शशि कुमार सिंह ‘प्रेमदेव‘
( हिंदुस्तान के आजाद करवला में बलिया ज़िला क अभूतपूर्व योगदान इतिहास में दर्ज बा। सन् बयालीस के ‘ भारत छोड़ो ‘ आंदोलन का दौरान, जवन तीन गो जनपद कुछ दिन खातिर अंग्रेजी हुकूमत के धकिया के आजाद हो गइल रहलन सs ,ओह में बलिया सबसे आगे रहे। बाद में, बलियाटिकन के एह् कारनामा का बारे में सुनि के कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष मौलाना अबुल कलाम आजाद कहले रहीं — ” मैं बलिया की उस सरजमीं को चूम लेना चाहता हूं जहां इतने बहादुर और शहीद पैदा हुए !” ) – संपादक
‘ नेह-छोह, बैराग, बगावत
इहवां के पहिचान !
बलिया जिला देश कs शान !!
०००
एह् माटी का कोख से जनमे त्यागी-संत-बिरागी !
सोना-चानी का पाछा ई भागल बा, ना भागी !
तपोभूमि हs; जे एकरा से घात करी ए, भाई !
सात जनम तक छाती पीटी, रोई आ पछताई !
बेसी ना कूदे-फानेला !
बलियाटिक एतने जानेला –
बैमानी का धन-दौलत से बढ़ि के बा ईमान !! बलिया …
०००
डेग-डेग पर जंगे-आजादी के अमिट निशानी !
मंगल, चित्तू, कौशल, जेपी, शेखर-जस अभिमानी !
कौनौ जुग आयी, दोहराई एकर गौरव-गाथा !
केतनो जोर लगवलस बैरी, हेठ भइल ना माथा !
लिलकरलसि जब तानि के सीना !
अंगरेजन कs छुटल पसेना !
असहीं ना ‘बागी’ कहि-कहि के दुनिया करे बखान !! बलिया…
०००
झारि के धोती-कुर्ता, कान्ही पर गमछा लटका के !
चले त’ सइ गो मनई में लउके बेटा बलिया के !
चाल नदी के धार मतिन, सुरहा* जस चाकर छाती !
आंखि मिलाके बतियावे, जाने ना ठकुर-सुहाती !
संघतिया असली मोका कs !
गुन गावे लिट्टी-चोखा क s !
ऊपर से सुकुवार-सुकोमल , भीतर से चट्टान !! बलिया…
०००
सोच-समझ के हमनीं पs हंसिहs तूं फेरु ठठाके !
कुछुवो कहला से पहिले पढ़ि लs इतिहास उठाके !
राजनीति, साहित्य, कला, विज्ञान भा खेती-बारी …
परल बा हरमेसा बलियाबासी सबका पs भारी !
खबरदार ! जनि आंखि देखावs !
‘शशी’, अदब से सीस झुकावs !
एह् धरती पर आके बौना* बनि जालन भगवान !! बलिया…
( सुरहा = बलिया जनपद के एगो विशाल ताल क नांव ; बौना= राजा बलि के परीक्षा लेबे खातिर वामन रुप धरिके भगवान विष्णु इहवां पधरले रहलन )