डाक्टर मञ्जरी पाण्डेय
ई महमारी में कतना लोगिन कै आंखि खुल गइल। हम जिनका के देहाती गँवार बूझत रहनी ऊहै भइल बाड़े सुपर हीरो। आज ऊ लोग परलोक में बाड़ें बाकी रोज़े याद आवतान। काहें कि आज ई महमारी से उबरले खातिर जवन गाइड-लाइन सरकारी भा ग़ैर सरकारी जारी भइल बा। ईहे त हमनी के बचपन के दिनचर्या रहे। हम कुल्ही बचपने के याद करके आजकल ओही तरह से फेरु जीयतानी। ओतने सुपर हीरो मतिन माई बाबू के याद करके आपन बाल बच्चन के ओही कुल बतावतानी। गर्व से छाती फुलावतानी।
अइसे त बहुते बात याद आवेला बाकी आजकल के समय में जउन बात कुछ मन परता ऊ बतावतानी। हमनी के छोट रहीं जा त रसोईयां में चप्पल पहिर के केहू ना जा सके। काठ पवित्र मानल जाला से काठे क चटपटी पहिर के माई भोजन बनावे। बे नहइले धोइले केहू रसोइयाँ मे ढुक ना सके, न भोजन बना सके। टटके भोजन बने अ खवाए। आज ऊहै साफ सफाई टटका खाना क बात होखे लागल।
एही से जुडल एगो घटना बताईं कि तनकी सयान भइनी त कभो काल माई रसोइयाँ में बइठावल चाहे त नहाहूं के पड़े। जाड़ा क छुट्टी क दिना रहे। बाबूजी कहन- अतना ठंडा बा। बुचिया सबेरहीं नहाई त नुक़सान क जाईं से चाय पानी पियला में कउनो दोस नइखे। माई रिसिया गइल कहलस एहि कुल में पक्ष लेहला क जरूरत नइखे। आन घरे जाए के बा, बिगाड़ीं जन। एही तरे खुट मुट होत रहे।
कतना बेरी बाबूजी ना मनलें त अपने नहा के रसोइयाँ मे जाएँ अ हम भाय बहिन के कहें जा आपन पढ़ाई पढ जा। भोजन कइला क पहिले अ बाद में हाथ धोवल अ कुल्ली कइल ज़रूरी रहे। सर्दी ज़ुकाम होखे त घर भरे के वाइरल खान होखहीं के रहे त घर भरे के काढ़ा पियावल जाय। ज़र जुड़ी भइला साबूदाना, जई क पानी दियाय। माई ज़र के बाद तनी मुँह क सवाद चटपट करे खातिर लकड़ी में चारि छह गो मुनक्का घोंप के तनकी स आगी पर भूंज के रजकी स नून अ गोल मरीच छिरिक के चाटे के दे। ठंडी में नयका चाउर क भात अ माड तनकी स नमक डाल के सबका थोड थोड दिआय। ई जेठ बइसाख में छाछ माठा, नींबू के सरबत,हिरमाना,फ़ालसा खिरनी खाई पीहीं जा। अब हेइ कोरोना में ईहे कुल खान-पान, रहन सहन कुल भइल बा त माई बाबूजी ओतने मन परतान। कतना समरिध हमार परंपरा पहिलहीं से बा। बडा गुमान होला क़ब्बो क़ब्बो। हम अपना माई बाबूजी के स्मिरिती के परनाम करतानी, जिनका कारन आज हमार अस्तित्व बा। हमनी में संसकार बा।
नीक
भइल जे माई बाबूजी भइलें अपडेट । एगो कविता एही भाव से पगल परस्तुत
करतानी । बिदाई के घरी कुल अइसहीं मन परे लागल । आज फेरु मन परता ।
भोजपुरी गीत
कहे के त रहलीं कहहीं नाही पवली
उधार बाटे जिनगी हे मोरी माई ।
१ – चहतू त गरभे में हमके मुअवतू
दुधवे में जहर तू हमके पिअवतू
ओद सुखल गोदिये में कइके जियवलु
उपहार बाटे जिनगी हे मोरी माई ।
२ – अमवा के संगही तुलसी ह रोपलू
सुग्गा अ चिरई देखि देखि के अघइलू ।
हमके उठाई उपरा हथवा लगवलू
बहार बाटे जिनगी हे मोरी माई ।
३ – भइया के संगे संगे हमके पढ़वलू
गियान गुन धियान धरम सबहिं सिखवलू
दुनिया में नाव हमार कारन तू भइलू ।
उपकार बाटे जिनगी हे मोरी माई ।
४ – पललू जे गाइ दुधवा पियहीं न पवलू
जिनगी के थाती अपन दान देइ दिहलू
जिनगी से जिनगी के दियना जरईलू
उजियार बाटे जिनगी हे मोरी माई ।
५ – जोग बर हेरि के तू हमके हेरइलू
भोरे – भोरे जइसे ह गंगा नहइलू ।
सेनुरा लिलार “मञ्जरी “के ह ई दिहलू
मल्हार बाटे जिनगी हे मोरी माई ।