल बा, गांव में अब गवनई गोल कहीं लउकत नइखे। चूंकि चइत शुक्ल नवमीं के भगवान श्री राम के जन्म भइल ह एसे निबंध ” श्री राम अवतार के रहस्य ” एह चइता अंक के सार्थकता सिद्ध क रहल बा। निबंध ” भारतीय सिनेमा में भगवान राम ” में भिन्न-भिन्न भाषा में श्री राम कथा प बनल फिल्मन के चर्चा करत कहल गइल बा कि श्री राम कथा प भोजपुरी में एकहू फिल्म नइखे बनल,एह बात से हम सहमत नइखीं। सन् 1960 में भोजपुरी के पहिलका फिल्म रहल “गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबो “ओकरे बाद ” लागी नाहीं छूटे राम ” “बिदेसिया ” आ “सीता मइया ” एक के बाद एक बनल। सीता मइया के पटकथा भगवान श्री राम के कथानक प आधारित रहे, सीता के भूमिका में जय श्री गडकर आ श्री राम के भूमिका में आसिम कुमार के सफल अभिनय में देखल गइल। ओकर एगो गीत के एक लाइन हमके इयाद आवता — सरजू के तीरे तीरे अवध नगरिया, जहां खेलें राम लखन दूनो भइया।
एह चइती विशेषांक में लगभग 36 गो साहित्यकारन के चइती प्रकाशित बा। कुल्ही चइती एक से बढ़ के एक बाड़िन से। कुल्हनी प कुछ न कुछ कहला से प्रतिक्रिया बहुत लमहर हो जाई, आ केहू प कहीं आ केहू के छोड़ी त ई अन्याय हो जाई।
भोजपुरी जंक्शन के ई चइता विशेषांक अपना उद्देश्य में पूर्ण रूप से सफल बा। एमे सम्मिलित कुल्ही साहित्यकारन के संगे संगे हम कुशल सम्पादक महोदय के कोटि-कोटि बधाई, शुभकामनाएं आ धन्यवाद दे रहल बानी।
डॉ. भोला प्रसाद आग्नेय, रघुनाथपुरी, टैगोर नगर, सिविल लाइंस, बलिया, उ०प्र०
भोजपुरी जंक्शन पत्रिका गुणवत्ता का दृष्टि से उत्तरोत्तर आगे बढ़ रहल बा
भोजपुरी जंक्शन के चइता/चइती विशषांक स्तरीयता का दृष्टि से एह बात के प्रमाण बा कि पत्रिका गुणवत्ता का दृष्टि से उत्तरोत्तर आगे बढ़ रहल बा। एकरा पहिले होली विशेषांक निकलल रहे, जवन संपादकीय कला के अद्भुत नमूना रहे।
चइता/चइती विशेषांक भी बढ़ चढ़ के विशेषता समेटले बा। एह लोक विधा पर ललित लेख त बड़ले बा, गीत-रचना सब भी जे छपल बा, बहुत ही स्तरीय बा, भोजपुरी साहित्य के समृद्ध करे वाला बा।
सुन्दर संपादकीय परिकल्पना खातिर बहुते बधाई आ शुभकामना।
दिनेश कुमार शर्मा, रिटायर्ड जज, छपरा
भोजपुरी जंक्शन टीम के हृदय से अभिनंदन !
एने हर्ष-विषाद के अझुरहट में एतना बुरी तरह से फंसि गइल रहनीं हं ( अबहिंयों मन दोचिते बा …) कि आउर कवनो चीज़ का ओर धियान ना जात रहल हs ! आवरण पृष्ठ पर अपना चैता के पंच लाइन देखि के अच्छा लागत बा।
शशि प्रेमदेव, बलिया
भोजपुरी जंक्शन खातिर राउर ई प्रतिबद्धता इयाद राखल जाई
एह संकटकालो में भोजपुरी खातिर मनोज जी राउर ई प्रतिबद्धता इयाद राखल जाई। पारिवारिक समस्यन से जूझत अपने आपन संकल्प पूरा कर रहल बानीं। बहुत बढ़िया अंक बा। राउर सब आलेख आ सगरी कविता पढ़े जोग बाड़ी सं। संपादकीय खूब रोचक आ सामयिक बा। बधाई।
डॉ. सुनील कुमार पाठक, पटना
भोजपुरी जंक्शन के चइता विशेषांक बेजोड़ बा
भोजपुरी जंक्शन के चइता विशेषांक बेजोड़ बा। साज-सज्जा, संपादन बहुत उच्च कोटि के बा। भोजपुरी में एह तरह से लेखन के लिए सब आदरणीय विद्वान लेखक भाई सब के हम सादर अभिवादन करत बानी। भोजपुरी के विकास में संपादक मण्डल के हृदय से आभार बा
मोहन पाण्डेय, हाटा कुशीनगर
भोजपुरी जंक्शन बडहन इस्टेशन भइल बा
रउआ भोजपुरी के उद्धारक भइल बानी एह खातिर अनघा बधाई। भोजपुरी जंक्शन बडहन इस्टेशन भइल बा। भोजपुरी साहित्य खातिर बड़ काम होता। कतना लोग जागि गइलें भोजपुरी मेल क हारन सुन के। ओहिमे फगुआ चइता क खूब झाम झाम मनोरंजक के साथ ही ज्ञानवर्धक रहे। केहू असानी से सोच ना सके बाकिर चइता में कोरोना महमारी के दुःख दर्द कुलहि आइल। ई शोधपरक कार भईल राउर सौजन्य से। ई विशेषांक दस्तावेज होई आगे। चइता में हमरो रचना के शामिल कइला खातिर बहुत-बहुत आभार।
डाक्टर मञ्जरी पाण्डेय, शिक्षिका, लेखिका, कवयित्री, रंगकर्मी, समाजसेवी
आदरणीय भावुक जी, हम
सादर नमन।
‘भोजपुरी जंक्शन’ चइता विशेषांक में मेरे पत्र को आपने पाती स्तंभ में स्थान दिया, हृदय से बहुत-बहुत आभारी हूँ। यह अंक भी बहुत आकर्षक, मन भावन, पूर्ण रंग बिरंगी साज सज्जा से ओत-प्रोत है, सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक अनमोल कोहिनूर हैं। सभी कलमकारों को हार्दिक बधाई। संपादक विभाग के सभी सुकर्मियों को बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएं।
दरियाब सिंह राजपूत, ब्रजकण, मोदी नगर
भोजपुरी के समृद्धि में एगो अउरी नग जड़े खातिर राउर आभार
ई पहिला अंक ह जवन हमरा के पढ़े के मिलल ह आ हम भाग्यशाली मानS तानी अपना के, कि एह चैता विशेषांक में हमरो चैती के जगहा मिलल बा।
आवरण चित्र के सङ्गे ‘हम काटब गेहूं, गोरी कटिहs तू मुस्की’ पढ़ के एगो उत्सुकता पहिलहीं पत्रिका के ले के मन में होखे लागल ह, कि कइसे हाली से पढ़ लिहल जाओ!
