अखिलेश्वर मिश्र
युद्ध कवनों भी स्थिति में समस्या के समाधान ना ह। युद्ध समस्या बढावेला। ई विश्व के कई तरह से प्रभावित करेला। कवनों भी देश के अपना सुरक्षा के चिंता होला आ रहे के भी चाहीं। एकरा वास्ते उ साम-दाम-दण्ड-भेद के भरपूर इस्तेमाल करे के चाहेला। हर देश अच्छा आ मनोनुकूल पड़ोसी चाहेला। भारत भी अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के गठन के समय खासे चिंतित रहे आ बा।
रूस अपना सुरक्षा के ले चिंतित बा। यूक्रेन के नाटो में शामिल होखे के इच्छा रूस के हित में नइखे, रूस ये बात के भलीभांति समझ रहल बा। रूस के लाख समझवला के बाद भी यूक्रेन अमेरिका आ यूरोपीय दबाव में आके नाटो के सदस्य बने वास्ते आतुर बा। आ इहे ये युद्व के कारण भी बा। हालांकि यूक्रेन अब एकरा पर संदेह व्यक्त कर रहल बा।
ई युद्ध यूक्रेन के हित में नइखे। ई स्पष्ट बा कि यूक्रेन रूस के सामरिक शक्ति के आगे बौना बा।
अभी तक ये युद्व में जानमाल के काफी नुकसान पहुँचल बा। रिहायशी इलाका में बमबारी आ मिसाइल हमला आम लोग के जनजीवन के तहस नहस कर रहल बा। बहुत अधिक संख्या में यूक्रेन के सैन्य ठिकाना, सरकारी इमारत तबाह हो रहल बा। दोसरा तरफ दूनू देश एक दूसरा के क्षति पहुँचावे के दावा भी कर रहल बा। एतना त तय बा कि यूक्रेन में तबाही के आलम बा।
ये युद्ध में अमेरिका के भी बहुत बड़ा कूटनीतिक चाल बा। उ यूक्रेन के बहाने रूस के कमजोर करे के चाह रहल बा। उ रूस के तानाशाह बता रहल बा।
रूस नइखे चाहत कि ओकर पड़ोसी अमेरिका आ यूरोपीय संघ के कठपुतली बन के रहे। उ एकरा के अपना सुरक्षा के प्रतिकूल देख रहल बा। अमेरिका आ यूरोपीय देश के उकसवला पर यूक्रेन रूस से लोहा लेवे खातिर तैयार बा। आ रूस कवनों भी कीमत पर युद्ध समाप्त करे के पक्ष में नइखे, जब तक यूक्रेन रूस के अनुरूप आपन विचार नइखे बदलत।
भारत हमेशा के तरह युद्ध के पक्ष में नइखे। भारतीय प्रधानमंत्री रूस आ यूक्रेन दूनू देश के राष्ट्रपति से वार्ता के द्वारा अपना कूटनीतिक भूमिका के प्रदर्शन कर रहल बाड़े।
भारत यूक्रेन में फँसल भारतीय नागरिक आ विद्यार्थी सबके सफल देश वापसी के लेके खासे चिंतित रहल बा। आ एकरा खातिर हर संभव प्रयास भी कइले बा। ऑपरेशन गङ्गा के माध्यम से करीब बाइस हजार से अधिक लोग के सुरक्षित वापसी साधारण काम नइखे भइल। उहाँ शिक्षा ग्रहण कर रहल छात्र सबके सुरक्षित निकालल बड़हन चुनौती रहल ह आ सरकार के प्रयास अभी भी जारी बा। ‘सूमी’ से घमासान युद्ध के स्थिति में भी करीब सात सौ विद्यार्थिन के सुरक्षित निकालल बहुत बड़ सफलता मानल जाई।
भारत आपन चार केंद्रीय मंत्री के यूक्रेन के पड़ोसी देशन में भेज के ये काम के सफलता पूर्वक निर्वहन कइले बा। प्रधानमंत्री के ई प्रयास प्रशंसा योग्य बा।
इतिहास गवाह बा कि यूक्रेन भारत के कभी भी हितैषी नइखे रहल। चाहे कश्मीर के मामला होखे, चाहे परमाणु परीक्षण के बात होखे आ चाहे संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के स्थायी सदस्यता के समय रहल होखे। वर्तमान में भी यूक्रेन से लौटल छात्र सबके आपबीती से यूक्रेन के अधिकारी, नागरिक आ पुलिस के नकारात्मक रवैया स्पष्ट झलक रहल बा। फिर भी भारत उक्रेन से कवनों तरह के दुर्भावना नइखे प्रदर्शित करत।
