केहू के असरा मत करिह, बस करिह अपना बल के

May 6, 2022
आवरण कथा
0

संजय कुमार पांडेय सिद्धांत 

केहू के असरा मत करिह, बस करिह अपना बल के। कोई भी देश के प्रमुख के ई पहिला जिम्मेदारी बा कि आपन देश के जनता के रक्षा के ध्यान रखीं आ कोई भी दूसरा देश के साथे कभी भी अपना स्वार्थ में या अपना आन में भा दोसरा के बहकवला में युद्ध करे में जोश मत दिखाईं। कुछ अइसने भूल से गुज़र रहल बा यूक्रेन, जेकर अंदाजा ओकरा कभी भी ना रहे। अपना लोग से लड़े के आ दोसरा लोग से सहयोग मांगे के भूल कर रहल बा यूक्रेन।

यूक्रेन-रूस के मनमुटाव सन 2013 से प्रारंभ होके उहे गलती के दुबारे घटवला के कारण आज महायुद्ध जइसन तबाही के मंज़र देखे के मिल रहल बा। एगो कहावत बा भोजपुरी में कि आपन हित-अनहित जानवरो बुझेला, काहे कि उ हर तरफ असुरक्षा के भाव से गुजरेला। अभी मामला सरिया के अझुराइल बा। एह युद्ध के परिणाम रूस के पक्ष में होई, ई निश्चित बा, काहे कि यूक्रेन के लड़कपन के जब ले मुंहतोड़ जवाब ना दियाई, तब ले रूस के शक्ति के लोहा ना त अमेरिका मानी, ना ही नाटो।

थोड़ा सा पीछे देखल जाव त बात और स्पष्ट  हो जाई। देखल जाव त रूस-यूक्रेन के बीच तनाव सन 2013 में तब शुरू भइल, जब यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर  यानुकोविच के कीव में विरोध शुरू भइल। इनका रूस के समर्थन मिलत रहे, जबकि उहां के प्रदर्शनकारी के ब्रिटेन के साथ मिलत रहे। अइसन स्थिति में फरवरी 2014 में यूक्रेन के राष्ट्रपति यानुवोकोविच के देश छोड़े के पड़ल और उनका रूस में जाके शरण लेवे के पड़ल। ओही समय रूस दक्षिणी यूक्रेन क्रीमिया पर कब्जा  कइलख। एतने से बात खत्म ना भइल, रूस यूक्रेन के अलगाववादी लोग के खुला समर्थन देवे लागल। तबे से यूक्रेन सेना और अलगाववादी के बीच जंग होखे लागल। आज भी पूर्वी यूक्रेन के कई इलाका में रूस समर्थित अलगाववादी के कब्जा बा। एही सब के कारण डोनेटस्क और लुहानस्क के रूस अलग देश के रूप में मान्यता दे देले बा। आज एही से पुतिन सैन्य एक्शन के आर्डर दे तारन।

इहाँ एक बात अच्छा से समझे के होई कि यूक्रेन जब से अइसन रणनीति बनइलख कि नाटो से दोस्ती करके अमेरिका के शरण में रहके अलगाववादी लोग से निपटल जाव, तब से एह युद्ध के शुरुआत हो गइल। रूस  एकर भरपूर विरोध कइलख काहे कि रूस ना चाहत रहे कि यूक्रेन नाटो से मिले। काहे कि अइसन भइला पर रूस चारों ओर से घिर जाइत। आगे चलके नाटो देश के कुल जना मिलके रूस पर मिसाइल तानी त रूस  खातिर ई बहुत बड़ा चुनौती हो जाई।

रूस नइखे चाहत कि नाटो आपन विस्तार करे, एही से रूस यूक्रेन और पश्चिमी देश पर दबाव बनावता। अइसन बदतर स्थिति में  रूस के ना चाहते  हुए भी अमेरिका और दोसर देश के पाबंदी के नजरअंदाज करत युद्ध शुरू के पड़ल। आज 25 दिन भइला पर भी युद्ध थमे के जगह और बढ़ल जाता, भारत आज भी एकरा के बातचीत से सुलझावे के सलाह देता। युद्ध कवनो भी समस्या के हल  नइखे, बल्कि विनाश के दोसर नाम ह। जनहित के बारे में सोचके समय रहते राष्ट्र प्रमुख लोग के सही निर्णय लिहल ही बुद्धिमानी होई। जय भारत जय अमन।

Hey, like this? Why not share it with a buddy?

Related Posts

Leave a Comment

Laest News

@2022 – All Right Reserved. Designed and Developed by Bhojpuri Junction