गजब के अंक भइल बा इहो..
नजरे नजर में सउँसे पत्रिका हहुआत देख गइनीं। ‘भारतीय स्वाभिमान के प्रतीक से भी कष्ट’ सभके पढ़े जोग आलेख भइल बा।
फेर, डॉ० अनिल कुमार प्रसाद, डॉ० सुनील कुमार पाठक, डॉ० ब्रजभूषण मिश्र के आलेखन प नजर गइल, जवन विश्व साहित्य से लेले हिन्दी-भोजपुरी साहित्य में माई-बाबूजी के पात्र प विवेचना क रहल बाड़न स। ढेर कवितओ के देख लिहनीं। चाहे मनोज जी राउर रचना होखsस, भा अशोक द्विवेदी के भा भगवती प्र० द्विवेदी आदी के पद्य रचना बाड़ी स, मन मोह ले रहल बाड़ी स। ढेर कविअन के रचना के देखलहूँ प अबहीं पढ़े के बा।
गजब के दमगर बाकिर भावमय अंक इहो आइल बा। बधाई बा रउआ आ राउर टीम के।
जय-जय।। शुभ-शुभ
सौरभ पाण्डेय, वरिष्ठ साहित्यकार, प्रयागराज
ऐतिहासिक काम हो रहल बा
बहुत-बहुत बधाई मनोज जी। ऐतिहासिक काम सरस्वती माई करवा रहल बाड़ी रउआ से।
सुनील कुमार पाठक, वरिष्ठ साहित्यकार, पटना
कवनो भाषा के पत्रिका के बराबरी में तनि के खड़ा बा भोजपुरी जंक्शन
“भोजपुरी जंक्शन”, के पद्य आ गद्य दुनू विशेषांक में माई-बाबूजी पर जवन सामग्री बा ऊ कवनो भाषा के कवनो पत्रिकन से सब दिसाईं बराबरी में तनि के खड़ा बा। पत्रिका के कलेवर मन मोहि लेता।
जवना समय में भोजपुरी भाषा के लेखक आ पाठकवर्ग दुनू के अकाल होखे ओ समय भोजपुरी में अइसन स्तरीय पत्रिका जवना के पृष्ठ संख्या 200 (गद्य आ पद्य भाग मिला के) होखे, पाठकवर्ग का सोझा ले आइल बहुत मेहनत के काम बा। अइसन पत्रिका खातिर ऊर्जा, जज्बा, समरपन, धीरज आ तन मन से भोजपुरी प्रेम में रत्तियो भर कमी होई त अइसन कालजयी काम नइखे हो सकत।
पत्रिका पढ़ल सुरू करते मन साहित्यगंगा में गोता लगावे लागता। जेठ की तपती दुपहरी में सीतल फुहार जइसन तनी अउरी भींजीं, तनी अउरी भींजीं जइसन आनन्द लेत केतना एकसुरुकिए पढ़ि लिहल जाता, अन्दाज नइखे लागत। रचनन के स्तर, कथ्य, शिल्प आ भाव अइसन बा कि कहीं रत्तियो भर बोरियत महसूस नइखे होत। तब हमके खुला दिल से कहे के मन करता कि भोजपुरी लिखाउ आ पत्रिका निकले त अइसने।
ए सबका पीछे पत्रिका के यशस्वी सम्पादक “श्री मनोज भावुक” जी के मेहनत, समरपन आ भोजपुरी प्रेम साफ-साफ झलकता। ई भावुक जी के भोजपुरी भाषी हिन्दी साहित्य के नामचीन लेखक सब से सम्पर्क आ सम्बंध ह जवन ओ सब से भोजपुरी में उत्तमोत्तम साहित्य रचवा लिहले बा आ आजु भोजपुरी प्रेमी लोग का सोझा बा। भावुक जी “भोजपुरी जंक्शन” का माध्यम से भोजपुरी साहित्य खातिर जेतना काम करि रहल बानीं ऊ मिसाल बनत जाता। भावुक जी, रउरा से हमनीं का सदईं अइसने पत्रिका के आसा बा आ ओ में जहाँ हमनियों के जरूरत परी, पीछे ना रहबि जा।
भोजपुरी साहित्य के आँचर उत्तमोत्तम साहित्यिक हरदी, अच्छति आ दूब से भरल रहि के मंगल मनावत रहे।
संगीत सुभाष, प्रधान सम्पादक- ‘सिरिजन’, भोजपुरी तिमाही ई पत्रिका