वीर कुंवर सिंह के दहिना हाथ मैगर सिंह

September 27, 2021
आवरण कथा
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आनन्द सन्धिदूत

पहिला स्वतंत्रता संग्राम में उत्तर प्रदेश का गाजीपुर जिला आ पड़ोसी बिहार राज्य का अविभाजित आरा जिला शाहाबाद का रणभूमि में मैगर सिंह एगो अप्रतिम योद्धा हो चुकल बाड़न। कहल जाला कि ई महान स्वतंत्रता सेनानी वीरवर कुंवर सिंह के विश्वसनीय सरदार रहलन आ कुंवर सिंह बलिया, आजमगढ़ आ मिर्जापुर में अंगरेजन से युद्ध में जब व्यस्त रहलन तब उनका अनुपस्थिति में आरा जिला का कई गो मुठभेड़ में अंगरेजन से लोहा लेले रहलन आ ओमे विजयो हासिल कइलन। गाजीपुर गजेटियर में मैगर सिंह के जिला के आतंक (Terror of District) लिखल बा।

मैगर सिंह का बारे में ढ़ेर जानकारी उपलब्ध नइखे। उनका माता-पिता के नाम, विवाह वगैरह पारिवारिक जीवन के जानकारी उनकर जन्म तिथि आ निधन तिथि का बारे में कुछ साफ नइखे। उनका बारे में एतने मालूम बा कि मैगर सिंह के जनम गहमर गांव में भइल रहे। ऊ जाति से सिकरवार राजपूत रहलन आ पेशा से खेतिहर किसान रहलन। गहमर का अठारह-बीस गो पट्टी में एक पट्टी के नाम मैगरो सिंह का नाम से बा आ एह तरह ऊ गांव का अठारह-बीस गो नम्बरदारन में एगो नम्बरदार रहलन। कहल जाला कि उनकर फोटो लंदन का संग्रहालय में बा। एहर हाल का बरिसन में उनकर एगो तस्वीर गूगल एप पर डाल दिहल बा। इच्छुक व्यक्ति गूगल से तस्वीर निकाल सकेलन।

मैगर सिंह सांवर रंग आ गठीला बदन के युवक रहलन। ओह जमाना में गांव का नवयुवकन में शारीरिक ब्यायाम, कुश्ती, दण्ड बैठक वगैरह के सवख रहे। एक साथ शरीरिक अभ्यास कइले युवकन में एगो संगठन बन गइल रहे जेकर नेता मैगर सिंह रहलन। ई दल तीर धनुष तलवार आ गुरदेल का लड़ाई में माहिर रहे। एह दल का गुरदेल के कइल आक्रमण के सामना अंगरेज अपना बन्दूक से करे में असमर्थ रहलन स।

मैगर सिंह के अंगरेजन से निर्णायक युद्ध अविभाजित आरा जिला का खीरी गांव में भइल। एह लड़ाई के निर्णायक तत्व ई रहे कि खीरी गांव आ आसपास के जनता दिल खोल के मैगर सिंह का दल के साथ दिहलस। अगर मैगर सिंह के दल अंगरेजन का सैनिक टुकड़ी के बहका के गांव का गलियन में ले आइल त गांव के मेहरारू तसला में पानी खउला के मकान का खपड़ा-मड़ई का ऊपर से अंगरेजन पर फेंके सुरु कइली स। जवना अंगरेज आ ओकरा घोड़ा पर ई खउलत पानी पड़े ऊ घायल हो जात रहलन स। अगर कवनो तरह ऊ भागे के कोशिश कर स त गली का मोहाना-कोनचा मैगर सिंह के सैनिक गुरदेल आ तीर-धनुष से आक्रमण करत हालत बेदिन कइ द स। मैदान में अइलो पर अंगरेजन के खैर ना रहे। मैदान में पतलो (सरपत) के जंगल रहे जवना में स्वतंत्रता सैनिक छिपल बइठल रहसन आ मोका पवते अंगरेजन पर टूट पड़ सन। एह लड़ाई में अंगरेजन के बुरी तरह हार भइल आ मैगर सिंह का टुकड़ी के भारी मात्रा में लड़ाई के हरबा-हथियार आ अउरी युद्ध सामग्री हाथ लागल। लड़ाई का बाद मैगर सिंह गहमर वापस लवटि अइलन।

