रूस-उकरेन के लड़ाई में दुनिया पिसाई

April 27, 2022
आवरण कथा
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ओमप्रकाश अश्क

रूस-उकरेन के लड़ाई के खाली दू देस के लड़ाई ले नइखे रह गइल। अब एने-ओने दू खेमा बन गइल बा। भारत-चीन जइसन देस चुप्पी साध लिहले बाड़े सन। जवनी गंतिया उकरेन पर रूस चढ़ बइठल बा, ओकरा से ई अब साफ बुझाये लागल बा कि जीत रूसे के होई। बाकिर एह लड़ाई में जीतलो के बाद रूस के तबाही त तयिये मानी, संगे-संगे सगरी दुनिया रगराई-पिसाई। एह लड़ाई से तीन कई गो खतरा के इसारा अबे से होखे लागल बा। एह लड़ाई के खिलाफ अमिरका, विलायत जइसन पूरबी यूरोप के देस के गोलबंदी हो गइल बा। ओकनी के कई गो धंधा अब रूस के संगे ना करिहें सन। एकर असर रूस पर साफ परे वाला बा। एह लड़ाई पर रोज खाली रूस के एक लाख दस हजार करोड़ रुपये खरच हो रहल बा। लड़ाई जेतना लम्मा खिंचाई रूस के डांड़ पर ओतने मार परी। लड़ाई के गोलबंदी में भारत-चीन जइसन देस भलहीं अपना के अलगा रखले बाड़े सन, बाकिर एकनियो के काम-धंधा सगरी दुनिया के देसन के संगे थोर-ढेर बटले बा। जवनी गंतिया ब्रिटेन भारत के मदद रोके के बात कहले बा, ओकरा के एगो इसारा समझे के चाहीं। एकर साफ माने ई निकलत बा कि सामान के डीजल-पेटरउल, सुरुजमुखी तेल जइसन सामान के किल्लत होई आ महंगाई में बारूद अइसन पलीता लाग जाई। एह से ई जीतस, ऊ हारस कह-मान के ढेर अगरइला के जरूरत नइखे। एकर खामियाजा सगरी दुनिया के भोगे के परी। सबसे बड़ खतरा ई बा कि तिसरका वर्ड वार के बीया एह लड़ाई से बोआ गइल बा। मौसम देख के ऊ कबो अंकुरा सकेला।

पहिले कहल जात रहे कि दू गो बिलाई के झगड़ा में तीसर बानर के लाभ। अब कहाउत उल्टा हो गइल बा। अब त दू के लड़ाई में तीसर के पिसाई होता। रूस-उकरेन (यूक्रेन) के लड़ाई छिड़ला से दुनिया के होस उड़ गइल बा। एक दिन के लड़ाई पर खाली रूस के खरचा एक लाख दस हजार करोड़ रोज होता। उकरेन के खरच अलगा बा। रूस के एक दिन के लड़ाई में खऱच के बराबर त एह साल झारखंड के बजट बा। बिहार के बजट एह साल 2 लाख 37 हजार करोड़ के बा। माने दू दिन के लड़ाई में जेतना खरच खाली रूस के भइल होई, ओतना साल भर के बिहार के बजट बा !

लड़ाई में जेतना खरच हो रहल बा, ऊ त बटले बा, ऊपर से हरानी-परेसानी आ मार-काट। एह लड़ाई के असर खाली रूसे-उकरेन पर ना परी। एह लडाई से सगरी दुनिया तबाह होई। महंगाई के त पूछहीं के नइखे। पहिलहीं से लोग महंगाई से तबाह बा, अब त बेहिसाब महंगाई बढ़ी। रूस-उकरेन (यूक्रेन) के लड़ाई छिड़ला से दुनिया के होस उड़ गइल बा। ई खतरा त तबे से खड़ा हो गइल रहे, जब से गलोबल गांव के शुरुआत भइल। नरसिंह राव के सरकार में मनमोहन सिंह ई गेयान लेके बड बैंक (वर्ल्ड बैंक) से अइले। गलोबल गांव के माने ई होला कि सगरी देस के जंगला-केवाड़ी हरदम खुलल रही। अमिरका में हवा चली त ओकरा के भारत में भा चीन में भी लोग महसूस करी। डागदरी पढ़े खातिर अपना देस से बीस-बाईस हजार लइका-लइकी उकरेन गइल रहले हां सन। जब ओइजा तबाही मचल हा, मोदी जी इयाद परले हां। एगो लइका के त एह लड़ाई में जानो चल गइल बा। सरकार बोडर ले जहाज भेज पावत बिया। जवन बोडर ले चहुंप जा तारे सन, ओकनी के ले आवल आसान बा। अबे ले बीस हजार लइका-लइकी आ चुकल बाड़े सन। जवन ओइजा फंसल बाड़े सन, ओकनी के खाये-पीये आ जान बचावे के तबाही में बाड़े सन।

