क्रांतिदूत मंगल पाण्डेय

October 12, 2021
कविता
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डॉ. आदित्य कुमार अंशु

मंगल पाण्डेय बलि भूमि के

नगवा गाँव के लाल रहलन

कुछ मनई जनम भूमि पर

नवका-नवका विवाद कइलन

 

 

इतिहास में जे वीर बा

ओकर अमिट कहानी बा

सन् सन्तावन के क्रांति के

मंगल पाण्डेय बलिदानी बा

 

 

अंगरेजन के अत्याचार जब

झाँसी में बढ़े लागल,

रानी लक्ष्मीबाई से तब

वीर मंगल के प्रेरणा जागल

 

झाँसी के धन लूट-पाट  के

नेल्सन जब ले जात रहे,

कर्मा जइसन वीरन के

छाती फाटत जात रहे

 

मंगल पाण्डेय खातिर कर्मा

जान के बाजी लगा दिहले

एही खातिर गोरी सरकार

उनका के बड़हन सजा दिहले

 

मंगल पाण्डेय के जब लागल

हमनी संग अत्याचार होता,

कारतूस में गाय सूअर के

चरबी भी लगावल जाता

 

क्रांति के लाल जाग गइल

आपन स्वाभिमान बचावे के

मन ही मन संकल्प लिहलें

अंगरेजन के मजा चखावे के

 

मार-पीट जब शुरू भइल

बैरकपुर के छावनी में,

हिन्दू मुस्लिम जाग गइल

अपनी जोशे जवानी में

 

मंगल वीरा जब देखले जे

हमनी के सम्मान घटी,

मातृभूमि की रक्षा खातिर

हम वीरवन के शीश चढ़ी

 

हुंकार भरी के टूट पड़लन

गोरा अफसर की छाती पर

खिसियाइल अंग्रेज़ी सेना

भारत के हर प्रानी पर

 

गुपचुप ढंग से फाँसी दिहले

बलिया के वीर बाँकुरा के

मचल तूफान नींद खुल गइल

अंगरेजन की बड़का आका के

 

शत शत नमन कारीलां हमहू

नमन करेला देश सुजान

जन-जन के होठन पर बाटे

जे दिहलीं रउआ बलिदान

 

 

आईं-आईं  फेरु भाई

बलिया आज बोलावता,

करुण कहानी भारत आपन

रो के आज सुनावता

 

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