ज्योत्स्ना प्रसाद
जवाना घड़ी हमार शादी भइल, ओह घड़ी हमार पासपोर्ट अभी बनल ना रहे। पासपोर्ट खातिर अप्लाई कइला से पासपोर्ट हाथ में अइला तक करीब-करीब दू महीना के समय लाग गइल। पासपोर्ट बनते हमार पति छुट्टी लेके अइलन आ हम उनके साथे रिपब्लिकन ऑफ यमन आ गइनीं। जब कभी कवनों अइसन प्रसंग चलेला त ऊ आजो बहुत गर्व से कहेलन कि हम त तहरा के हनीमून खातिर विदेश लेके आ गइनीं।
हमरा यमन अइला के रउआ हनीमून कह लीं, पति के नौकरी पर आवल कह लीं या फिर मजबूरी ही कह लीं। काहेकि जवना घड़ी हमार बिआह भइल, ओह घड़ी हमरा ससुराल में कोई अपनहिअन में के औरत घर में स्थाई रूप से रहत ना रहे। सब लोग शादी में आइल रहे। शादी के सब विधि समाप्त होते ही सबका अपना-अपना मंजिल पर लौट जायेके रहे। कारण हमरा सास के देहावसान बहुत पहिले ही हो गइल रहे। ननद अपना ससुराल से शादी खातिर आइल रहली। हमार जेठानी भी शादी में ही आइल रहली, जिनका कुछ दिन हथुआ में रहके वापस लौट जायेके रहे। ई सब बात त हम जानत ना रहनीं। एह से एह बात पर कभी सोचले भी ना रहनीं। बाकिर एक दिन हमार ससुर जी, हमरा के बुलाके कहनीं कि दुलहिन अभी ई जे अपना घर में चहल-पहल देखतारु ई सिर्फ चन्द दिन के ही मेहमान बा। एकरा बाद घर में सन्नाटा छा जाई। काहेकि मिट्ठन अपना पति के पास लौट जइहें आ बड़की दुलहिन अपना पति के पास। अब बचलू तू। तहार पति त इण्डिया में बाड़न ना जे तू उनका लगे चल जइबू। एह से, अब तहरा सोचे के बा कि तहरा एइजा रहे के बा कि अपना नइहर? अपना ससुर जी से अचानक ई बात सुनके हम बड़ी असमंजस में पड़नी कि हम उहाँ से का कहीं आ का ना? काहेकि हमरा सामने अकस्मात अइसन परिस्थिति उत्पन्न हो गइला रहे जवना के चलते हमरा कुछऊ समझ में ना आवत रहे। हमरा अपना सपना में भी एह बात के एहसास ना रहे कि अपना ससुराल पहुँचते ही हमरा अइसन परिस्थिति से सामना करे के पड़ी। एतने भर ना, हमरा अइसन आदमी त एकर कभी कल्पना भी ना कर सकत रहे। दोसर बात ई भी रहे कि एह तरह के कौनो बोल्ड निर्णय लेबे के हमरा कभी जरूरत ही ना पड़ल रहे। संस्कार भी अइसन रहे कि अपना बाबूजी से भी कभी खुलके अपना मन के बात ना कइनीं त अपना ससुर जी से भला का करतीं? एह से चुप रहल ही श्रेयस्कर समझनीं। सोचनी वइसे भी हमरा कहला-ना-कहला से फर्क भी का पड़े के बा? जइसन होई देखल जाई। जब जइसन घर के बड़-बुजुर्ग लोगन के निर्णय होई, ओइसन कइल जाई। खैर, दू-ढाई महीना के समय रहे, नइहर-ससुरा करत गुजर गइल।
हमरा पति के ईब्ब यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी विभाग में यूनिवर्सिटी टीचर के नौकरी रहे। वैसे शुरू में ईब्ब स्वतंत्रत यूनिवर्सिटी ना रहे बल्कि सना यूनिवर्सिटी के पार्ट रहे। बाद में स्वतंत्रत यूनिवर्सिटी भइल। ईब्ब रिपब्लिकन ऑफ यमन के एगो गवर्नरेट के हेड क्वाटर ह, जवना के नाम पर ओह गवर्नरेट के नाम पड़ल बा। ई एगो हिल स्टेशन ह। जे काफी उँचाई पर बा। एह शहर के विशेषता ई बा कि एह शहर में एके समानान्तर में कइगो सड़क बा। बाकिर कवनों सड़क एक लेबल में नइखे। कवनों पाँच फीट ऊँचा बा त कवनों चार फीट नीचा।
