यशेन्द्र प्रसाद
भगवान् बुद्ध कहले –
“तथागत सिखावेले कि हर युद्ध, जेकरा में एक मानुस दोसरा मानुस के बध करेला, शोचनीय ह। लेकिन तथागत ई कबो ना सिखावेले के शांति बनावल रखे के हरसंभव परयास जब बिफल हो जाओ त न्यायसंत युद्ध करे वाला के निंदा होखो। जे युद्ध के कारण पैदा करेला ऊ अवश्य दोषी होला।” (17)
” तथागत स्वार्थ के पूर्ण समर्पण करे के अवश्य सिखावेले। लेकिन तथागत गलत शक्ति के सामने कवनो चीज के समर्पण करे के शिक्षा ना देले, चाहे ऊ शक्ति मानुस हो, देवता हो भा प्राकृतिक तत्त्व होखो। संघर्ष त रही, काहे कि समूचा जीवने कवनो ना कवनो तरह के संघर्षे ह, लेकिन संघर्ष करे वाला कहीं ऊ सत्य आ सदाचार के खिलाफ त स्वार्थ के संघर्ष नइखे करत !” (18)
“हे सिंह!जे युद्ध में न्यायसंगत उद्देश्य खातिर जाता ओकरा शत्रुअन के बध करे खातिर तैयार रहे के चाहीं। काहे कि योद्धा लोगन के इहे नियति ह, आ अगर ओकर नियति ओकरा के धर लेले बा तब शिकायत करे के कवनो कारणे नइखे।” (22)
“जे न्याय अउर सदाचार के पक्ष में बाटे ऊ कबो असफल ना होला, बलुक आपन उद्यम में सफल होला आ ऊ सफलता टिकाऊ भी होला।” (28)
” हे सेनापति ! ई सब समझ के तू युद्ध करs, आपन युद्ध शूरता से लड़s, लेकिन सत्य के योद्धा बन के ! तबे तथागत तहरा के असिरवाद दीहें !” (30)
( ‘धम्मपद‘ से )
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यूक्रेन युद्ध के एक से एक दर्दनाक वीडियो आ फोटो के बमबारी हमनी सभ पर टीवी आ इंटरनेट के माध्यम से हो रहल बा। भारत के टीवी चैनल सब ‘ वॉर रूम’ खोल लेले बाड़े सन आ देखला से त बुझाता कि इहे लोग के लगे युद्ध के सब कंट्रोल बा। चिल्ला-चिल्ला के मिसाईल दगवावत बाड़े सन आ हवाई हमला त लगातार चलवावत बाड़े सन सुरुये से। रिपोर्टर सब घबड़ा -घबड़ा एतना जोर से चिचियाले सन जे जिउ धक् से हो जाला कि कहीं पुतिन बाबू उनके माथा पर बम त ना फोड़ देले !
भइल ई बा कि भारत सहित दुनिया के अधिकतर मीडिया पच्छिम माने अमेरिकी आ यूरोपियन परभाव में बा आ खाली एकतरफा ओपिनियन के परचार करs ता। रूस के विलेन बना दीहल गइल बा आ रूस के दृष्टिकोण का बा ई दियरी लेके खोजे के पड़s ता। रूस कियोर से आवत खबर बड़ी मुश्किल से मिलs ता।
एकर कारन बा कि आज इंटरनेट के जुग में इंटरनेट, गूगल, फेसबुक, ट्विटर, यू ट्यूब सबके हथियार बना के अमेरिका आ यूरोप के देस यूज करs तारे सन। बैंक सिस्टम, क्रेडिट कार्ड, रेस्टोरेंट आ खाये-पिये के आ आउरो सामान के भी अस्त्र-शस्त्र बना दीहल गइल बा। सूचना, खबर, जानकारी, समाचार सभन के हथियार बना के परजोग होता। सुपरपावर सब राउर सोच के, राउर विचार आ ओपिनियन के अपना लाभ खातिर कंट्रोल करे के चाहs तारे सन, राउर पसंद-नापसंद के, राउर अवचेतन मन के अपना फायदा खातिर ढाले में लागल बाड़े सन।
एहीसे यूक्रेन समस्या के ठीक से बूझल जरूरी बा।
रूस आ यूक्रेन दूनो में एक race ( जाति) के लोग रहेला जेकरा के स्लाव नाम से जानल जाला। स्लाव के दू गो धारा बा– पूर्वी आ पश्चिमी। रूस आ यूक्रेन के लोग पूर्वी स्लाव ह लोग। पोलैंड के विस्तुला नदी के पूरब में पूर्वी स्लाव आ पच्छिम में पश्चिमी स्लाव। विस्तुला ( उच्चारण – विश्वा) शब्द के उत्पत्ति संस्कृत के ‘अवेषन्’ से मानल जाला जेकर अर्थ ह ‘धीरे-धीरे बहत’। ऋग्वेद 10.114.1 में उदाहरण देखल जा सकेला। एह ऋचा में वैदिक देवता मातरिश्वा के भी उल्लेख बा। स्लाव लोग एक देवी के नाम ह ‘मदर स्वा’ जे मातृ स्वा अथवा मातर स्वा ही भइल। जैसे वैदिक वांग्मय में मातरिश्वा के गरुड़ जइसन पक्षी रूप में उल्लेख बा ओइसहीं स्लाव लोग भी मदर स्वा के पक्षी रूपी देवी मानेला। अंग्रेज़ी के स्वान शब्द (हंस) आ स्वीडन देश के नाम भी एकरे अभिव्यक्ति ह। स्वीडन पश्चिमी स्लाव लोग के एक देश ह।
स्लाव के लोग के पूर्वज वेनेति समुदाय से ह जे लोग विस्तुला ( विश्वा) नदी के उत्तर में रहे। वेनेति शब्द के वैनतेय (गरुड़) से संबंध के बारे में कुछो कहल सम्भव नइखे। लेकिन वेनेति शब्द के कई गो अर्थ बा जइसे प्रिय, मित्रतापूर्ण, यौन संवेग आ एकरा के वीनस ( शुक्र) ग्रह से भी जोड़ के देखल जाला जिनकर सम्बंध प्रेम आ यौन संवेग से बाटे। ‘उत्तर’ दिशा के अर्थ भी वेनेति से निकलेला आ गाथा ई बा कि पुरा काल में ई लोग उत्तर के स्कन्द क्षेत्र ( स्कैंडिनेविया) से एने काऊर आइल रहे। कुछ इहे सब कारण बा कि आर्य जाति से स्लाव जाति के घनिष्ठ संबंध देखल जाला। एह तरीका से स्लाव लोग आर्य जाति के ही एक धारा ह। वैदिक संस्कृत आ वैदिक देवी-देवता से स्लाव भाषा समूह आ स्लाव संस्कृति के आश्चर्यजनक मेल बा। रूस, यूक्रेन, स्वीडन, पोलैंड, साइबेरिया, नॉर्वे आ स्लाव के सब उप-धारा सभन में ई बहुते स्पष्ट बा। रूस के प्रसिद्ध वोदका संस्कृत के ‘उदक’ ह जेकर माने होला पानी/ द्रव्य। रूस के वल्गा नदी प्रसिद्ध ह त अथर्ववेद में वल्गा-स्तोत्र बा। वल्गा देवी बगलामुखी के नाम से मशहूर बाड़ी। दुनिया के सबसे पुरान ‘स्वस्तिक’ चिन्ह यूक्रेन में ही मिलल बा। स्लाव में भगवान के ‘भग’ शब्द ‘बग’ बन जाला। दूनो जगह अर्थ एके ह- ऐश्वर्य।
ई सब बातन के चर्चा एहसे जरूरी बा काहे कि बिना मूल में गइले ओकर विस्तार आ बाद के रूपांतरण समझ ना आवे।
ई सब जानकारी से ई पता चलs ता कि रूस, यूक्रेन आदि स्लाव समुदाय आ हमनी के आर्य पूर्वज लोग एक्के रहे। कालांतर में अलग-अलग दिशा में बँटत गइल लोग आ भिन्न रक्त के संपर्क में आवत एके संस्कृति के कई-कई गो रूप होत चल गइल।
आज के यूक्रेन के कीव रूस क्षेत्र से ही ‘रूस’ नाम धराइल काहे कि कीव रूस ही पूर्वी स्लाव लोगन के पहिलका राज्य बनल रहे। ई बात बहुत माने राखs ता कि जवन कीव शहर खातिर आज पूर्वी स्लाव के दू वर्ग में घमासान मचल बा उहे रूसी सांस्कृतिक राष्ट्र के हिरदय ह।
दसवीं से बारहवीं शताब्दी के समय कीव रूस एक बहुते शक्तिशाली देश रहल। सन् 980 से 1015 के कालखण्ड के कीव रूस के स्वर्ण युग कहल जाला जब व्लादिमीर महान् के शासन रहल। लेकिन तेरहवीं सदी में भयंकर मंगोल आक्रमण कीव रूस के तहस-नहस कर देलस।
फेर हेन्ने-होन्ने से संपर्क होत रूस के तीन उप-क्षेत्र भइल– पूरब में मस्कोवा नदी क्षेत्र में मस्कोवा रूस, कीव रूस आ बेलाउ रूस (बेलारुस)। मस्कोवा रूस के प्रभुत्व बढ़ल त मस्कोवा के महत्व बढ़ल आ कीव शहर के घटत चल गइल। मस्कोवा माने मॉस्को राजधानी बनल आ रूस एक विशाल देश के रूप में विकसित भइल। यूक्रेन शब्द के माने ह — ‘सिवान पर’ माने सीमा पर। ई क्षेत्र रूस के एगो सीमांत प्रदेश ह।
रूसी सम्राट ज़ार निकोलस द्वितीय के 1917 के खूनी रूसी क्रांति में तख्तापलट आ हत्या कर के वामपंथी लेनिन सोवियत संघ नाम से वामपंथी देश के गठन कइले।
एगो रोचक तथ्य ई बा कि पहिलका विश्व युद्ध में रूस के सम्राट ज़ार निकोलस द्वितीय, इंग्लैंड के सम्राट जॉर्ज पंचम आ जर्मनी के चांसलर कैज़र विल्हेम द्वितीय ई तीनो लोग आपस में भाई रहे लोग ! विल्हेम जॉर्ज के फुफेरा भाई रहले आ निकोलस आ जॉर्ज मौसेरा भाई रहे लोग ! यूरोप के शाही रजवाड़ा में आपस में शादी-बिआह होखला से अइसन भइल रहे। तीनो जन लइकाई में संगे खेललो रहे लोग। बाकी जब दुस्मनी ठनल त विश्व युद्ध करा दीहल लोग। जॉर्ज आ निकोलस एके पच्छ से लड़ल लोग बाकी जब रूसी क्रांति में निकोलस जान बचावे खातिर जॉर्ज से शरण मंगले त जॉर्ज नकार देहले आ निकोलस के सपरिवार जघन्य हत्या हो गइल।
गाँव-जवार में पटीदार लोग दू धूर खातिर जइसे लठ्ठम-लाठी से लेके खून-खराबा ले कर देला ठीक ओइसहीं मारापीटी विश्व-स्तर पर भी होला। खाली अस्त्र-शस्त्र के लेभेल ऊँच हो जाला। पर असली लड़ाई उहे स्वार्थ के संघर्ष भा न्याय-अन्याय के संघर्ष रहेला। मानुस जबले रही तबले संघर्ष रही। मानुस के भीतरी जगत में भी आ बाहर एक-दोसरा से भी। इहे बात के भगवान् बुद्ध उल्लेख कर के कहले कि संघर्ष त हमेशा रहबे करी, बेकति के देखे के ई बा कि उ सत्य आ न्याय के पच्छ में बा कि विरोध में ! युद्ध के सुरु करs ता एकरा से गलत-सही ना तय होला। तय एकरा से होई कि न्याय आ सत्य में बाधा के डलले बा ? युद्ध के दोषी उहे मानल जाई। युद्ध में भइल समस्त नरसंहार आ बर्बादी के दोष ओकरे माथे जाई। एही कारन भगवान् बुद्ध न्याय आ सत्य के स्थापना खातिर युद्ध से पीछे हटे के मना करत बाड़न। उहॉं के कह तानी कि देवते लोग काहे ना होखो, भा क़ुदरते होखो भा मानुस, केहू अगर अन्याय चाहे असत्य करत बा त ओकरा सामने तनिको समझौता नइखे करे के।
ब्लादिमीर जेलेन्सकी आ ब्लादिमीर पुतिन आमने-सामने बा लोग। ब्लादि माने होला विश्व, आ मीर माने शासक। काहे कि अब यूक्रेन अलग देश बा आ रूस अलग। वामपंथ के दुर्भोग भोगला पर रूस के बड़ी हानि भइल। भीतरे-भीतर हालत खस्ता होत चलत गइल। आ बाहिर से अमेरिका से शीत युद्ध चलते रहे। रूस के ख़िलाक अमेरिका नाटो नाम से युद्धक संघ बनवले रहे। अमेरिका आ नाटो हर समय इहे फिराक में रहत रहे कि कइसे रूस के टुकड़ा-टुकड़ा क के बर्बाद कर दिहल जाव। अंदर-बाहर दूनो ओरिया से पड़त मार के आगा सोवियत संघ ना ठठ पावल आ बिखर गइल। 1992 में यूक्रेन, जॉर्जिया जइसन कई गो अलग देश के रूप ले लेलस। सोवियत संघ टुकड़ा-टुकड़ा हो गइल।
सोवियत संघ नाटो के ख़िलाफ़ कुछ देशन के संगे मिल के जौन वार्सा-सन्धि कइले रहे ओकर अस्तित्व ही खत्म हो गइल। लेकिन अमेरिका आ इंग्लैंड लोग नाटो के खत्म ना कइल जौन खाली रूस के मुकाबला करे ख़ातिर बनल रहे ! एकर कारन तलासे जाएब सन त नज़र आई कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सगरी दुनिया के तीन गो माफिया मिल के चलावत बाड़े सन — हथियार माफिया, तेल माफिया आ दवाई माने फार्मास्युटिकल माफिया। अब हथियार माफिया के कमाई आ लूट हथियार बेच के होला आ कवनो देश ज़ादे से जादे हथियार तबे कीनी जब ओकरा कवनो देश से डर होई, आ एकरा खातिर दुनिया में कवनो विलेन होखे के चाहीं। से अमेरिकी आ पश्चिमी माफिया खातिर जरूरी रहे कि रूस विलेन बनल रहो। बड़का विलेन बने खातिर भी कैनो सुपरपावर चाही। सद्दाम हुसैन आ गद्दाफ़ी, ईरान, सर्बिया, कोसोवो जइसन छोट-मोट विलेन ढेर दिन ना चल पावे।
1991 में यूक्रेन के अलग देश के रूप में मान्यता मिलल। सोवियत संघ इतिहास हो गइल। करीब-करीब ओइसहीं जइसन 1947 में भारत के टुकड़ा-टुकड़ा हो गइल रहे।
अलग भइला पर भी यूक्रेन तटस्थ रहल आ रूस से करीबी संबंध बनवले रहल। बाकी ओकर नीति रहे कि सबसे दोस्ती कर के चले के बा। एही चलते यूक्रेन 1996 से 2001 तक ले आपन सब न्यूक्लियर हथियार भी रूस के लौटा दिहलस जवन विभाजन के समय ओकरा खाता में आइल रहे। एकरा खातिर अमेरिका, इंग्लैंड, रूस आ यूक्रेन में एगो अंतर्राष्ट्रीय समझौता भइल आ यूक्रेन के सभ केहू मिल के सुरक्षा के गारण्टी दीहल। यूरोपियन यूनियन से भी यूक्रेन के बढ़िया सम्बन्ध बनल।
लेकिन अमेरिका आ नाटो ई चक्कर में रहल कि कइसे कर के रूस से अलग भइल छोट-छोट देशन के अपना पाले क लिहल जाव ताकि रूस फेर से पहिले जइसन एकीकृत आ शक्तिशाली ना होखे पावे।
अगर पिछला सदी से देखल जाव त नज़र आई कि दुनिया के दर्जनों देश में अमेरिका आ इंग्लैंड नाटो के संगे ले के कवनो ना कवनो बहाना से सैन्य कारवाई कइले बा। 1945 में अमेरिका हिरोशिमा आ नागासाकी पर एटम बम गिरा के अइसन नेस्तनाबूद कइलस जे आपन परभाव-क्षेत्र में कई पीढ़ीयन ले अपंग आ विकृत मानुस पैदा करत जात बा। फेर क्यूबा, ग्वाटेमाला, ईराक, निकारागुआ, ईरान, लीबिया, सीरिया पर हमला, यूगोस्लाविया के दू टुकड़ा कोसोवो आ सर्बिया आ फेर विध्वंसक शस्त्र जमा करे के झुठ्ठा बहाना बना के ईराक के तहस-नहस कर देलस। दोसर इयोर अगर रूस के इतिहास पर नज़र डालल जाव त आपन बृहद रूस क्षेत्र के एकीकृत करे के अलावे रूस कवनो दोसरा देस पर बहुते कम हमला कइले बा। अफ़ग़ानिस्तान में हस्तक्षेप रूस के बहुत भारी पड़ल रहे। लेकिन तुलना कइला से रूस आ अमेरिका-गुट के सोभाव में मौलिक अंतर नजर आई। ई अंतर एकरा में बा कि दोसरा के नष्ट कर के आपन कल्याण होई ई नीति रूस के नइखे रहल। ई त अमेरिका के नीति ह। ना जाने का बात रहेला कि अमेरिका आपन सुरक्षा के ले के हमेशा घबराइले रहेला। एगो सुपरपावर से केहू अइसन बेवहार के आसा ना करे।
अब नाटो रूस काऊर गोड़ पसारे के चक्कर में यूक्रेन पर डोरा डाले लागल। एन्ने यूक्रेन में 2010 में यानुकोविच राष्ट्रपति के पद संभलले। इनकर नीति भइल कि आपन मूल देस रूस से घनिष्ठता बना के रहे के काहे कि बृहद रूस के टुकड़न सब एके संयुक्त परिवार के हिस्सा ह से सब मिलजुल के शांति से रहे। इहे बात अमेरिका के अखर गइल। अमेरिका आपन खेला अउर तेज क दिहलस।
होने काऊर स्थिति ई भइल कि भले बाप-दादा पूर्वज लोग एक्के रहे पर ई बात के त हजारन साल गुजर गइल बाटे। जब एक्के परिवार में लठ्ठ चल जाता त पूर्वज के के पूछे जाई !! अपना-अपना के भिन्न डिक्लेयर क के लाठी तना गइल। युक्रेनियन लोग अपना के रूसी लोग से अलग राष्ट्र कहे लागल। अब यूक्रेन में बहुतायत यूक्रेनियन के बा जेकरा में तुर्क, मंगोल आदि के रक्त मिश्रण भइल बा, आ रूसी भासा के लोग पूर्वी यूक्रेन के दोनेत्स्क आ लुहांस्क क्षेत्र में बहुसंख्यक बा। ई दूनो समुदाय में भिड़न्त हो गइल।
2014 में दोनेत्स्क आ लुहांस्क के रूसी भाषी आ यूक्रेनियन समुदाय में जबरदस्त लड़ाई सुरु भइल आ बहुत लोग मरे लागल। एक इयोर से अमेरिका के खेला आ दोसर इयोर से राष्ट्रपति पुतिन रूसी भाषी के समर्थन में। वर्चस्व के लड़ाई जमीन पर उतर आइल।
पुतिन के सोझा कहल रहल कि यूक्रेन के नाटो के मेम्बर ना बने के होई आ तटस्थ देश के रूप में बनल रहे के होई। काहे कि अगर नाटो आपन लाव-लश्कर आ न्यूक्लियर हथियार लेके यूक्रेन में आ जाई त ई रूस के अस्तित्व पर बहुत बड़ा खतरा हो जाई, आ रूस एकरा के कवनो कीमत पर ना होखे दी। एकरा के लेके रूस, अमेरिका, इंग्लैंड, नाटो, यूक्रेन में कई बेर बातचीत भइल पर ढाक के उहे तीन पात ! यूक्रेन के तटस्थता के गारण्टी पुतिन लिखित मंगले कि हमरा के बस ई लिख के दे द लोनी कि यूक्रेन नाटो में शामिल ना होई। पर यूक्रेन आ अमेरिका दूनो एकरा से कन्नी काटत चल गइल।
पुतिन जब देखले कि अमेरिका आ यूक्रेन उनकर बात के महटियावे में लागल बा त दोनेत्स्क आ लुहांस्क के रूसी लोगन के लड़ाई में सहयोग देबे लगले। यूक्रेन के दक्षिण भाग में क्रीमिया प्रायद्वीप आ सेवस्तोपोल नगर क्षेत्र में भी रूसी लोग बहुसंख्यक बा। उ लोग के पोटिया के पुतिन जी 18 मार्च 2014 के गते से क्रीमिया आ सेवस्तोपोल के रूस में मिला लेहले। अमेरिका आ यूरोप में बड़ी चिचियाहट मचल लेकिन पुतिन उ लोग के बात एक कान से सुनके दोसरा कान से निकाल देले।