ई युद्व हमनीं भारतीय खातिर भी बड़हन चुनौती बा। एमे कवनों दू राय नइखे कि रूस भारत के पुरान मित्र ह आ भारत के सामरिक समृद्धि में लगभग सत्तर प्रतिशत रूस के भागीदारी बा। दोसरा तरफ अमेरिका के साथ भी भारत के व्यापारिक संबंध जुड़ल बा। ये स्थिति में भारत फूँक-फूँक के कदम बढ़ा रहल बा।
युद्ध के जवन स्थिति बा, नइखे लागत कि ई तत्काल समाप्त होई। अमेरिका आ यूरोपीय देश चाहे जेतना भी प्रतिबंध रूस पर लगाले, रूस के नइखे झुका सकत, ई पुतिन के रुख से साफ झलक रहल बा। पुतिन के अभी तक रूसी जनता के भी भरपूर समर्थन मिल रहल बा। अमेरिका आ यूरोपीय देश रूसी जनमानस के भड़कावे के भी भरपूर प्रयास कर रहल बा। यूरोपीय मीडिया रूस के जमीनी हालात के अपना ढंग से बता रहल बा जवना के रूस अपना खिलाफ अमेरिका आ यूरोपीय देश के दुष्प्रचार बता रहल बा।
जइसे जइसे समय बीत रहल बा विश्व के चिन्ता भी बढ़ल जाता। अमेरिका अपना वर्चस्व खातिर यूक्रेन के इस्तेमाल कर रहल बा, ई बात यूक्रेन के भी समझे के परी। यूक्रेन के एगो पड़ोसी राष्ट्र के रूप में रूस से अच्छा संबंध राखल जरूरी बा। अगर यूक्रेन ना सम्हलल, त यूक्रेन के भविष्य भारी खतरा में पर जाई आ यूक्रेन में तख्ता पलट होई, रूसी प्रभाव वाली सरकार स्थापित हो जाई आ यूक्रेन रूसी दबदबा में आ जाई, अइसन दिखाई पड़ रहल बा। मगर विश्व के मिजाज ये युद्व के लेके कब कवना रूप में रही आ कब करवट बदली कहल मुश्किल बा
अगर युद्ध नइखे रुकत त ई भारी विध्वंस के संकेत बा। अभी युद्ध के असर साफ दिखाई देता। कच्चा तेल के दाम में लगातार वृद्धि से निकट भविष्य में महंगाई बढ़ल तय बा। एसे भारत के ये युद्व के लेके चिंता स्वाभाविक बा। हालांकि रूस पर अमेरिका के प्रतिबंध के कारण रूस के तेल निर्यात पर बहुत असर परल बा। अब रूस में कच्चा तेल के कीमत में गिरावट आइल बा। अब रूस भारत के कच्चा तेल सस्ता दर पर देवे के पहल कइले बा। अब भारत के आपन वैश्विक बाजार नीति के आधार पर निर्णय लेवे के बा, जवना के इंतजार बा। एतना त तय बा कि अगर युद्व अभी ना थमल त यूरोपीय देशन के व्यवहार देख के लाग रहल बा कि एकर वैश्विक दुष्परिणाम अधिकाधिक देशन के आपसी संबंध बहुत अधिक प्रभावित करी।
रूस आपन सैन्य कारवाई रोके के तनिक भी पक्ष में दिखाई नइखे देत। अभी हालहीं में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के निर्णय कि रूस आपन सैन्य कारवाई बंद करो, निरर्थक साबित हो रहल बा। रूस ये निर्णय के बावजूद सैन्य कार्रवाई जारी रखले बा।
एने दूनू देशन के बीच कई दौर के बातचीत भी बिना कवनों सार्थक परिणाम के समाप्त हो चुकल बा। बातचीत अभी भी जारी बा आ एकर समाधान भी बातचीत के द्वारा हीं संभव बा। यूक्रेन के भी अपना हित के ध्यान में रख के, आपन अड़ियल रवैया छोड़ के, रूस के साथ समझौता के सार्थक पहल करे के चाहीं।