हम फरवरी के अंत में यमन गइल रहनीं। जून के अंत ले कॉलेज में इम्तिहान खत्म होखे के रहे। काहेकि जुलाई से काॅलेज में साठ दिन के सलाना छुट्टी होखे के निश्चित रहे। एह से जून के अंतिम सप्ताह में हमनी अपना सामान के पैकिंग आ घर के लोगन खातिर उपहार आदि के खरीदारी में व्यस्त हो गइनीं सन।
भारत लौटला पर एक सप्ताह भी अस्थिर से ना रह सकनी सन। नइहर-ससुरा आ रिश्तेदारे लोगन से मिलत-जुलत पूरा छुट्टी खत्म हो गइल। बाकिर एह बीच एक काम अच्छा भइल कि हम अपना पीएचडी के रजिस्ट्रेशन खातिर पटना यूनिवर्सिटी में अप्लाई क देहनीं आ अपना टॉपिक के अनुरूप किताब आदि भी अपना साथे लेते गइनीं।
हमरा अपना शोध के दौरान पूरा सत्र् स्थाई रूप से पटना में ना रहला के कारण, अपना शोध के समय स्वयं ही अधिक मेहनत करे के पड़ल। एकर नतिजा ई भइल कि हमरा कवनो कठिन चीज़ समझे खातिर ओकरा के बार-बार पढ़े के पड़े। इहे आगे चलके हमरा खातिर वरदान साबित भइल। हम बड़ा मनोयोग से आपन थीसिस पूरा कइनीं। हमार थीसिस सन् 1999 में समिट हो गइल। थीसिस लिखत समय हमार स्वाभाविक रूप से व्यस्तता रहे। बाकिर ओकरा जमा भइला के बाद एक रिक्तता सा आगइल। हमरा बुझइबे ना करे कि हम आपन समय के सही तरीका आ सृजनात्मक ढंग से कइसे व्यतीत करीं ? एह से एक-के बाद एक कइगो प्रोजेक्ट पर काम करे लगनीं। जवना में अरबी भाषा के सीखला से लेके ‘रिपब्लिकन ऑफ यमन’ पर किताब के पाण्डुलिपि तइयार करे तक के काम शामिल हो गइल। हमार ‘रिपब्लिकन ऑफ यमन’ पर लिखल किताब के पाण्डुलिपि हमार आदरणीय गुरु आ मार्गदर्शक स्व. नंदकिशोर नवल के बहुत पसंद रहे। उहाँ के ओकरा खातिर बहुत शुभ कामना भी देहले रहनीं। बाकिर दुर्भाग्य से ऊ पाण्डुलिपि अभी तक पुस्तकाकार में ना आ सकल। बाकिर ओही पाण्डुलिपि के आधार पर हम रउआ लोगन से यमन के कुछ जानकारी शेयर करतानीं।
रिपब्लिकन ऑफ यमन विश्व के प्राचीन देशन में से गिनल जाला। ई क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से सऊदी अरबिया के बाद दूसरा सबसे बड़ा अरब देश ह। प्राचीन काल के ज्ञात इतिहास में यमन के अधिकांश हिस्सा पर देशी राज्य शबा के अधिकार रहे। जेकर राजधानी रहे माऽरीब। यमन के एह शबा राज्य आ माऽरीब राजधानी के बहुत नाम रहे। ओह राज्य के भग्नावशेष आ पुरातात्त्विक साक्ष्य कई जगह मिलल बा। जवना के देखले से ई पता चल जाला कि यमन के इतिहास बहुत गौरवशाली रहे। बाइबिल के कई परिच्छेद में दसवीं शती B.C. के King Solomon आ माऽरीब के रानी शिवा के जिक्र बा। कुरान में भी Queen of Sheba के King Solomon से मिले के घटना के उल्लेख बा। इहाँ तक कि Queen of Sheba के प्रसंग में कुरान में सबसे ज्यादा यमन के ही चर्चा बा।
सिर्फ यमन में ही ना, ओकरा आस-पास के देशन में भी रानी शिवा के नाम आजो बहुत सम्मान से लेहल जाला। हालाँकि कुछ इतिहासकारन के रानी शिवा के मूल स्थान पर मतभेद बा। बाकिर अरब परम्परा में उनका के माऽरीब के ही मानल जाला, जे यमन के ही एगो भाग ह। ‘Qeen of Sheba’ के अरब परम्परा में Bilqis कहल जाला। ई ऐश्वर्य आ धन के प्रतीक रहली। उनकर राज्य सुख-संपदा आ वैभव से परिपूर्ण रहे। काहेकि उनका शासन काल में यमन महत्त्वपूर्ण वैपारिक-मार्ग रहे। जवना से होके ही धूप,लोहान,बखूर जइसन सुगंधित पदार्थ दूसरा अरब देशन में जात रहे। एह से एह मार्ग के सुगंधित मार्ग कहल जात रहे। एह मार्ग पर रानी शिवा के ही अधिकार रहे। एह से ‘कर’ के रूप में राज्य के काफी आमदनी हो जात रहे।
सैकड़ों बरिस बाद, काॅफी यमन के आय के मुख्य साधन हो गइल। यमन के जवना बंदरगाह से काॅफी के निर्यात होत रहे, ओह बंदरगाह के नाम ह मोखा (Mukha) । इहे बंदरगाह यूरोपियन खातिर मोचा (Mocha) हो गइल। विश्व प्रसिद्ध मोचा काॅफी यमन के एही मोखा बन्दरगाह से निर्यात होत रहे। एही से एह बंदरगाह के नाम पर मोचा काॅफी कहाये लागल।
यमन एगो प्रायद्वीप ह। एकर जलवायु भी बहुत बढ़िया बा। जे एकरा के संपन्नता प्रदान करेला। अन्य खाड़ी देशन के विपरीत यमन के कुछ हिस्सा प्राकृतिक रूप से काफी हरा-भरा बा। कवनो-कवनो क्षेत्र में त साल में दू बार बरसात के मौसम आवेला। जवना के चलते पूरा यमन के ही ‘Green Yemen’ कहल जाला। खासकर ओह क्षेत्रन के जहाँ बहुत हरियाली बा, ओकरा के पूरा खाड़ी देशन में ‘लोआल अखदर’ यानी ‘ग्रीन बेल्ट’ के नाम से पुकारल जाला।
यमन के एगो प्रसिद्ध नगर ह Aden. ई नगर अरब सागर के तट पर बसल बा। इहाँ बहुत अधिक गर्मी पड़ेला । एह से Aden के ‘White man’s grave’ भी कहल जाला। बावजूद एकरा, एकर भौगोलिक स्थिति के देखते हुए ब्रिटिश साम्राज्य एकरा के आपन ‘colony’ बना लेहलस। काहेकि समुद्र-मार्ग से एडेन से इण्डिया आइल-गइल बहुत आसान बा। एह से ई इण्डिया आवे खातिर सेतु के काम करत रहे।
यमन पहाड़ आ रेत के देश ह। एह से इहाँ आवा-गमन के समुचित साधन ना रहे। विज्ञान के एतना तरक्की भइला के बावजूद आज भी यमन के कइगो अइसन क्षेत्र बा जहाँ पहुँचल बहुत कठिन बा। एह से ई दुनिया के नज़र में ओइसन ना आइल जइसन आवे के चाहीं। फिर भी कई जाबांज खोजी प्रकृति के लोग यमन के खोज में लागल। जवना में कई अरब भी रहलन। जवना में इब्बन रूस्ता आ इब्बन बतूता के नाम प्रसिद्ध बा। बाद में इंग्लैंड, डेनमार्क आ जर्मन यात्री भी यमन आइल।
यमन के इस्लामिक इतिहास में Queen Arwa bint Ahmad के नाम बहुत सम्मान से लेहल जाला। उनका के लोग सम्मान से अल सइदा अल-हुरा अल मलिका कहेला। रानी अरवा के पति, सन् 1086 में अपना पत्नी पर आपन सारा राज-काज छोड़ के, स्वयं अपना के संगीत आ शराब में डूबा लेहले। सत्ता पर काबिज होते ही रानी अरबा अपना राज्य के संवृद्धि आ शान्ति खातिर, आपन राजधानी जिबला बनवली। ई एक कुशल आ योग्य शासिका रहली। जिबला के इलाका पहाड़ी ह। जबना के कारण बरखा के चलते इनका राज्य के खेती चौपट हो जात रहे। एह से ई अपना सूझ-बूझ के परिचय देत अपना राज्य में ‘terrace farming’ शुरू करववली। जवना के चलते उनकर राज्य आउर समृद्ध होत गइल। एह से उनका के second Qween of Sheba कहल जा सकेला।
हमनी के यमन के राजकुमार हातिमताई के किस्सा त अपना बचपने से ही सुनत आवतानी सन। उनका पर हिन्दी में फिल्म भी बनल बा। उनकर नेकी के किस्सा त जग-जाहिर बा। फिर भी ई बात अलग बा कि पहिले ई बात ना बुझाइल रहे कि ई कहानी केहू व्यक्ति के जीवन के सत्य घटना पर आधारित बा कि कोरा कल्पना भर ह। वास्तविकता जे भी होखे बाकिर यमन के लोग एकरा के सत्य घटना पर आधारित मानेला।
हमनी किहाँ के बच्चा-बच्चा ‘अली बाबा अरबाइन हरामी’ यानी ‘अली बाबा चालीस चोर’ के किस्सा जानता। एह विषय पर हिन्दी में एक ना अनेक फिल्म बन चुकल बा। रउआ लोगन के ई बात जानके आश्चर्य होई कि इहो किस्सा यमन के ही ह। हमरो बहुत आश्चर्य भइल रहे, जब हमनी के ड्राइवर हमनी के अली बाबा के किस्सा के ‘अलबाब’ यानी दरवाजा के प्रत्यक्ष देखवलस। साच पूछी त पहिले हमरा विश्वास ना भइल। बाकिर हमरा विश्वास कइला भा ना कइला से सचाई बदल त जाये के ना रहे। एह से विश्वास करहीं के पड़ल।
ईब्ब आ ताईज़ के रास्ता में हरियाली विहीन पहाड़ के ऊपरी हिस्सा में हल्का नीला रंग से रंगल एगो सामान्य आकार के दरवाज़ा रहे, जे दूर से थोड़ा छोटा ही लउकत रहे। उहे अली बाबा के अलबाब रहे। हमनी के ड्राइवर ही बतवलस कि एह दरवाज़ा में ई लोहा के बनल मजबूत अलबाब(दरवाज़ा) के पल्ला पहिले ना लागल रहे। एह से धन के लोभ में लोग ओह खुलल दरवाज़ा से अंदर चल जात रहे। बाकिर जे एक बार ओह दरवाजा के अंदर प्रवेश कर जात रहे, ऊ वापस लौट के ना आ पावत रहे। एह से सरकार के ओर से ओह दरवाज़ा के अंदर जायेके सबके मनाही रहे। बाकिर लोग सरकार के रोक के बावजूद अपना लालच से बाज कहाँ आवत रहे ? एह से अंत में हार के सरकार के ओर से ओह खुलल अलबाब में लोहा के बनल मजबूत पल्ला लगा के, ओकरा में ताला लगा देहल गइल। आजो ऊ ओही स्थिति में बा।
यमन के इतिहास के प्राक् ऐतिहासिक काल से, यानी Bronze आ Stone काल से जोड़ के देखल जाला। वइसे यमन के ज्ञात इतिहास के रानी शिवा के समय से मानल जाला। ई उहाँ के बहुचर्चित रानी रहली। इनका शासन काल में यमन बहुत विकसित रहे। उनकर भी समय 1000 बी. सी. रहे।
यमन के क्षेत्र में इस्लाम धर्म के आगमन के पहिले उहाँ के लोग मूर्ति पूजक रहे। आज भी उहाँ माऽरीब के इलाका में कइगो मंदिर के अवशेष मौजूद बा। एतने भर ना उहाँ बलि प्रथा के भी रिवाज़ रहे। एह से एगो बलि-वेदी भी मिलल बा।
अइसे त यमन में अपना-अपना रुचि के अनुसार बहुत कुछ अइसन बा जे आदमी के आकर्षित करेला। बाकिर हम इहाँ उहे स्थान के चर्चा करेब, जे अधिकांश लोगन के पसन्द आवेला। एह में हम सबसे पहिले यमन के राजधानी सनांऽ ( Sana’a) से आपन बात शुरू करतानी। ई संसार के सबसे पुरान महानगर में से एगो ह। समय समय पर एकर कइगो नाम पड़ल जवना में एकर एगो नाम ह अज़ाल। ई ऊँचाई पर बसल एगो महानगर ह जे अपना उत्कृष्ट वास्तुकला खातिर प्रसिद्ध बा। Sana’a के ओल्ड सीटी के इतिहास इस्लाम के पहिले के ह। ई पूरा शहर एगो चहारदीवारी के अंदर बा। एह चहारदीवारी