सम्पादकीय खूब बन्हिया लागल ह। एक से बढ़ के एक चैता! आ चइता पर आग्नेय जी के आलेखो निमन लागल ह। कोयीली तोर सहकल छोड़इबो शैलेन्द्र शैल जी के ई चइती पढ़ के एगो अलग अनुभव मिलल।
सब मिला के ई चइता विशेषांक एगो महत्वपूर्ण जगह बनाई भोजपुरी पत्रिकन के बीच में। भोजपुरी के समृद्धि में एगो अउरी नग जड़े खातिर राउर आभार!
डॉ. कादम्बिनी सिंह, बलिया
भोजपुरी खातिर इ पत्रिका संजीवनी बा
मन गदगद भइल। भाउक जी के कलम त भाव के जीवंतता उरेहता। हमरा त भोजपुरी जंक्शन की बारे में जानकारिये ना रहल हS कि एतना सुन्दर इ बा। लेकिन ज्ञानेश्वर गूँजन जी से जानकारी भइल अउरी गूँजनजी ही हमसे आग्रह कS के एगो चैता लेहनी। अपनी भोजपुरी खातिर इ पत्रिका संजीवनी बा ए बाति के अपार खुशी बा। कब-कब इ पत्रिका निकलेला बताईं। हमहू एइमे आपन रचना भेजत रहबि। अन्त में फेरु एइसन सुंदर पत्रिका खातिर हृदय की गहराई से शुभकामना।
सत्य प्रकाश शुक्ल बाबा, भठहीं बुजुर्ग कुशीनगर उत्तर प्रदेश
सचमुच बहुत बढिया विशेषांक बा
बहुत-बहुत आभार जंक्शन पर स्थान मिलल एह खातिर। सचमुच बहुत बढिया विशेषांक बा। चइत माह के सब विशेषता के जोगा के विविध विधा में रचल बा। साधुवाद! भोजपुरी जंक्शन टीम के।
रजनी रंजन, जमशेदपुर
आपन लोक संस्कृति के बचावे के भगीरथ प्रयास बा ई ‘ चइता विशेषांक‘
भोजपुरी जंक्शन’ के ‘चइता विशेषांक’ देख के करेजा जुड़ा गइल। एगो भुला रहल विधा के विशेषांक बनाके फिर से स्थापित करने के भगीरथ प्रयास खाती श्री मनोज सिंह भावुक जी के जतना प्रशंसा कइल जाए ऊ थोरे होखी। एक से बढ़के एक चइता पढ़के मन अघा गइल। आपन लोक संस्कृति के बचावे खाती इहाँ के आपना हृदय से धन्यवाद देत बानी आ दिनोंदिन इहाँ के एह काम में खूब आगे बढ़े खाती ढेरे शुभकामना देतानी ।
गीता चौबे गूँज, राँची झारखंड
हर दिशा, हर क्षेत्र, हर विधा के जुड़ाव आ जुटान बा
भोजपुरी ई-पत्रिका भोजपुरी जंक्शन के होली विशेषांक के साथे पहली बार एह पत्रिका के दर्शन भइल। एह जंक्शन पर हर दिशा, हर क्षेत्र, हर विधा के जुड़ाव आ जुटान बा।
संपादकीय में आदरणीय मनोज भावुक जी के कलम से एकदम सामयिक चित्रण फगुनाहट आ कोरोनाहट के भइल बा। अबगे भोजपुरी जंक्शन के चइता विशेषांक मिलल ह। एह अंक के मिलला के बाद कोरोनाहट के बीच में एगो तनाव के खतम त ना कहल जा सकेला, लेकिन कम करेके साधन जरूर मिल गइल। सब रचनाकार लोग के एतना सुंदर रचना रचे खातिर बहुत-बहुत बधाई। उम्मीद रही कि आगे भी नवोदित लोग के दिशा देखावे खातिर और भी बढ़िया और प्रेरणा देबे लायक रचना मिली। साथ ही साथ एह पत्रिका के संपादक मण्डल और सब जुड़ल सदस्य, रचनाकार लोग के बहुत बहुत धन्यवाद, प्रणाम।
अजय कुमार, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश