खफा अरब, काहे भारत खातिर खास बा आसियान

सुनीं सभे

आर.के.सिन्हा

चालू साल 2022 के ‘भारत-आसियान मैत्री वर्ष’ के रूप में मनावल जा रहल बा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत के ‘एक्ट ईस्ट नीति’ अउर व्यापक हिंद-प्रशांत विजन के वास्ते भारत के विजन में आसियान के केंद्रीय भूमिका के रेखांकित करत रहल बाड़ें। राजधानी में बिगत दिनन में आसियान देशन के विदेश मंत्री लोग के भारत मेजबानी कइलस। एमे भारत-आसियान देशन के आपसी संबंध पर चर्चा भइल। महत्वपूर्ण इहो बा कि ई सम्मेलन तब भइल जब दुनिया के कई इस्लामिक देश नुपुर शर्मा के हजरत मोहम्मद पर कइल गइल ओछी टिप्पणी पर आपन विरोध जतवलस। एमे इंडोनेशिया अउर मलेशिया भी बा। ई सब आसियान के सदस्य रहला के साथ-साथ इस्लामिक देश भी बा।

भारत-आसियान के बुद्ध धर्म भी जोड़ेला। अगर बात म्यांमार के कइल जाय त भारत आ म्यांमार के बीच 1600 किलोमीटर से ज्यादा लंबा साझा जमीनी अउर समुद्री सीमा बा। दूनू के बीच मित्रता के जड़ धार्मिक आ सांस्कृतिक परम्परा में निहित बा आ दूनू साझा बौद्ध बिरासत हमनीं के ओतने ही घनिष्ठ रूप से बन्हले बा जेतना पुरान हमनीं के ऐतिहासिक अतीत बा।

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राजधानी के दिल लुटियन दिल्ली के तुगलक क्रिसेंट में बनल सुंदर भारत-आसियान मैत्री पार्क गवाही बा कि भारत आसियान देशन से अपना संबंध के खास अहमियत देला। एकर उदघाटन तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सन 2018 में कइले रहली। राजधानी में बिगत दिनन में आसियान देशन के विदेश मंत्री लोग के भारत मेजबानी कइलस। एमे भारत-आसियान देशन के आपसी संबंध पर चर्चा भइल। महत्वपूर्ण इहो बा कि ई सम्मेलन तब भइल जब दुनिया के कई इस्लामिक देश नुपुर शर्मा के हजरत मोहम्मद पर कइल गइल ओछी टिप्पणी पर आपन विरोध जतवले रहे। एमे इंडोनेशिया आ मलेशिया भी बा। ई देश आसियान के सदस्य भइला के साथ-साथ इस्लामिक देश भी ह।

आगे बढ़े से पहिले बता दीं कि आसियान दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रन के संगठन ह। एकर मकसद बा आपस में आर्थिक विकास अउर समृद्धि के बढ़ावा देहल। एकर सदस्य देश ह- ब्रुनेई, बर्मा (म्यांमार), कंबोडिया, तिमोर-लेस्ते, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड अउर वियतनाम।

चालू साल 2022 के ‘भारत-आसियान मैत्री वर्ष’ के रूप में मनावल जा रहल बा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत के ‘एक्ट ईस्ट नीति’ अउर व्यापक हिंद-प्रशांत विजन खातिर भारत के विजन में आसियान के केंद्रीय भूमिका के रेखांकित करत रहल बाड़ें।

कोविड-19 के असर जब अपना चरम पर रहे तब भारत म्यांमार खातिर आसियान के मानवीय पहल के वास्ते दू लाख अमेरिकी डॉलर आ आसियान के कोविड-19 रिस्पांस फंड खातिर दस लाख अमेरिकी डॉलर मूल्य के चिकित्सा सामग्री के योगदान देले रहे। एकरा चलते आसियान भारत के प्रति कृतज्ञता के भाव रखे ला। भारत आ आसियान के बीच व्यापक अउर बहुआयामी संबंध बा आ आगामी भारत-आसियान सम्मेलन में उच्चतम स्तर पर भारत-आसियान सामरिक साझेदारी के भविष्य के नया दिशा देवे के अवसर प्रदान करी।

भारत-आसियान साझेदारी भले ही कवनों बहुत पुरान ना होखे, लेकिन दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ भारत के रिश्ता दू सहस्राब्दियों से भी अधिक पुरान बा। शांति अउर मित्रता, धर्म आ संस्कृति, कला आ वाणिज्य, भाषा अउर साहित्य के क्षेत्र में अत्यंत प्रगाढ़ हो चुकल ई चिरस्थायी रिश्ता अब भारत आ दक्षिण-पूर्व एशिया के शानदार विविधता के हर पहलू में मौजूद बा।

भारत 1991 के बाद व्यापक बदलाव के साथे दुनिया खातिर आपन दरवाजा खोल देले रहे। तब ही से भारत के विदेश नीति में आसियान बेहद खास हो गइल। भारत के आसियान के लेके ‘लुक ईस्ट’ नीति आ ‘एक्ट ईस्ट’ नीति ऊंच कारोबारी छलांग लगावे में अत्यंत मददगार साबित होत रहल बा।