भलहीं रूस आ उकरेन में लड़ाई लागल बा, बाकिर कई देस उकरेन के मदद में सामने आइल बाड़े सन। चीन आ आपन देस चुप बा। लड़ाई लगले पखवारा होखे जाता, बाकिर फरियाये के कवनो उमेद नइखे लउकत। हमला त रूस कइलस पहिले, बाकिर तबाहियो रूस में बेसी मचल बा। रूसे के लोग अपना सरकार के सिकाइत करत बा। महंगाई एतना बढ़ गइल बा रूस में कि सेयर बाजार पांच दिन खातिर बंद करे के परल रहल हा। एकर असर सगरी दुनिया में लउके लागल बा। केहू एह से नइखे हाथ डालत कि सभकर आपन आपन सवारथ बा। रूस भा उकरेन के बीच में केहू के पख लेहला के मतलब भइल कि आपन धंधा चौपट कइल। कई गो अइसन जिनिस बाड़ी सन, जवना खातिर एह दुनू देसन पर लोग के आसरा रहेला। जवन पेटरउल आ गैस तरक्की खातिर दुनिया भर में सबसे बेसी जरूरी बा, ओकरा में एह देसन के अच्छा-खासा भागीदारी बा।

उकरेन कवनो बड़ देस ना ह, ओइजा त बिहार के एक चौथाई आ झारखंड के बराबर ओइजा के आबादी बा। माने चार करोड़ के आसपास ओइजा आबादी बा। बाकिर कई गो अइसन चीज ओइजा मिलेला, जवन दुनिया भर में बिकाला। दुनिया में गेहूं के जवन कारोबार होला, ओइमें एक चौथाई उकरेन आ रूस में पैदा होला। अकेले 80 परसेंट सुरुजमुखी के तेल दुनिया में रूस आ उकरेन से जाला। मकई के खेती दुनिया भर में जेतना होला, ओइमें पांचवां हिस्सा अकेले एही दुनू देस के रहेला। दुनिया में पेटरउल-डीजल अकेले 12 परसेंट रूस से मिलेला। अब एही से अंदाज लगावल जा सकेला कि एह दिनू देसन के भैंसा लड़ान में खाली इहे तबाह ना होइहें सन, सगरी दुनिया में तबाही मच जाई।

बाजार में बढ़ जाई जिनिस-पत्तर के महंगाई

अपना देस पर केतना आउर कवनी गंतिया असर पड़ी,इहो जान लेबे के चाहीं। अबही आपन देस हर साल 150 अरब डालर के कांच तेल बाहर से कीनेला। एह लड़ाई से कांच तेल के दाम अउरी बढ़े के खतरा मूड़ी पर नाच रहल बा। 4 नवंबर से अपना इहां तेल के दाम नइखे बढ़ल। एह बीचे बाहर से आवे वाला कांच तेल के दाम एक बैरल पर 25 परसेंट बढ़ गइल बा। एह लड़ाई से तेल के दाम दसो परसेंट अउरी बढ़ जाता त बूझ जाये के चाहीं कि लोग के डांड़ डूटहीं वाला बा। अमिरका के डालर के मुकाबला में रुपया के दाम घट जाई। अबहिये एक डालर के कीमत 75 रुपया से ऊपर हो गइल बा। डालर महंगा भइला के असर ई होई कि कच्चा तेल आउर सोना के भाव आसमान छूए लागी। लड़ाई लागते सोना के भाव में हजार-बारह सौ के बढ़ती हो गइल बा। बाहर दोसरा देस से आवे वाला सगरी सामान के दाम बढ़ जाई। तेल महंगा भइल त एकर असर सगरी जिनिस के दाम पर परी। एकर माने त इहे भइल नू कि अबहिये जे महंगाई से छपटाता, ओकर हालत अउरी खराब होखे वाला बा।

