आर.के. सिन्हा
राहुल गांधी के राजनीति में अइले काफी समय हो गइल बा। कहे खातिर त उ अपना के जन्मजात राजनीतिज्ञ आ नेता मानेलें। पर ऊ वोह तरे से परिपक्व अभी भी नइखन भइल जइसे उनका से देश अपेक्षा करत रहे। ऊ 2004 से ही लोकसभा के सदस्य बाड़न। उनका सियासत में भारतीय जनता पार्टी के नेता लोग से इस्तीफा मांगल बेहद अहम बा। उनका लागेला कि केहू इस्तीफा दे या ना दे, उनका त इस्तीफा माँगते रहे के चाहीं। उ आत्म मुग्ध भी हो गइल बाड़ें। उनका गलतफहमी हो गइल बा कि ऊ कोरोना वैक्सीन के लाभ-हानि से लेके शेयर बाजार तक के उठा पटक के गहराई से जानेलें। राहुल गांधी हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह से भी इस्तीफा मांग लिहलें। पेगासस मामला में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी गृहमंत्री के इस्तीफा मांगत कहले कि उनकर फोन टेप कइल गइल बा। एसे गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफा देवे के चाहीं। अब बताईं भला कि संचार मंत्रालय के मामला में गृह मंत्री के का सरोकार?
अब ओ दिन के बात कइल जाय जब राफेल सौदा के लेके कांग्रेस हंगामा मचावत रहे। तब राहुल गांधी राफेल सौदा में कथित घोटाला के लेके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलत हर रोज उनका से इस्तीफा के मांग करत रहले। राहुल गांधी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के एक लाख करोड़ रुपए के सरकारी ऑर्डर देवे के मामला में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से भी इस्तीफा मांग चुकल बाड़े। अपने सभन के इयाद होई कि सरकार कहले रहे कि एचएएल के एक लाख करोड़ रुपए के ऑर्डर दिहल गइल। ये पर राहुल गांधी, रक्षामंत्री पर झूठ बोले के आरोप जड़ देले रहलें। राहुल गांधी कहले रहले कि रक्षामंत्री सदन में अपना बयान के समर्थन में दस्तावेज पेश करस चाहे इस्तीफा देस। अब साल 2015 में चलल जाय। तब राहुल गांधी ललित मोदी मामला में ओह समय के देश के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इस्तीफा के मांग कइल शुरू क देले रहले। राहुल गांधी, सुषमा स्वराज पर बयान देत मीडिया से कहले कि सुषमा स्वराज “क्रिमिनल एक्ट कइले रहली” अउर क्रिमिनल एक्ट करे वाला के सीधे जेल भेजे के चाहीं। हालांकि तब भाजपा उनका पर पलटवार करत बोलल कि राहुल गांधी के साथे दिक्कत इहे बा कि ऊ अपना के हर विषय के जानकार समझे लागल बाड़े। एकरा बाद उ कुछ समय तक चुप हो गइल रहले। लेकिन एकाध सप्ताह के बाद ही फेर चालू हो गइले I
वास्तव में ई कवनों भी इंसान खातिर बहुत गंभीर स्थिति ह कि ऊ अपना के सर्वज्ञानी माने लागेला। राहुल गांधी कोरोना महामारी से लेके राफेल डील आ दोसर तमाम मुद्दन पर बोलते रहल बाड़े। कोरोना के चेन के तूरे खातिर जब प्रधानमंत्री मोदी देश में लॉकडाउन लगावे के आह्वान कइले त राहुल गांधी कहत रहले कि एह कदम से देश के भारी क्षति होई। ऊ एह बात पर भी संदेह जतावत रहले कि उनका शक बा कि कोवैक्सीन कोरोना से लड़े में मददगार साबित होई कि ना। उनका लागल रहे कि वैक्सीन के खरीद अउर वितरण में उनका से बेहतर रणनीतिकार केहू देश में नइखे। ऊ 