होने जब राष्ट्रपति यानुकोविच रूस का इयोर झुके के संकेत करे लगले त यूक्रेनियन समुदाय उनका पर खिसिया गइल आ जबरदस्त फेर बदल में मई 2014 में पेट्रो पोरोशेन्को राष्ट्रपति बनले।
पोरोशेन्को मेहनत करे लगले कि सब विवाद हल कइल जाव, दोनेत्स्क आ लुहांस्क के विद्रोह शांत होखो आ रूस से सम्बंध के भी सुधारल जाव। लेकिन उनकर झुकाव स्पष्ट रूप से यूरोपियन यूनियन में मिल के नाटो के मेम्बर बने के रहे।
एही सब के बीच 2019 के चुनाव में पोरोशेन्को के हार हो गइल जेलेन्सकी से। जेलेन्सकी एगो कॉमेडियन रहले आ एगो टीवी सीरियल में राष्ट्रपति के भूमिका खूब बढ़िया निभवले रहले। जनता में बड़ा लोकप्रियता मिलल त चुनाव जीत के राष्ट्रपति हो गइले। एकरे के कहल जाला भाग के खेल !जेलेन्सकी यहूदी हउएँ। शायद उनका के पश्चिमी शक्ति सब गुप्त रूप से सपोर्ट कइल चुनाव में।
जेलेन्सकी के नाटो के मेम्बर बने के बड़ी जोर के बोखार चढ़ल रहे। होने पुतिन लगातार बोलत जास कि यूक्रेन ई गलती कबो मत करे आ तटस्थ रहे। आपन बात के असर ना होत देख के पुतिन रूसी सेना के यूक्रेन सीमा काऊर बढ़ावे लगले। ई बात से दुनिया में हल्ला मचे लागल।
दोनेत्स्क आ लुहांस्क के नेता लोग अपना-अपना राज्य के स्वतंत्र देश घोषित कर दीहल आ रूस के लिखित चिठ्ठी भेजल कि यूक्रेन के सेना ओजा बहुते अत्याचार करत जात बा से सेना भेज के मदद चाहीं। पुतिन उ दूनो के स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दे देहले आ 22 फरवरी 2022 के विशेष सैन्य हस्तक्षेप के रूप में आपन फौज के पहिले दोनेत्स्क आ लुहांस्क में आ बाद में बेलारुस काऊर से यूक्रेन में ढुका देहले।
पुतिन कहले कि यूक्रेन पर उ कवनो आक्रमण नइखन करत। उनकर उद्देश्य खाली दोनेत्स्क आ लुहांस्क के यूक्रेन के अत्याचार से बचावे के, यूक्रेन सेना के शस्त्रहीन करे के आ यूक्रेन से नाटो में शामिल ना होखे के लिखित गारण्टी लेबे के बा। एकरे खातिर उ संयुक्त राष्ट्र संघ के आर्टिकल 51 के हवाला देत कहले कि आर्टिकल 51 के तहत कवनो देश उनका से सैन्य सहायता माँगs ता त विशेष सैन्य हस्तक्षेप करे के उनकर अधिकार बा।
अमेरिका इहे आर्टिकल 51 के दर्जनों बार दुरुपयोग कर के दुनिया भर में हस्तक्षेप करत रहल बा बाकि एह बेर उहे फँस गइल बा एकरा में।
अब कुल मिला के देखल जाव त असली युद्ध होत बाटे नाटो आ रूस के बीच में। मूलतः अमेरिका आ रूस के बीच में। इंग्लैंड के भूमिका अमेरिका के खलासी के बाटे। बाइडेन के त उमर हो गइल बा त उनकर बोलियो कँपकँपात निकलेला, बाकी बोरिस जॉनसन आपन केस में बिना ककही कइले खूब गरजेले। जर्मनी के तनिको मन ना रहल ह रूस से भिड़े में पर बात उठ गइल बा नाटो के सम्मिलात के। फ़्रांस के भी मोटा-मोटी इहे हालात बा।
(यशेन्द्र प्रसाद: अन्वेषक आ लेखक, फिल्मकार आ भू।पू। लेक्चरर (भूगोल))