आसियान अउर भारत अब रणनीतिक साझेदार बन गइल बा। आसियान के प्रत्येक सदस्यी देश के साथ भारत के राजनयिक, आर्थिक अउर सुरक्षा साझेदारी बढ़ रहल बा। भारत आ आसियान अपना समुद्रन के सुरक्षित आ निरापद रखे खातिर मिलके काम करेला। भारत-आसियान व्यापार अउर निवेश प्रवाह बढ़त जा रहल बा। आसियान भारत के चउथा सबसे बड़ व्यापार भागीदार ह आ भारत आसियान के सातवां सबसे बड़ व्यापार भागीदार ह। भारत द्वारा विदेश में कइल जाये वाला निवेश के 20 प्रतिशत से भी अधिक हिस्सा आसियान के ही खाता में जाला। सिंगापुर के अगुवाई में आसियान भारत के प्रमुख निवेश स्रोत बा। ये क्षेत्र में भारत द्वारा कइल गइल मुक्त व्यापार समझौता अपना तरह के सबसे पुरान समझौता ह आ कवनों भी अन्य क्षेत्र के तुलना में सबसे महत्वाकांक्षी बा।

ईहे ना, एकरा परिणामस्वरूप दक्षिण-पूर्व एशिया में पर्यटन के सबसे तेजी से बढ़त स्रोतन में अब भारत भी शामिल हो गइल बा। इस क्षेत्र में रहे वाला 60 लाख से भी अधिक प्रवासी भारतीय, जे विविधता में निहित आ गतिशीलता से ओत-प्रोत बा, हमरा लोगन के बीच आपसी मानवीय जुड़ाव बढ़ावे के दृष्टि से अद्भुत बा।

भारत-आसियान के बुद्ध धर्म भी जोड़े ला। अगर बात म्यांमार के करीं त भारत आ म्यांमार के बीच 1600 किलोमीटर से ज्यादा लंबा साझा जमीनी अउर समुद्री सीमा बा। दूनू के बीच मित्रता के जड़ धार्मिक आ सांस्कृतिक परम्परा में निहित बा आ दूनू के साझा बौद्ध बिरासत हमनीं के ओतने ही घनिष्ठ रूप से बन्हले बा जेतना पुराना हमार ऐतिहासिक अतीत बा। गांधीजी कई बार म्यांमार के दौरा कइलन। बालगंगाधर तिलक के त कई साल खातिर रंगून  भेज के देश निकाला दे दिहल गइल रहे। भारत के आजादी खातिर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आह्वान म्यांमार में बहुत से लोग के उद्वेलित कर देले रहे।

एही बीच, आसियान में मलेशिया भारत के तीसरा सबसे बड़ व्यापारिक साझेदार के रूप में उभर के सामने आइल बा आ भारत में निवेश करे वाला आसियान देश में से महत्वपूर्ण निवेशक बा। हिंद महासागर में केवल 90 समुद्री मील के दूरी पर स्थित भारत अउर इंडोनेशिया दू सहस्त्राब्दी से सभ्यता आधारित एक संबंध के निरंतरता के साझा करेला। चाहे ई ओडिशा में वार्षिक बालीजात्रा के उत्सव होखे चाहे रामायण आ महाभारत के कहानी जवन कि पूरा इंडोनेशियाई भूक्षेत्र में देखाई परेला, ई अनोखा सांस्कृतिक तंतु एशिया के दू सबसे बड़ लोकतंत्र के लोग के एक विशेष मैत्रीपूर्ण रिश्ता में बान्हेला।

आज, रणनीतिक सहयोगी के रूप में, भारत-इंडोनेशिया सहयोग राजनीतिक, आर्थिक, रक्षा अउर सुरक्षा, सांस्कृतिक आ लोगन के बीच संबंध जइसन सब क्षेत्र में फइलल बा। आसियान में इंडोनेशिया हमनीं के लगातार सबसे बड़ व्यापारिक सहयोगी बनल बा। भारत अउर इंडोनेशिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछला 10 बरिस में 2.5 गुना बढ़ल बा। एकरे साथ ही,भारत आ कंबोडिया के बीच परंपरागत अउर मैत्रीपूर्ण संबंध सभ्यता पर आधारित बा जवन गहराई से जुड़ल बा। अंगकोर वाट मंदिर के भव्य ढांचा अपना प्राचीन ऐतिहासिक, धार्मिक अउर सांस्कृतिक संबंध के एगो शानदार गवाह आ भव्य प्रतीक बा। 1986-1993 के मुश्किल समय में अंग्कोर वाट मंदिर के पुनरुद्धार अउर पुनर्स्थापन कार्य करे में भारत गौरवान्वित भइल। आ सिंगापुर के संक्षिप्त में चर्चा कइला बगैर हम भारत-आसियान संबंध के साथ न्याय नइखीं कर सकत। सिंगापुर पूर्व के साथ हमनीं के प्रवेश के मुख्यी मार्ग ह, ई हमनीं के प्रमुख आर्थिक साझेदार ह आ महत्वपूर्ण सामरिक सहयोगी भी ह जेकर झलक कई क्षेत्रीय आ वैश्विक मंच में परिलक्षित होला। 16 भारतीय शहरन से सिंगापुर खातिर सप्ताह में 240 सीधा उड़ान उपलब्ध बा। सिंगापुर के यात्रा करे वाला पर्यटकन के संख्या के दृष्टि से भारतीय पर्यटक समूह तीसरा स्थान पर बा।

त कुल मिलाके बात इहे बा कि भारत खातिर आसियान देश व्यापारिक, सांस्कृतिक आ सामरिक दृष्टि से बहुत खास बा। भारत- आसियान सम्मेलन में ओ तमाम बिन्दुअन पर विशेष रूप से चर्चा भइल, जवना से दूनू के दीर्घकालिक लाभ होखे।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार अउर पूर्व सांसद हईं)