जीवन – मृत्यु (डा0 सुनील कुमार उपाध्याय)

डा0 सुनील कुमार उपाध्याय सांस चलला के नांव जिनगी आ सांस बंद त मृत्यु (मुअल)। ई त भौतिक जगत के विधान ह। अपना देष के प्रसि़˜ संत स्वामी विवेकानंद जी लिखले बानी कि जौने दिन आदमी के जिज्ञासा खतम हो जाला ओही दिन आदमी मर जाला। हमनी के शास्त्र कहता कि मृत्यु त रूपान्तरण भा […]

ई जिनिगिया के बा अलगे एगो खेला (उदय नारायण सिंह)

आलेख उदय नारायण सिंह  बेटी-तिस्ता उर्फ अनुभूति के संगे हम मंच पर प्रदर्शन करत रहीं। ऊ आपन जीउ-जान लगा के मंच पर ‘कुंवर सिंह’  के गाथा गावस आ हम उनकरा संगे-संगे गाईं। सब कुछ सुंदर रहे बाकिर अचानक- “कवन ठगवा नगरिया लुटल रे”- हमार सब कुछ लुटा गइल। हम सारा उतजोग कर के भी “तिस्ता” […]

हम न मरैं मरिहैं संसारा

आवरण कथा अनिरुद्ध त्रिपाठी ‘अशेष‘ अपने चैतन्यरूप वास्तविक स्वरूप के उपलब्ध होके आदि शंकराचार्यो एही परम सत्य के उद्घोष कइले रहें। कहले रहें-“हम न मन हईं, न बुद्धि हईं, न अहंकार हईं, न चित्त हईं, न कान हईं, न जीभ हईं, न नाक हईं, न ऑंख हईं, न आकाश हईं, न पृथ्वी हईं, न अग्नि […]

भोजपुरी दुनिया के अमूल्य धरोहर बा ई अंक

राउर पाती भोजपुरी जगत के 27 गो साहित्यकार के जवन जीवनी भोजपुरी जंक्शन के अंक में प्रकाशित भइल बा, ऊ भोजपुरी दुनिया के अनमोल धरोहर बा। सदियन तक ई अंक भोजपुरी दुनिया के गरिमा के गौरव बढ़ावत रही आ नया पीढ़ी के स्वाभिमान के भी आधार बनत रही। एह अंक के रचनाकार सभे के लेखनी […]

जनम आ मरन : भावुक जी के संपादकीय दृष्टि (डॉ० ब्रज भूषण मिश्र)

समीक्षा डॉ० ब्रज भूषण मिश्र हाले फिलहाल ‘ भोजपुरी जंक्शन ‘ के संपादक मनोज भावुक के पिताजी के निधन भइल। सोभाविक रहे कि भावुक जी पिता के छतर छाँह उठ गइला से भाव विह्वल हो गइलन। उनकर पिताजी अइसन ओइसन बेकती ना रहीं, बलुक मजदूर नेता के रूप में नामवर रहीं रामदेव सिंह जी। भावुक […]

जिंदगी के सार्थकता के प्रति हर सवाल के जबाब बा  मनोज जी के संपादकीय

संपादकीय अजय कुमार पाण्डेय जिंदगी के सार्थकता के प्रति हर सवाल के जबाब बा  मनोज जी के संपादकीय भोजपुरी आ भोजपुरी के विकाश आ लोकप्रियता ला आज बहुत सा लोग आ संस्था दिन-रात लागल बा। एमें बड़ा महत्वपूर्ण आ श्लाघ्य भूमिका बा, ” भोजपुरी जंक्शन ” के। देश भर के भोजपुरी विद्वान लोगन के लिखल […]

चित्त त जिनगी, पट त मौत (अजय कुमार पांडेय)

संस्मरण अजय कुमार पांडेय   माई होईत तब नु कुछ बोलित। ऊ त चल देले रहे आपन अंतिम जातरा पर। छन भर पहिले जे हमनी के बतकही में हुँकारी भरत रहे, उ सदा खातिर मौन हो गइल। केतना बारीक आ पलक झपकाई भर के दूरी बा जिनगी आ मौत में। पानी के बुलबुला ह जिनगी। […]

जन्म-मृत्यु से जुड़ल कुछ अजीबोगरीब रिवाज (अखिलेश्वर मिश्र)

रिवाज अखिलेश्वर मिश्र   विश्व के कई देशन में मृत्यु के बाद संस्कार के अजीबोगरीब रिवाज प्रचलित बा। दक्षिणी अमेरिका के ब्राजील, जवन विश्व के सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश मानल जाला, में ‘यानोमामी’ नाम के जनजाति बा। ये लोग पर आधुनिकता के दूर-दूर तक असर नइखे। इहाँ मरेवाला आदमी के बड़ा अजीब प्रकार से […]

अन्तिम बिदाई (निशा राय)

संस्मरण निशा राय   बाहरी सुख-संपत से भरल-पूरल परिवार पर दुख के पहाड़ तब टूटल जब 2006 अंतिम चरण में पता चलल कि पापा जी के कैंसर जइसन रोग जकड़ लेहले बा। डेढ़ साल ले त पापा जी बड़ी ढिंठाई से ओकरा से लड़नी बाकिर धीरे-धीरे बेमारी बरियार आ उहाँ का कमजोर परत गइनी। जइसे-जइसे […]

मौत के प्रकार आ विधि-विधान (डॉ. पुष्पा सिंह विसेन)

आवरण कथा   डॉ. पुष्पा सिंह विसेन कई तरह के मौत होला जइसे कि जनमजात मौत, आकस्मिक मौत, अकाल मौत आ सामान्य मौत आदि। दसवाँ बहुते महत्वपूर्ण होला, ओह दिन दूर दराज के सब लोग घरे आ जाला जे चिता जरला के बाद काम धंधा पर गइल रहेला। दसवाँ के दिनें सबहि के दाढ़ी मोछ […]