में सातगो दरवाज़ा बा, ओह महानगर में प्रवेश करे खातिर। जवना में सबसे प्रसिद्ध बा ‘बाब अल यमन’ यानी यमन के दरवाज़ा। एही महानगर से करीब-करीब 15 किलो मीटर दूर वादी धार में एगो ‘राॅक पैलेस’ बा । जे उहाँ के पूर्ववर्ती राजा के एगो महल ह । ई सात मंजिला महल बा । एह महल के खासियत ई बा कि ई महल सिर्फ पहाड़ पर बनल ही नइखे बल्कि एह महल के कई फ्लोर के कुछ हिस्सा मानव-निर्मित बा आ कुछ हिस्सा प्रकृति निर्मित। यानी पहाड़ के हिस्सा ही ओह महल के कई कमरा आदि के दीवार भी ह।
शाबाम आ कवकाबान नगर भी सना’ऽ के करीबे बा। ई नगर पुरातात्त्विक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण बा। काहेकि एकरा बारे में कहल जाला कि एकर निर्माण एगो प्राचीन मंदिर के अवशेष पर भइल बा।
एडेन (Aden) यमन के सबसे महत्त्वपूर्ण बन्दरगाह ह। चूँकि व्यापारिक दृष्टि से एकर बहुत महत्त्व बा,एह से एकरा समय-समय पर कई साम्राज्यवादी राष्ट्रन के उपनिवेश बने के पड़ल। जवना में सबसे प्रमुख रहे- तुर्क आ ब्रिटिश। 19 वीं शदी में ई संसार के तीसरा सबसे व्यस्त बंदरगाह रहे। इहाँ के दर्शनीय स्थल में से महत्त्वपूर्ण बा- प्राकृतिक एलिफैंट रॉक आ कृत्रिम गुलमोहर बीच, हौज़ पार्क। एह हौज़ में प्राकृतिक रूप से बरखा के पानी इकट्ठा होला आ एक हौज़ से दूसरा हौज़ में चल जाला। साचो मानी, ई मन के मोह लेला। ई कोई आम हौज़ ना ह, बल्कि कई लेयर में बा। ई हौज़ कब बनल रहे, एकर केहू के जानकारी नइखे। बाकिर ई बहुत बढ़िया बा आ अभी भी अच्छा स्थिति में बा। अंग्रेज एकरा के ढूँढलस लेकिन केकर बनावल ह एकर ठीक-ठीक जानकारी अभी ले नइखे भइल। कुछ इतिहासकार लोग एकर संबंध रानी शिवा के समय से जोड़ेला।
एडेन चूँकि ब्रिटिश कॉलोनी रहे। एह से इहाँ अपेक्षाकृत अधिक खुला समाज बा। हालाँकि पूरा खाड़ी देशन में सिर्फ यमन ही ‘रिपब्लिकन ऑफ यमन’ के नाम से जानल जाला। जबकि शेष खाड़ी देशन में राजतंत्र बा। एह से इहाँ सिर्फ कॉलेज आदि में ही को-एजुकेशन नइखे बल्कि शिक्षिका से लेके कुलपति या मंत्री तक के पद पर औरत के कार्यरत देखल जा सकेला। ई सब संभव एह से भइल बा, काहेकि इहाँ स्त्री-पुरुष दूनू के मताधिकार के बराबर के अधिकार बा।
पूरा खाड़ी देशन में एकमात्र एडेन ही अइसन स्थान बा जहाँ हिन्दू के मरला के बाद लाश जलावे के व्यवस्था बा। इहाँ आधा दर्जन से ऊपर मंदिर भी बा । जवना में अधिकांश में पूजा-पाठ नियमित रूप से होला। इहाँ एगो गाँधीजी के नाम पर हॉल भी बा।
ताईज़ (Taiz)- ताईज़ यमन के राजधानी रह चुकल बा। जवना घड़ी ई यमन के राजधानी रहे, ओह घड़ी यमन के बहुत विकास भइल रहे। ई महानगर भी एक चौड़ा दीवार से घिरल बा। जवना में चारगो दरवाज़ा बा।
ईब्ब (Ibb)- ईब्ब ‘The capital of the fertile province’ के नाम से जानल जाला। एकरा आस-पास के भूमि बहुत उपजाऊ बा। ईब्ब से 10 किलोमीटर के दूरी पर ऐतिहासिक स्थान जिबला बा। ई रानी अरवा बिंत अहमद अल-सुलायही के राजधानी रहे। एह रानी के किला भूकम्प में अब खण्डहर जइसन हो गइल बा। बाकिर ओह किला में 365 कमरा रहे। कहल जाला कि ओह किला के प्रत्येक कमरा से अलग-अलग दिन के सूर्योदय देखल जा सकत रहे।
