संगीत सुभाष
फँसरी की रसरी प झुलुहा समझि के,
जिअते जिनिगिया टंगाइल,
ए भइया! तब जाके चान चमचमाइल।
बिस्मिल, सुखदेव, भगत सिंह के जवानी।
असमय ओराइल, लिखाइल कहानी।
गूँजि गइल कन-कन से जयहिन्द के नारा
ठाँव-ठाँव खून से रंगाइल।
ए भइया!….
काँपि गइल अँगरेजी शासन डेराइल।
वीरन के टोली के बाढ़ि देखि आइल।
केसरिया फेटा कफन माथ बन्हले,
जनवाँ हथेली धराइल।
ए भइया!…..
झुकलें ना, रुकलें ना टुटलें मरदाना।
भारत हमार हऽ, सुनावत ई गाना।
दुश्मन की छाती पर भारत के जय लिखि के, रातदिन दलिया दराइल।
ए भइया!….
माथा झुकाईं अब उनुका चरन में।
सरबस लुटा दिहलें अपना परन में।
बूँन-बूँन रकते से सींचि गइलें बगिया,
देखलें जे पात कुम्हिलाइल।
ए भइया!….