डॉ. ब्रजभूषण मिश्र
छूटल जहँवा राम के बाण
गूँजल कान्हा बँसुरी तान
धइलें जहँवा शंकर ध्यान
पवलें जहँवा गौतम ज्ञान
बजवली सरस्वती जहाँ ,आपन वीणा अनमोल ।
जय भारत माता के बोल !
जहाँ के भाखा भेख अनेक
बाकि बाटे भीतर से एक
जहाँ के खूबी ह आध्यात्म
अउर ह बुद्धि बेवहार विवेक
इहँवा के दरसन के बाटे देश-विदेश में मोल ।
जय भारत माता के बोल !
बहे गंगा – जमुना जल धार
रहे सब रितुअन के त बहार
इहाँ जनम लेवे के चाहे
करत देवतो लोग मनुहारग मनुहार
इहाँ के लोग लुटावे प्यार आपन हिरदा खोल ।
जय भारत माता के बोल !
एकर आपन अलग बा रूप
एकर आपन अलग अंदाज
एकर आपन अलग संगीत
एकर आपन अलग बा साज
ऊपरी देखावा के नइखे , इहँवा कवनो मोल ।
जय भारत माता के बोल !