8 अप्रैल 2021 के प्रधानमंत्री मोदी के एगो पत्र लिख के कहsतारे -राज्यन खातिर वैक्सीन के खरीद में हमरा से राय ना लिहल गइल। उ ओही पत्र में सरकार से वैक्सीन के खरीद अउर वितरण में राज्यन के अधिक सक्रिय भूमिका के मांग कर रहल बाड़े। लेकिन राहुल गांधी के माई अउर कांग्रेस के अध्यक्ष सोनिया गांधी विपक्ष के 11 अन्य नेता लोग के साथ मिल के सरकार से मांग करsतारी कि केन्द्र सरकार राज्य सरकारन खातिर भी वैक्सीन के खरीद करे।
राहुल गांधी के बयान से इहे लागsता कि उनका शेयर बाजार के दूर-दूर तक कवनों समझ नइखे। ऊ तब खुश नइखन होत जब आपन शेयर बाजार 3 खरब रुपया (3 ट्रिलियन डॉलर) के आंकड़ा पार कर लेता। कवनों दोसर नेता होइत त एपर ट्वीट क के कहित कि भारत में इक्विटी संस्कृति पैर जमा रहल बा। ई सामान्य सा बात बा जब कोरपोरेट जगत इक्विटी के माध्यम से धन इकठ्ठा करे लागेला त ओकर बैंकन पर निभर्रता घट जाला। पूरी दुनिया में शेयर बाजार के निवेशक कवनों कंपनी के शेयर खरीदे से पहिले ओ कंपनी के पूर्व के प्रदर्शन आ भविष्य़ के संभावना के आकलन करेला। अब ऊ दिन ना रहल जब कवनों कंपनी के बेहतर बिक्री के आधार पर ओके श्रेष्ठ मान लिहल जात रहे। अब ओही कंपनी के बेहतर मानल जाला जेकर शेयरन के स्टॉक मार्केट में भरपूर मांग होला। पर कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के शेयर बाजार में उछाल में सिर्फ बुराई ही नजर आवेला। राहुल गांधी के निशाना पर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) लगातार रहेला। ऊ एकरा शेयर के उछाल से बहुत दुखी हो जाले। उनका बुझाला कि कवनों कंपनी के शेयरन में उछाल तब होला जब ओके सरकार के तरफ से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मदद मिलत रहेला। अब उनका के के बताओ कि जब कवनों सूचीबद्ध कंपनी के शेयरन में उछाल आवेला त ओकर लाभ त सब अंशधारक लोग के मिलेला। ओकरा से खाली प्रमोटर के ही चांदी ना होला। ओमे एलआईसी अउर सरकारी बैंकन के म्युच्युअल फंड भी शामिल रहेला।
राहुल गांधी के ई पता नइखे कि पिछला एक साल में इंडियन आयल कोरपोरेशन लिमिटेड (आईओसी) के शेयर 86 रुपया से 110 रुपया तक पहुंच गइल रहे। एही तरे स्टेट बैंक के शेयर भी 185 रुपया से 420 रुपया हो गइल बा। राहुल गांधी, कांग्रेस आ देश हित में होई कि उ थोड़ा ही सही पर पढ़स-लिखस भी। ऊ लोग सरकार के जन विरोधी नीतियन के कस के विरोध करो, सड़क पर उतरो आ जेल यात्रा भी करो। एगो विपक्षी नेता से ई त अपेक्षित होइबे करेला। पर ऊ त लगातार सरकार के कवनों मंत्री के इस्तीफा मांगत रहेले। उनका कवनों सलाहकार के चाहीं कि उ उनका के समझावे कि उनका चाहला से केहू भी इस्तीफा ना दी। हँ, अगर उ लोग पढ़ के लिख के सरकार के घेरी आ कवनों तर्कसंगत बात करिहें त उनकर सुनल जाई। उनकर देश के जनता के बीच साख भी बनी। फिलहाल त उनके बयान अउर भाषण के पढ़-सुन के निराशा ही होला। डर भी लागेला कि का उ कबो धीर-गंभीर होइहें, हो सकिहें आकि अपना बाल्यावस्था में ही रह के बाल सुलभ विनोद करत रहिहें?
( लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार अउर पूर्व सांसद हईं। )