भोला प्रसाद आग्नेय
कुछ न कुछ काम करत रहेले माई।
निज हड्डी से लड़त रहे ले माई।।
हमरे जिनगी के ऊ परिभाषा ह,
स्वर्णिम भविष्य खातिर अभिलाषा ह,
कपारे पर बोझा पूरा घर के,
लिहले दिन भर चलत रहेले माई।
एगो फलसफा ओकरे अंखियन में,
भरल बा अमृत ओकरे शब्दन में,
दुनिया से कतनो दर्द मिले ओके,
बाकिर बाहर हंसत रहेले माई।
हउवे उहे व्याकरण अउरी भाषा,
ताकि बन न जाईं हम कहीं तमाशा,
सुंदर नीमन संस्कार देवे बदे,
धीरे-धीरे गलत रहेले माई।
हम शूल भले बाकिर ऊ हरदम फूल,
माफ़ करे मोर चाहे जतना भूल,
देखावे खातिर रस्ता हमरा के,
दीया नीयर बरत रहेले माई।
ऊ लक्ष्मी दुर्गा सरस्वती काली,
धन बल विद्या उमंग देवे वाली,
हमके धरम करम संस्कृति सभ्यता,
हरदमे समुझावत रहेले माई।
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