तब तक स्वतंत्रता संग्राम धीमा पड़त नजर आइल। बहादुर शाह जफर गिरफ्तार हो चुकल रहलन। लक्ष्मीबाई वीरगति के प्राप्त हो चुकल रहली। नाना साहब पेशवा कहां गइलन पता ना चलत रहे। कुंवर सिंह घायल अवस्था में सोन नदी का किनारे-किनारे मिर्जापुर जिला से चल के अपना गांव जगदीशपुर आके जीवन का अन्तिम पड़ाव पर रहलन। देश के अधिकांश राजा-रजवाड़ा अंगरेजन का पक्ष मे रहलन ओह में डुमरांव नरेश भी रहलन जेकर कुंवर सिंह से खून के रिश्ता रहल। गोरखा आ सिख सैनिकन के अंगरेजन का साथ दिहला से स्वतंत्रता संग्राम दिन पर दिन कमजोर होत जात रहे। अइसन में ना त मैगर सिंह के कहीं से दिशा निर्देश मिलत रहे ना कवनो उत्साहजनक खबर आवति रहे। ई जान के कि जिला के आतंक मैगर सिंह गहमर में छिपल बाड़न गहमर का जनता पर उनके गिरफ्तार करावे के दबाव बढ़ल जात रहे। जिला के पुलिस गहमर में रात दिन चौकसी में लागल रहे।  गांव के हरबा-हथियार सेना-पुलिस द्वारा जब्त करावल जात रहे। हालत ई रहे कि भाला-गंड़ासा जइसन लड़ाई के औजार त जब्त भइबे कइल, गांव में केहू का घरे पहसुल, हंसुआ आ चाकू-छुरी तक सब्जी-तरकारी काटे के ना रहि गइल। अंगरेज गांव में डुग्गी पिटवा के एलान करत रहलन स कि अगर मैगर सिंह के सेना-पुलिस का सुपुर्द ना कइल गइल त पूरा गांव के जरा के राख कइ दिहल जाई। लेकिन गांव के जनता हर जुल्म सहे के तइयार रहे मगर मैगर सिंह के अंगरेजन का सुपुर्द करे के तइयार ना रहे।

मैगर सिंह से ई स्थिति बरदास ना भइल। जवना क्षेत्र के स्वतंत्रता का कारन ऊ हथियार उठवले रहलन ओही क्षेत्र में उनका कारन अग्नि संहार हो ई आशंका उनकर अन्तरमन स्वीकार ना कइलस। ऊ तय कइलन कि कलकत्ता में गवर्नर जनरल विलियम वेन्टिंग का सामने ऊ आत्म समर्पण करिहन। अपना हरबा हथियार आ अश्व का साथ ऊ पनरह दिन यात्रा कइ के गहमर से कलकत्ता गइलन आ सीधे गवर्नर जनरल का बइठका में जाके खड़ा हो गइलन। विलियम बेंन्टिंग साधु स्वभाव के दयालु शासक रहे ऊ मैगर सिंह से उनकर परिचय पुछलस। मैगर सिंह शान्त भाव से आपन नांव बतावत कहलन कि ऊ आत्म समर्पण करे आइल बाड़न। मैगर सिंह के नाम सुनके बेन्टिंग के बीवी भीतर का कमरा से दउर के बइठका में आइलि। जेकरा आतंक से पश्चिमोत्तर प्रान्त (यू.पी. के पुरान नाम) के अंगरेज त्राहि-त्राहि करत रहलन स ओके ऊ अपना आंख से देखे चाहति रहे।

सारी कार्रवाई पूरी कर के मैगर सिंह के आजीवन कारावास के सजा भइल आ उनके बर्मा (अब म्यामार) भेज दिहल गइल। कहल जाला कि उनका मिलनसार व्यवहार आ सहयोगात्मक रवैया से प्रभावित होके सरकार उनके समय से पहिले छोड़ देले रहे। उनकर निधन गहमर में आके भइल। गहमर में उनकर स्मारक बनल बा जेकर उद्घाटन सन् 1961 में तत्कालीन रेलमंत्री बाबू जगजीवनराम द्वारा भइल रहे।

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