सुरेन्द्र कृष्ण रस्तोगी
आपन देश भारत के इतिहास में शेरशाह सूरी के एगो बिशेष स्थान बा। सासाराम (रोहतास) में इनकर बाबू हसनशाह सूरी के जागीर रहे । शेरशाह लड़कईयें से आपन बाबू के साथ रहत रहलें । समय के ऊतार-चढ़kव के दौरान शेरशाह सन् 1538 में बंगाल के गौड़ नगर में आपन ताजपोसी के जशन मनइलन । ऊ कइगो बड़ लड़kई लड़लन आ जितलें । बिहार के शासक जमाल खां के हरा के बिहार के शासक बनलें आ फिन हुमायू के हरा के दिल्ली के बादशाह बनलें जेकरा के आपन राजधानी बनवलें । शेरशाह के सम्राज चारो दिशा में फैइलल रहे, आपन कृतित्व अउर व्यक्तित्व के बल प हमेशा आगे बढ़त रहलें । ऊ बहुते बड़ उत्कृष्ट शासक रहलें । पांच साल के उमिर में आपन उदारता आ कर्मठता के परिचय देलन । जनता के हित में कईगो एतिहासिक काम कईलें । केंद्रीय अउर प्रांतीय शासकन के प्रति भी ढेरे रुचि लेतरहन । आपन काम काज के दौरान सासाराम में तलाब के बीचो-बीच एगो सुग्घर, निक मकबरा बनवलें जे ताजमहल से तेरह फुट ऊँच बा । लड़ाई के दौरान सैनिकन के सही स्तिथि के पता करे आ सूचना के आदान-प्रदान करे खातिर कइगो मीनार के निर्माण करवलें । जेमें औरंगाबाद, भभुआ (कैमूर), बारे के आस-पास मौजूद बा आ केतना टूट फूट के इतिहास के पन्ना में दफ़न हो गइल। सरकार के एकरा प ध्यान राखेके चाहीं।
शेरशाह सड़क के बहुते बड़ निर्माण करता के रूप में परसिद्ध बाड़न। आपन शासन काल (1541-45) में हजार कोस में खूबे लमहर ग्रैंड ट्रंक रोड बनवलें। एकरा साथे सड़क के बीच में डाक चौकी आ 1700 सराय के निर्माण करवलें, जवना से चिठ्ठी-चपाठी के आदान–प्रदान अउर आराम घर खातिर उपयोग होत रहे । ई पहिला सम्राट रहलें जे ‘माउन्टेड पोस्ट’ के शुरूआत कइलें । घोड़सवार डाकिया कायम क के एक मजबूत आ कुशल प्रशासन के तहत एकर सुरक्षा सुनिश्चित होखला से डाक व्यवस्था के संचालन में खूबे मदद मिलल । एहिजे से भारत में मूल रूप से डाक व्यवस्था के विकास भइल। एहिसे शेरशाह सूरी के भारतीय ‘डाक के जनक’ कहल जाला ।
आज के दउर में भले मोबाईल अउर इंटरनेट आदि के फइलाव भइल होखे बाकिर डाक के नेटवर्क के दुनिया में सबसे बड़ प्रणाली बा । आज के जीनगी में डाक के बहुत बड़ भूमिका बाटे । शेरशाह भारतीय डाक व्यवस्था के एगो नया दिशा देलें जेकरा के भुलावल न जा सके ।
भारत सरकार के संचार मंत्रालय के डाक बिभाग एह राष्ट्रीय सेवा के अग्रदूत आ क्रांतिकारी जोधा अउर लोकप्रिय कुशल शासक शेरशाह शूरी के सम्मान में डाक टिकट, कवर आदि जारी क के अपना के सौभाग्यशाली समझत बाटे ।
सबसे पाहिले भारत सरकार शेरशाह सूरी प 22 मई 1970 में 20 पइसा के एगो डाक टिकट जारी क के सरधा सुमन अरपित कइलस । एह टिकट में शेरशाह के गद्दी प बइठल छबिचित्र छपल आ एगो आवरण (लिफाफा) निकलल जेकरा प शेरशाह के मकबरा अंकित बा । 29 अक्तूबर 1976 में बिपेक्स 76 के मोका प विशिष्ट आवरण प्रकाशित भइल जेपर मकबरा के फोटो के साथे प्राचीन घोड़ा डाक के टिकट प डाक हरकारा के मोहर लगावल गइल जे डाक व्यवस्था के जनक के याद के ताजा करता ।
सन् 1989 में एगो हवाई पत्र (पोसकाड) 4 रूपया के निकलल जे पर शेरशाह समाधि सासाराम छपल बा।
करीब साड़े चार सौ वारिस पहिले शेरशाह सूरी के ओरि से शुरु भइल डाक व्यवस्था के स्मृति में डाक विभाग एगो विशिष्ट आवरण जारी कइलस। आवरण पत्र के डाकिया घोड़ सवार रातो रात सासाराम से पटना रवाना भइल ।
जइसे शेरशाह के समय में डाक घोड़ा एक स्थान से दूसरा स्थान प चिठ्ठी लेके जात रहे। ठीक ओंसही डाक के थइला औपचारिक रूप से भेजल गइल जे राज्यपाल शरीफ कुरैशी के सउपलस । एह आवरण प कबूतर डाक सेवा के टिकट लगा के अश्वरोही सम्वाहक के मुहर लगावल गइल जेकरा प पूर्व मंत्री लालू प्रसाद के दस्खत बा ।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तहत 28 जनवरी 2012 में एगो आवरण जारी भइल। कइगो धरोहर के साथे शेरशाह के मकबरा के भी दरसावल गइल बा। फिन एही साल 2 फरवरी 2012 में एगो विशेष आवरण बिहार के डाकटिकट प्रदर्शनी के मोक़ा प जारी भइल जेकरा प शेरशाह के फोटो के साथे शुरू से अब तक के डाकियन के बदलत भेष-भूषा, लेटर बॉक्स, कइगो डाक घोड़सवारन के चित्र अउर पृष्टभूमि में मकबरा के देखावल गइल बा अउर प्रदर्शनी के मोहर लगावल गइल