शरण देवे से कन्नी काटत इस्लामिक देश

November 15, 2021
सुनीं सभे
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आर.के. सिन्हा

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जा के बाद भयंकर हाहाकार मचल बा। उहाँ सरेआम कत्लेआम चालू बा। नतीजा, ज्यादातर स्थानीय अफगानी नागरिक भी कहीं अउर जाके बसे के चाह रहल बा। उनका अफगानिस्तान में अब अपना बीबी बच्चन के साथे एक मिनट भी रहल सही नइखे लागत। अफगानिस्तान से बहुत सारा हिन्दू-सिख समुदाय के लोग भारत आ रहल बा। उनका इहाँ पर सम्मान के साथ शरण भी मिल रहल बा। पर अफगानिस्तान के मुसलमानन के इस्लामिक देश अपना इहाँ शरण देवे खातिर आगे नइखे आवत। सब केहू ये लोग के अपना इहाँ शरण देवे या शरणार्थी के रूप में जगह देवे से सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से मना कर देले बा। दुनिया के इस्लामिक देशन के अपना के नेता माने वाला पाकिस्तान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरत, तुर्की आ बहरीन जइसन देश या त चुप हो गइल ह या फिर ऊ लोग अपना अफगानिस्तान से लागे वाली सरहदन के ज्यादा मजबूती से घेर लेले बा। चौकसी बढ़ा दिहले बा ताकि कोई घुसपैठ ना कर सके। ले-दे के सिर्फ शिया बहुल ईरान ही ये अफगानियन खातिर आगे आइल बा। इहाँ पहिले से ही लगभग साढ़े तीस लाख सुन्नी अफगानी शरणार्थी रहेला। ईरान के तीन तरफ से सीमा अफगानिस्तान से मिलेला। शिया शासित ईरान के भारी संख्या में सुन्नी शरणार्थियन के शरण देहल वाकई काबिले तारीफ बाI

अफगानिस्तान संकट में धूर्त पड़ोसी पाकिस्तान के काला चेहरा खुल के सामने आ रहल बा। ऊ अपना अफगानिस्तान से लागल सरहदन पर सेना के तैनात कर देले बा। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान कह रहल बाड़े कि हमरा इहाँ त पहिलहीं से लाखन अफगानिस्तानी शरणार्थी बाड़ें। हम अब अउर ना लेम। त फेर पाकिस्तान अपना के सारी दुनिया के मुसलमानन के रहनुमा काहे मानता। अफगानिस्तान संकट के बहाने पाकिस्तान के दोहरा चरित्र के समझल आसान होई। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के मुसलमानन के हक खातिर सारी दुनिया के मुसलमानन के आये दिन खुल के आह्वान करत रहेला। ऊ संयुक्त राष्ट्र से ले के तमाम अन्य मंचन पर भारत के घेरे के भी नाकाम कोशिश करेला। लेकिन पाकिस्तान ई त बताओ कि उ अफगानिस्तान के मुसलमानन के अपना इहाँ शरण काहे नइखे देत? का कुछ हजार मुसलमानन के अउर आ जाए से पाकिस्तान में भुखमरी के हालात पैदा हो जाई?

पाकिस्तान त बांग्लादेश में रहे वाला अपना बेसहारा उर्दू भाषी बिहारी मुसलमान नागरिकन के भी अपना इहाँ लेवे के तैयार नइखे जे 1971 के बांग्ला देश आजादी के लड़ाई में पाकिस्तानी सेना के खुल के साथ दिहले रहे आ अभी शरणार्थी कैंपन में आपन जिंदगी काट रहल बा। पाकिस्तान के मालूम बा कि सिर्फ ढाका में एक लाख से अधिक बिहारी मुसलमान शरणार्थी कैम्पन में नारकीय जिंदगी गुजार रहल बाड़ें। बिहारी मुसलमान 1947 में देश के बंटवारे के वक्त पाकिस्तान चल गइल रहलें। जब तक बांग्लादेश ना बनल रहे तब तक त इनका कवनों दिक्कत ना रहे। पर बांग्लादेश बनते बंगाली मुसलमान बिहारी मुसलमानन के आपन जानी दुश्मन माने लागल। वजह ई रहे कि बिहारी मुसलमान तब पाकिस्तान सेना के खुल के साथ देत रहे जब पाकिस्तानी फौज पूर्वी पाकिस्तान में बंगालियन के ऊपर कत्लेआम मचावत रहे। इयाद करीं कि बिहारी मुसलमान ना चाहत रहे कि पाकिस्तान कभी भी बंटे।

ई लोग 1971 में मुक्ति वाहिनी के ख़िलाफ़ पाकिस्तानी सेना के खुल के साथ देले रहे। तब से ही इनका के बांग्लादेश के आम लोगन द्वारा नफरत के निगाह से देखल जाला। ओइसे ई बांग्लादेश में अभी भी लाखन के संख्या में बाड़ें अउर नारकीय यातना सहे के मजबूर बाड़ें। ई लोग पाकिस्तान जाए के भी चाहेला। पर पाकिस्तान सरकार ये लोग के अपना देश में लेवे के कत्तई तैयार नइखे। जरा सोंची कि कवनों जब देश अपनही देशभक्त नागरिकन के लेवे से मना कर दे। ई घटियापन पाकिस्तान ही कर सकेला। चीन में प्रताड़ित कइल जा रहल मुसलमानन के दर्द भी ओकरा सुनाई नइखे देत।

जब भारत धारा 370 के खतम कइलस त तुर्की अउर मलेशिया भी पाकिस्तान के साथ सुर में सुर मिलाके बात करत रहे। ऊ लोग भारत के निंदा भी करत रहे। मलेशिया के तब के राष्ट्रपति महातिर मोहम्मद कहत रहले, हम ई देख के दुखी बानी कि जवन भारत अपना के सेक्युलर देश होखे के दावा करेला, ऊ कुछ मुसलमानन के नागरिकता छीने खातिर क़दम उठा रहल बा। अगर हम अपना देश में अइसन करीं, त हमरा पता नइखे कि का होई? हर तरफ़ अफ़रा-तफ़री आ अस्थिरता होई आ हर कोई प्रभावित होई। महातिर एक तरह से अपना देश के लगभग 30 लाख भारतवंशियन के खुल के चेतावनी भी देत रहले। ई दुनू देश पाकिस्तान के कहला पर संयुक्त रूप से भारत के खिलाफ जहर उगलत रहे। पर ई दुनू मुल्क भी अफगानियन के अपना इहाँ रखे खातिर तइयार नइखे। अब इनका इस्लामिक प्रेम के हवा निकल गइल।

दुनिया भर में फइलल 57 इस्लामिक देशन के संगठन ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) के ईरान के छोड़ शेष सदस्य अपना तरफ से अफगानिस्तान के शरणार्थियन के हक में मानवीय आधार पर सामने नइखे आवत। कुल मिला के अफगानिस्तान संकट ओआईसी के खोखलापन के भी उजागर कर देलेबा। ई लोग सिर्फ इजराईल आ भारत के खिलाफ ही बोले आ बयान देवे के जानेला। अगर रउआ करीब से इस्लामिक देशन के आपसी संबंध के देखेम त समझ में आ जाई कि ये सबके एकता दिखावा भर खातिर बा। इयाद करीं कि रोहिंग्या मुसलमानन के म्यांमार के सबसे करीबी पड़ोसी बांग्लादेश शरण देवे से साफ इंकार कर दिहलस। बांग्लादेश के एक मंत्री मोहम्मद शहरयार कहलन कि ई रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश के सुरक्षा खातिर गम्भीर खतरा बाड़ें। हमरा इहाँ पहिले भी कई घटना घट चुकल बा। इहे कारण बा कि हम उनका लेके सावधान बानीं।

रोहिंग्या मुसलमानन के जाने वाला बतावेलें कि ई रोहिंग्या जल्लाद से कम ना ह। ई म्यामांर में बौद्ध कन्या सबसे बलात्कार के बाद उनकर हत्या कर के उनका अतडिंयन के निकाल फेंके से भी गुरेज ना करे लोग। इनके कृत्य के इनका देश में पता चलल त म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमान के खदेड़ल जाये लागल रहे। एकरा बाद से इनके हाथ-पैर फूले लागल बा आ ई लोग बांग्लादेश आ भारत में शरण के भीख माँगे लागल। हालांकि इनका के कवनों इस्लामिक देश त सिर छिपावे के जगह ना देवे। पर भारत में इनका हक में तमाम सेक्युलरवादी सामने आवत रहल बा। एही से ही ई लोग भारत में कई राज्यन में घुस भी गइल बा। बहरहाल, बात होत रहलs ह इस्लामिक देशन के अफगान संकट के लेके बनल नीति के। अब कोई कम से कम ई मत कहे कि इस्लामिक देशन में आपस में बहुत प्रेम आ सौहार्द बा।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार अउर पूर्व सांसद हईं।)

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