उमेश चतुर्वेदी
पुरनका जमाना में लड़ाई जब खाली मैदान में होत रहे, तब एगो पक्ष के जीत होत रहे आ दोसरका पक्ष हारत रहे। लेकिन आजु के जमाना के लड़ाई में जीते वाला पक्ष जीतियो के हारत लागेला आ हारल पक्ष आपना हारियो में जीतल बुझाला। दुनिया के दोसरकी बड़की महाशक्ति रूस के हमला में यूक्रेन चाहे जाताना बरबाद हो गइल होखे, बाकिर ऊ हारल नइखे। ई लेख जब लिखात बा, तब तक ले रूस के हमला के करीब एक महीना हो गइल बा। सुपरसोनिक, हाईसोनिक मिसाइल, टैंक, विमान आदि से हमला से यूक्रेन के खारकीव आ कीव शहर भले तबाह हो गइल होखे, भले करीब बीस लाख नागरिक पड़ोसी देशन मसलन पोलैंड, रोमानिया आदि में शरणार्थी बने के मजबूर हो गइल बा, बाकिर यूक्रेन हारि नइखे मनले। एह से का जाहिर होता, ईहे कि रूस भले जीतत लउकत होखे, बाकिर ऊ जीति नइखे पवले आ जीतियो जाई त ई जीति ओकरा बहुते महंगा पड़ी। यूक्रेन त बरबाद होइए गइल बा, बाकिर उमेदि कइल जा सकेला कि दुनिया के तमाम तोखन नियर यूक्रेनो एह बरबादी से उबरि…भले एकरा में वक्त लागे।
जीतला के बादो विजेता पक्ष खातिर हारि के आशंका के वजहि बा आजु के जमाना के युद्ध नीति आ ओकर तरीका। मिसाइल आ परमाणु बम के पहिले तकले लड़ाई कवनो मैदान भा कछार में होत रहे। लड़ाई के एगो नियम रहे। मिसाइल, आ गोला-बम के जमाना में अब नियम नइखे रहि गइल। क्रोनी कैपिटलिज्म आ ग्लोबल दुनिया के विचार के चलते देसन के पहचानि उहनि के संस्कृतिए से रहि गइल बा। सीमा भी राष्ट्रन के पहिचान के आधार बा, बाकि आर्थिक आधार पर देखीं त सभ सभकरा के जुड़ि गइल बा। एहि वजहि से आजु के जमाना के लड़ाई सिरिफ हरवा-हथियार के लड़ाई नइखे रहि गइल, बल्कि आर्थिक हो गइल बा। बेशक रूस के तुलना में यूक्रेन कमजोर बा, बाकिर यूरोप आ अमेरिका समेत आर्थिक आ सैनिक रूप से ताकतवर तमाम देसन के ओकरा सहयोग मिलि रहल बा। केहू हथियार देता त केहू नागरिकन के रहे-खाए आदि के सहायता। तुर्की के बनल द्रोन विमान मिलल बा त तमाम तरहि के मिसाइल भी ओकरा मिलि रहलि बा। एह के ठीक उलट रूस पर अब तक ले दुनियाभर के तमाम देस करीब साढ़े पांच हजार तरीका के पाबंदी लगा देले बाड़े स। रूसी कंपनियन के विदेशी बैंकन में जमा रकम, आदि फ्रीज हो गइल बा। पाबंदी के चलते रूस से कारोबार नइखे हो पावत। वीसा आ मास्टर कार्ड के संगे-संगे अइसन दोसरका आर्थिक आ बैंकिंग प्लेटफॉर्म रूस के छी मानुस कइ देले बा। जाहिर बा कि दुनियाभर से रूस के आर्थिक पाबंदी झेले के परि रहल बा। रूस के संगे अगर कवनो देस खुलि के लउकता त ऊ चीन बा। कहे के त रूस के नजदीकी आ पूर्व सोवियत संघ के देस बेला रूस भी ओकरा संगे बा। बाकिर आर्थिक आ सामरिक रूप से बेला रूस के कवनो खास ताकति नइखे।
एह बीचे भारत के अजीब हालत हो गइल रहल हा। ई बात आउर बा कि मोदी सरकार आपन स्वतंत्र विदेश नीति के चलते रूस आ रूस विरोधी, दूनो पक्षन से समान दूरी बना लेले बा। भारत के सामने चुनौती रहल कि ऊ अंतरराष्ट्रीय मंचन पर रूस के साथ कइसे छोडे। रूस हर मोर्चा पर भारत के करीब सत्तर साल से साथ दे रहल बा। ऊ भारत के हरवा-हथियार के साथ-साथ खनिज तेल यानी पेट्रोलियम के बहुत बड़ सप्लायर ह। अमेरिका ओकरा पर पाबंदी लगा के ओकर तेल कारोबार के ठप करे के कोसिस कइ रहल बा। बाकिर भारत एह के बीच के रास्ता निकालि के रूस से तेल खरीदि रहल बा। संयुक्त राष्ट्र संघ में रूस पर आइल प्रस्ताव पर भारत तटस्थ रूख अपना के दुनिया के संदेस दे देले बा कि लड़ाई के मोर्चा पर ना त ऊ रूस के साथ दिही आ ना रूस विरोधी खेमा के। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर के मसला पर अक्सर आपन साथ देबे वाला रूस के भारत कइसे छोड़ि सकेला। बाकिर भारत के नीति हमला ना करे वाला ह, एह वजहि से ऊ रूस के संगे कम से कम यूक्रेन के मामिला में जाइ नइखे सकत। एह बीचे भारत के अर्थव्यवस्था यूरोप आ अमेरिका के देशन संगे कारोबार आदि के जरिए जुड़ि गइल बिया त भारत ओह देशन के भी उपेक्षा ना कइ सकेला, एही वजहि से ऊ तटस्थ रूख अख्तियार कइले बा।