ज़बीद ( Zabid)- ज़बीद भी बहुत पुराना नगर ह। एकरा, विश्व के प्रथम इस्लामिक विश्व विद्यालय के गौरव भी प्राप्त बा। एह विश्व विद्यालय के देश से बाहर भी बहुत नाम रहे । कहल जाला कि अलजबरा के आविष्कार भी एही जा भइल रहे आ शून्य के भी।
हादरामउत (Hadramaut)- हादरामउत के भारत से बहुत पुराना आ मजबूत संबंध रहल बा। इहाँ के लोगन के कहनाम बा कि जवना घड़ी हैदराबाद के निजाम के ई बुझाइल कि ऊ जहाँ शासन करतारे ऊ हिन्दू बहुल क्षेत्र ह आ ऊ मुसलमान हउअन त कही भविष्य में उनका कौनो तरह के परेशानी ना हो जाय। एह से ऊ लगले जहाँ-तहाँ से मुसलमान लोगन के बुलाके हैदराबाद में बसावे। वइसे भी उनका मुसलमान लोगन पर अधिक विश्वास रहे। एह से ऊ अपना सेना में मुसलमान के ही प्राथमिकता देत रहले आ उनका शासन-क्षेत्र में ओतना मुसलमान रहे ना। एह से ऊ दोसरा मुस्लिम देशन से लोगन के बुलाके अपना सेना में भर्ती करे लगलन। एह से हैदराबाद से यमन के लोगन के भी निमंत्रण रहे। एह से यमन के हादरामउत से निजाम के सेना में बहुतायत में लोग भर्ती भइल। आज भी हादरामउत के लोग उहाँ अधिक संख्या में बा। कुछ लोग त उहाँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी से रहता। हादरामउत के खजूर,शहद आ प्राकृतिक सौंदर्य भी सबके आकृष्ट करेला।
शहारात अल-अमीर आ शहारात अल-फिश ( Shaharat Al-Amir and Shaharat Al-Fish) सहारा क्षेत्र के दूगो अइसन पहाड़ बा जवना के मध्य भाग के आपस में जोड़े वाला पैदल चले वाला पुल सबके अचम्भित कर देला।
अल-उदयन के काॅफी आ प्राकृतिक सौंदर्य भी सबके सहज ही अपना ओर खींच लेला। ई सब त चन्द उदाहरण ही बा। केतना ले गिनाई? बस ई समझ लीं कि एह सब के संजो के रखल भी यमन खातिर एक चुनौती बा। बाकिर अधिकांश प्रचीन धरोहर यूनिसेफ के कवनों ना कवनों तरह के संरक्षक में बा।
घर हो चाहे देश, आन्तरिक कलह ओकर नींव हिला के रख देला। यमन भी आज आन्तरिक कलह के शिकार हो गइल बा। पता नइखे कि ऊँट कवना करवट बइठी।ऊँट चाहे कवनों करवट बइठे, बाकिर एह खींच-तान में नुकसान त देशे के हो रहल बा । विश्व इतिहास एह तरह के घटनाक्रम से भरल बा। ओकरा नतिजा से भी हम भली-भाँति अवगत बानीं। फिर भी हम इतिहास से सबक ना लेनी । काहेकि हमरा ज्ञान आ विवेक के हमार स्वार्थ आ अहंकार अइसन कसके दबइले बा कि ओह दूनू के उर्ध्व साँस चल रहल बा। पता ना कब प्राण-पखेरू उड़ जाय ?
हमरा यमन छोड़ला करीब-करीब दस-ग्यारह साल हो गइल । बाकिर आज भी हम ओह लोगन से मिलल आदर आ स्नेह के मिठास के महसूस करेनीं। हम यमन से आवत घड़ी अपना भाव के अभिव्यक्त करत आपन विचार लिखले रहनीं –
” कल हम यहाँ नहीं रहेंगे
चले जायेंगे दूर, बहुत दूर
पीछे मुड़कर देख नहीं पायेंगे
इस धरती पर लौट नहीं पायेंगे
पर सहेज लूंगी मैं ढेरों यादें –
कुछ धुंधली कुछ मान- सम्मान
छोड़ जायेंगी जो मेरे हृदय पर
इस धरती के अमिट निशान ।”