डॉ. सविता सौरभ
फेरू नया- नया कुछ करे के बिचार करीं जा।
ऊ जे आवत बा अन्हरिया उजियार करीं जा।।
फाँसी चढ़के सीस कटा के बलि देके आजादी आइल।
कतना जतन से कमल खिलल बा मत सेंवार करीं जा।।
गान्धी,लाल, पाल,सुभाष,ऊधम,खुदी, भगत,आजाद।
बिस्मिल, कुंवर सिंह, सावरकर से गोहार करीं जा।।
केसर के कियारी सूखल कबले तानके रहब सूतल।
चढ़िके दुश्मन के छाती पर अब हुंकार करीं जा।।
माथ पकड़ला से का होई लीं संकल्प नया सब कोई।
डोले नइया बीच भंवर में मिलके पार करीं जा।।
कवनो जनि करीं कोताही अपना धरम के निबाहीं।
रहुए रामराज के सपना अब साकार करीं जा।।
फेरू नया – नया कुछ करे के बिचार करीं जा ।
ऊ जे आवत बा अन्हरिया उजियार करीं जा।।
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