भारत के अइसनके रूख के वजहि से भारत के यूक्रेन में पढ़े आ नोकरी करे वाला करीब साढ़े बाइस हजार लोग देस लवटि आइल बा। एह में ज्यादेतर लोग यूक्रेन में डाक्टरी के पढ़ाई करत रहल। यूक्रेन से जब भारतीय छात्रन के निकासी होत रहे त रूसी सेना कारीडोर बनवले रहे। यूक्रेन के सेना भी तिरंगा लेके जात लोगन के हिफाजत कइलसि। ई दुखद बा कि रूसी हमला में भारत के कर्नाटक निवासी एगो छात्र नवीन के निधन हो गइल त पंजाब के एगो छात्र बीमारी से मरि गइल। बाकिर भारतीय राजनय के कामयाबिए कहाई कि भारतीय लोग सकुशल देस लवटि आइल।
भारत यूक्रेन के नागरिकन खातिर टेंट, कपड़ा आ भोजन आदि भी भेजले बा। ई भारत के संतुलित विदेस नीतिए के कमाल कहाई कि रूस एकर विरोध ना कइलसि। भारत के हर मोका पर आलोचना करे वाला पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भारत के एह आजाद विदेस नीति के बड़ाई करत नइखन थाकत।
यूक्रेन के राष्ट्रपति ब्लादीमीर जेलेंस्की पहिले हास्य अभिनेता रहले। हंसावत-हंसावत ऊ देस के राष्ट्रपति चुना गइले। उनुकर झुकाव अमेरिका के अगुआई वाला नाटो यानी नार्थ अटलांटिक संधि संगठन में आपना देस के शामिल करे के जइसे अभियान छेड़ि देले रहले। अमेरिका यूक्रेन के एह खातिर चढ़ावतो रहे। रूस के स्थिति ई रहे कि अगर नाटो के बहाना यूक्रेन तक अमेरिका आ जाई त ओकरा हमरमेसा तनाव रही त ऊ एह खातिर जेलेंस्की के चेतवलसि। लेकिन जेलेंस्की ना मनले त 23 फरवरी के रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन यूक्रेन पर हमला के आदेस दे दिहले।
रूस जइसे हमला कइ रहल बा, ओह से त अइसे लागता, जइसे ऊ काफी दिन से यूक्रेन के खिलाफ आपन खीसि दबा के रखले रहे आ मोका लागते ऊ यूक्रेन पर धावा बोलि दिहलसि। ओकर हमला ओइसने लागता, जइसे हमनीं किहां लउकेला। जब कवनो आदमि के ढेर दिनि से खिसि रहेला आ ओकरा जब मोका मिलेला त आपाना खिसि वाला दुसमन के पिंहुदी निकालि देला। रूस कुछु ओइसने करता। ऊ यूक्रेन के पिंहुदी निकालि रहल बा। ई बात आउर बा रूस के तमाम कोसिस के बावजूद जेलेंस्की हरदी गुर बोलते नइखे।
ओइसे एगो बात बा कि जइसे-जइसे लड़ाई बढ़त जाई, यूक्रेन भले बरबाद हो जाई, रूसो के आर्थिक हालत चरमराए लागी। अइसना में रूस के स्थिति ठीक ना रहि जाई। अमेरिका त रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन के युद्ध अपराधी अबहिंए से कहे लागल बा। बाकिर रूस आताना कमजोर नइखे कि ओकरा राष्ट्रपति के केहू उठा ले जाई आ सजा दे दीही।
एह लड़ाई के रूस के एगो फायेदा ई भइल बा कि शीत युद्ध के बाद ओकर जवन धमक लगातार कम होत चलि गइल रहे, ऊ लवटि आइल बा। अब आसानी से कवनो देस ओकरा के आंखि ना देखा सकी। अब फेरू से दुनिया के महाशक्ति के रूप में आपाना के स्थापित कई देले बा।
रहल बात जीत आ हारि के त वियतनाम, इराक आ मध्य पूर्व के तमाम देसन के अलावा अफगानिस्तान में अमेरिका के का हश्र भइल बा, ओकरो के देखे के परी। आर्थिक आ सामरिक ताकति भइला के बावजूद अमेरिका के एह देसन से भागे के परल। एक तरह से देखल जाउ त कमजोर होखला के बावजूद एह देशन के सामने अमेरिके के हारि भइल बा। रूसो के इहे हालि लउकता।