एहू से खतरनाक बात ई बा कि अबे ले त दू देस के लड़ाई बा। एह बीचे जदि दोसर देस इनकर-उनकर साथ दिहले सन त दुनिया भर में लड़ाई छिड़ जाई। ओकरे के वड वार (वर्ल्ड वार) कहल जाला। एकरा पहिले दू बेर वड वार हो चुकल बा। हम नइखीं देखले। ओह बेरा हमार जनमो करम ना भइल होई। सगरी बड़का देस अइसन-अइसन हथियार बना लिहले बाड़े सन कि ओकर इस्तेमाल भइल त छन भर में दुनिया स्वाहा हो जाई। हमरा बुझाता कि हम बड़ा त हम बड़ा कहाये-बने के फेर में ई कुल्ह हो रहल बा।

भारत काहें चुपा गइल बा एह मामला में

जब नाटो आ संजुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ प्रस्ताव आइल त भारत अपना के कगरी राख लिहलस। कगरियाइल त चीनो रहे, बाकिर ओकरा बारे में कहल जाला कि ऊ हरदम रूसे के संगही रहेला। भारत-चीन लड़ाई में भी रूस चीन का संगही रहे। तब रूस का जगहा सोवियत संघ बनल रहे। दुनू कमलिस देस हई सन, एह से दुनू के मुंह भले अलगा होखे, बाकिर पेट एके रहेला। पाकिस्तान से 1967 के लड़ाई में सोवियत संघ माने आज के रूस भारत के संगे रहे। कसमीर के सवाल पर दुनिया भर के देसन के मीटिंग में उकरेन पाकिस्तान के सपोट कइलस त रूस भारत के। छह गो अइसन मौका आइल बा, जब भारत के पख में रूस साथ दिहले बा। एही से भारत एने-ओने बोलला से बढ़िया चुप रहल बुझलस। भारत के एक हांक पर रूस एइजा के लोग के उकरेन से निकाले खातिर लड़ाई करे के तैयार हो गइल, बाकिर सुने में आवता कि उकरेल के सेना एकर फायदा उठावे खातिर जबरिया भारत के कुछ लइकन के ढाल बना के रखले बा।

एह लड़ाई में जीतियो के हार जाई रूस

एगो बात त पकिया मान लेबे के चाही कि एह लड़ाई में जीतियो के रूस हार जाई। एह से कि लड़ाई जेतना दिन लम्मा खिंचाई, खरच ओतने बढ़ी। एह से रूस के माली हालत खराब हो जाई। एक दिन के लड़ाई पर एक लाख बीस हजार करोड़ खरच हो रहल बा रूस के। दुनिया के अमिरका-विलायत जइसन देस जवनी गंतिया रूस के खिलाफ हो गइल बाड़े सन, ओह से दुनिया के कारोबार से रूस के कगरिया जाये के खतरा बेसी बा। दुनिया में आपन धंधा फइलावे वाली जवन रूसी कंपनी बाड़ी सन, ओकनी के अबहिये से घबराये लागल बाड़ी सन। रूस के उड़ान सेवा वाली कंपनी एस-7 अबे कह रहल बिया कि रूसी उड़ान पर दुनिया में रोक लगला से ऊ कंगाली के कगार पर खड़ा हो गइल बिया। रूस जीतियो जाता, तबो उकरेन ओकरा खातिर खतरा बनल रही। अब ले के लड़ाई में जवना तरे उकरेनी लोहा ले रहल बाड़े सन, ऊ एह बात के इसारा बा कि उकरेन जीत के भी ओइजा के लोग के मन जीतल रूस खातिर आसान नइखे। विदेस से लड़ाई में सामिल होखे उकरेनी लोग देस पहुंचे लागल बा। साधारन लोग हथियार उठा लेले बा। एही से माने के चाही कि जीतला के बादो रूस उकरेनी लोग के मन ना जीत पाई। रूस खातिर ओकर जीत एह खतरा के भी बढ़ाई कि ओकरा चीन के पिछलग्गू बने के परी। चीन ओकरा संगे खाड़ बा। रूस के राष्ट्रपति पुतिन के खिलाफ एह लड़ाई के लेके उनही के देस के बड़ आबादी खिलाफ बा। धरना-परदर्सन होते रहता। पुतिन के खिलाफ ई लड़ाई हवा बनावे में मददगार हो सकेला।

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